अगर आप खाने के शौकीन हैं तो आप ने zomato का नाम जरूर सुना होगा, ये एक ऐसा ऐप है जो खाना डिलीवर करने का काम करता है, आप zomato के माध्यम से किसी भी जगह से अपना खाना मंगवा सकते है और zomato आपका खाना आप के घर पहुंचने का काम करता है|
आए दिन हजारों लोग इस ऐप का प्रयोग कर के खाना मंगाते है और हम ऑर्डर कैंसल भी कर सकते है इसकी कई वजह हो सकती पर इस बार जिस वजह से ऑर्डर केंसेल किया गया है उस पर बवाल हो गया है और होना भी चाहिए |
30 जुलाई को यानी बुधवार को मध्य प्रदेश के जबल पुर में एक अमित शुक्ला नाम के शख्स ने अपना ऑर्डर इसलिए कैंसल कर दिया है क्यूंकि उनका ऑर्डर को एक मुस्लिम लेकर आया था |
कितनी अजीब बात है ना धर्म के आधार पर भेद भाव आज भी बना हुआ है पता नहीं कितनी पुरानी रीति रिवाज है जिसको खत्म करने के लिए सविधान में पता नहीं कितने साल पहले ही कह दिया गया है कि धर्म के आधार पर भेदभाव करना गलत है पर फ़र्क किसको है साहेब, जब ऐसे काम को कर के लोग को पॉपुलर होने का मौका मिलता है तो लोग देश ,धर्म जाति संविधान की किस को पड़ी है |
ऐसी ओछी हरकत करने के बाद आमित शुक्ला ने इसे ट्वीट कर के कहा मैने अभी अभी zomato से अपना खाना कैंसिल किया है क्युकी वो मेरा खाना एक गैर हिन्दू के हाथो से भेज रहे थे मैने राईडर चेंज करने को कहा तो कंपनी ने माना कर दिया मैने कहा कि zomato डिलीवरी लेने के लिए मजबुर नहीं कर सकता है, पैसे नहीं चाहिए बस ऑर्डर cancel कर दो।
मैने भुगतान किया है तो मेरा आधिकार है कि मै इस को कैंसल कर सकूं, मैने कहा राइडर चेंज करो नहीं किया तो मैने कैंसल कर दिया|
अमित शुक्ला ने कहा सविधान सभी को धार्मिक स्वतंत्रता देता हैं , सावन का महीन चल रहा है, मै मुसलमान का लाया खाना कैसे खा सकता हूं,
ये बात तो सही है सविधान सभी को अपना धर्म मानने की स्वतंत्रता देता है पर ये भी तो कहता कोई भी धर्म बड़ा या छोटा नहीं है सब एक बराबर है |
आप अपने धर्म को मानने के लिए वही तक स्वतंत्रता है जहां तक के दूसरे को या उसके धर्म को अपमानित ना हो, ये बात भी तो सविधान की ही है ना अमित जी पर आप तो आपनी बात मनवाने के लिए संविधान को याद करेगे,
Zomato अपने राइडर के पछ में आया और कहा कि खाने का अपना कोई धर्म नहीं होता वो खुद ही एक धर्म है, सही है खाने को मजहब में नहीं बाटा जा सकता वो खुद ही एक मजहब है ।
दीपेंद्र गोयल ने कहा हम भारत की मूल भावना पर गर्व करते है अपने ग्राहकों और पार्टनर्स की विविधता यानी डायवर्सिटी पर गर्व है हमें, हमारे आदर्शो के आड़े आने वाले किसी बिजनेस के हाथ से चले जाने पर हमे तकलीफ नहीं है।
इस बात की बहुत सराहना हुई और होनी भी चाहिए उन्होंने कहा कि वो भारत की विविधता को बनाए रखना चाहते है उस के लिए उन का बिजनेस भी चला जाए उन को कोई परवाह नहीं है, कितनी बड़ी बात है ना ऐसे समय में जब अमित शुक्ला जैसे लोग है जो देश को बाटना चाहते है वहीं कुछ लोग ऐसे अभी है जो सब कुछ कुरबान कर के भारत के विविधता को बनाने के लिए भी तैयार है,
अमित शुक्ला ने कहा कि यह मेरा व्यक्तिगत धर्म का सवाल है, उन्हे इसका सम्मान करना चाहिए , मैने शाकाहारी रेस्त्रां से खाना मंगवाया था सिर्फ लड़के को बदलने को ही तो कहा था उन्होने नहीं किया , मुझे नहीं लगता मैने कोई पाप किया है, अमित जी आप को क्या लगता है आप ने कुछ गलत नहीं किया है भले ही एक पूरी कौम को नीचा दिखाने का काम किया हो।
हमारा एक सवाल है अमित जी आप अपना खाना कब तक मुसलमान के छून से बचा सकते है खाना लाने वाला लड़का हिन्दू है या मुस्लिम इस बात का तो पता लगाया जा सकता है लेकिन खाना बनाने वाला बावर्ची हिन्दू है या मुस्लिम इसका पता कैसे लगाए , हेल्पर हिन्दू है या मुस्लिम इसका पता कैसे लगाना चाहिए, उसका भी पता लगाया जा सकता है रेस्टोरेंट से पूछ कर लेकिन उस अनाज को उगाने वाला किसान हिन्दू भी हो सकता है मुस्लिम भी हो सकता है ,किसान से अनाज खरीदने वाला साहूकार हिन्दू हो सकता है या मुस्लिम, साहूकार से अनाज को लादने वाला मजदूर हिन्दू हो सकता है या मुस्लिम , जिस गाड़ी में अनाज़ को लादा जाएगा वह गाड़ी हिंदू कि हो सकती है या मुस्लिम की,गाड़ी का चालक हिदू भी हो सकता है या मुस्लिम भी ,हम मुस्लिम से पीछा नहीं छुड़ा सकते क्यूंकि वो हमारे साए की तरह होते है आप जिस भी जगह जायेगे वहां आप को हिन्दू भी मिलेंगे और मुस्लिम भी ,मुस्लिम हमारे देश का एक भाग है हम इस को दुख पहुंचा के कभी भी चैन से नहीं रह सकते जैसे हमारे शरीर के एक हिस्से में पेन होता है तो पूरी शरीर परेशान रहती है वैसे ही हम मुस्लिम को परेशान कर के ना तो देश का भला कर रहे नाही किसी का, इस तरह के ट्वीट हमे आसपास में लड़ाकर खुद को कमजोर बना रहे है , हमें देश की बेहतरी के बारे में सोचना चाहिए तभी सब का भला होगा, कर भला तो हो भला टिप्स सही है ना।