आज आप को एक घटना बताएंगे जिसको देखकर आप कहेंगे कि इंसानित अभी जिन्दा है सच में ऐसी घटना दिल को बहुत सुकून देती है कि जहां एक ओर समाचार पत्र में आधा से भी अधिक हिंसा जैसी घटना से भरा होता है जो ये कहने पर मजबूर करता है कि मानवता खत्म हो गई है, इंसानियत को शर्मशार कर देती है वहीं कुछ लोग ऐसे भी है जो आज भी भलाई के काम में घुटे है |
ऐसे लोगों की वजह से ही आज समाज जिंदा है नहीं तो समाज रूपी भवन कभी का गिर गया होता अगर ऐसे मजबूत लोग नीव ना बने होते |
घटना को सीधे सीधे कहें तो मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के बेटमा गांव के लोगो ने शहीद की पत्नी को जो पति के मारने के बाद कई साल से झोपडी में रहती थी वहां के लोगों ने चंदा इकट्ठा कर के शाहिद की पत्नी के लिए घर बना के रक्षाबंधन के दिन दिया, साल 1992 की बात है बेटमा गांव के मोहन सिंह बीएसएफ के जवान थे जो शहीद हो गाए, उस समय एक बेटा 3 साल का था और पत्नी राजू बई प्रेगनेंट थी, परिवार गरीब था, मोहन के शहीद होने के 25 साल बीत गए लेकिन सरकार ने किसी भी तरह से कोई मदद नहीं की लेकिन राजू बई ने जैसे तैसे अपने बच्चो की परवरिश की पर पैसे के अभाव के कारण घर नहीं बना पाई तो झोपडी में ही गुजर बसर करने पर मजबुर थी |
पिछले साल शहीद समरसता टोली का एक सदस्य बेटावा आया ये इंदौर के कुछ लोगो का ही ग्रुप था जो शहीदों का ख्याल रखता था गांव गांव जा कर शहीदों के परिवार से मिलता है, इसी ग्रुप एक सदस्य बेटवा गांव आए तो उन्होंने राजू बई की हालत देखी तब पता चला कि सरकार ने कोई मदद नहीं की तो समरसता टोली के लोगो ने खुद मदद का जिम्मा उठाया, वो आपने ग्रुप के लोगो से मिले और सब ने राजू बई से राखी बंधवाई और पक्का घर देने का वादा किया, घर-घर जाकर कर चंदा इकट्ठा किया, ‘एक चेक एक दस्खत’ अभियान चलाया,अभियान सफल रहा टोली ने 11लाख रुपए इख्ता किया पैसे को दो भागों में बांट दिया 10 लाख का घर बना दिया बाकी का एक लाख का शहीद मोहन सिंह की प्रतिमा बनने का निशचय किया गया और साथ में ही जिस स्कूल से पढ़ाई की है उस स्कूल का नाम मोहन सिंह के नाम रखा जाए ये भी प्रयास किया जा रहा है |
आप को बता दे गुरुवार को यानी 15 अगस्त को जिस दिन स्वतंत्र दिवस और रक्षा बंधन था तो यहां के लोगों ने राजू बई को घर बना के आपने हथेली पर चला के घर में प्रवेश करवाया पूरे 26 साल बाद नए और पके घर में प्रवेश किया, यह पूरी घटना से दिल को सुकून देता है ये घटना देश भक्ति की एक मिशाल पेश करता है देश की सेवा करने वाला सैनिक सिर्फ अपने परिवार की नहीं पूरे देश की सेवा करता है तो उसके नहीं रहने पर उस का परिवार अकेला कैसे हो सकता है वो परिवार पूरे देश का परिवार होना चाहिए, हमारी और आप कि सेवा के लिए अपने परिवार से दूर रहता है वो सैनिक और आखिर में जब अपने जान को भी गवा देता है और हम आप उसको तो भूल ही जाते साथ साथ उसके परिवार को भी, इस चीज को देख कर उन लोगो को शर्म तो जरूर आई होगी जो आपने फर्ज को भुला दिए और उस परिवार को दर-दर भटकने के लिए छोड़ दिए, कोटि कोटि नमन शहीदों को और बहुत सरा स्नेह बेटमा गांव के लोगों का सच्ची देश भक्ति यही होती है कि देश के वीरो के लिए कुछ करो, एक उदहारण तो जरूर पेश किया है देश की कुर्बानी देने वाले जवान की कुर्बानी बर्बाद नहीं होनी चाहिए |