Hindu Widow Woman Rights: हिन्दू विधवा महिलाओं को कानून ने दिए हैं ये अधिकार, मिलता है प्रॉपर्टी में हक़ से लेकर गुजारा भत्ता तक, जानिए कैसे?

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Hindu Widow Woman Rights: आज से 166 साल पहले एक महापुरुष ने प्रचलित धारणाओं को तोड़ते हुए उच्च जाति की हिन्दू विधवा महिलाओं को उनका कानूनी हक दिलाया था । 16 जुलाई 1856 को समाजसेवी ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने तमाम धारणाओं को तोड़ते हुए हिन्दू मैरिज एक्ट पास करवाया था जिसके तहत उच्च जाति ही हिन्दू विधवाएं दोबारा शादी कर अपना घर बसा सकती हैं । इस एक्ट के साथ ही सदियों से चली आ रही उस परम्परा का अंत हो गया था जिसके तहत हिन्दू विधवा महिलाएं दोबारा शादी नहीं कर सकती थीं और उन्हें सारा जीवन एक विधवा के रूप में अनुशासित रहकर गुजारना पड़ता था ।

आज से 166 साल पहले जिस कानून को ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने ब्रिटिश सरकार से पास करवाया था उसमें अब तक कई संशोधन हुए हैं साथ ही तब से लेकर अब तक सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने हिन्दू विधवाओं के पक्ष में कई ऐतिहासिक निर्णय भी सुनाए हैं । आइये इस आर्टिकल में जानते हैं कि हिन्दू विधवा महिलाओं को कौन कौन से अधिकार कोर्ट ने दिए हैं ।

ससुर से गुजारा भत्ता मांग सकती है विधवा महिला

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इसी महीने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला विधवा महिलाओं के पक्ष में सुनाया था । कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्णय दिया था कि कोई भी महिला अपने पति की मौत के बाद यदि अपनी आय या अन्य सम्पत्ति से गुजारा नहीं कर पा रही है तो वह अपने ससुर से भरण पोषण प्राप्त कर सकती है । इसके लिए ससुर अपनी बहू को भरण पोषण हेतु गुजारा भत्ता देने के लिए बाध्य होगा ।

कोर्ट ने इस फैसले में आगे कहा कि यदि पति की मौत के बाद ससुर अपनी बहू को घर से निकाल देता है या महिला अलग रहने लगती है तो भी वह कानूनी रूप से भरण पोषण के लिए हकदार होगी ।

विधवा महिला अपनी संपत्ति किसी को भी दे सकती है

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सुप्रीम कोर्ट ने साल 2015 में आन्ध्र प्रदेश हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा था कि विधवा महिला अपनी संपत्ति किसी को भी वसीयत करने के लिए स्वतंत्र है । सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हिन्दू विधवा महिला को जीवन निर्वहन का अधिकार आध्यात्मिक और नैतिक रूप से है जिससे उसे वंचित नहीं किया जा सकता ।

‘वसीयत करने का अधिकार’ का फैसला जस्टिस एम वाई इकबाल की अध्यक्षता वाली आंध्रप्रदेश हाई कोर्ट ने दिया था । इस मामले में विधवा महिला ने अपनी संपत्ति अपने रिश्तेदार को सौंप दी थी । सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह महिला का अधिकार है कि वह अपनी संपत्ति किसे देती है ।

विधवा महिला पति की संपत्ति की हकदार

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भारतीय संविधान के हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 में यह नियम है कि यदि कोई व्यक्ति बिना वसीयत छोड़े मर जाता है तो उस मृत व्यक्ति की संपत्ति को उसके वारिसों में अनुसूची के वर्ग-1 में बांटा जाएगा । ऐसे में उस व्यक्ति की विधवा को भी संपति का एक हिस्सा प्राप्त होगा ।

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दोबारा शादी करने के बाद भी विधवा महिला का पहले पति की संपत्ति में हक

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Hindu Widow Woman Rights, भारतीय संविधान में हिन्दू विधवा महिला को यह अधिकार प्राप्त है कि दूसरी शादी कर लेने के बाद भी उसका अपने पहले पति की संपत्ति पर अधिकार रहेगा । बता दें कि यह फैसला कर्नाटक हाई कोर्ट ने सुनाया था । मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित ने फैसला देते हुए कहा था कि अगर कोई विधवा महिला दूसरी शादी करती है तो भी उसका पहले पति की संपत्ति में अधिकार खत्म नहीं होगा ।

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