प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन से चीन की बढ़ती चुनौतियों से निपटने के लिए मुलाकात करेंगे। अमेरिका में 24 सितंबर को राष्ट्रपति बाइडन की होने वाली शिखर वार्ता में भारत, ऑस्ट्रेलिया व जापान क्वाड इतिहास का एक अहम अध्याय होगा। अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन से पीएम मोदी की यह मुलाकात ऐसे समय पर हो रही है। जब अमेरिका ने आस्ट्रेलिया के साथ ऐतिहासिक आकस समझौता परमाणु पनडुब्बी और टॉमहाल्क मिसाइलों किया है। ऑस्ट्रेलिया के साथ समझौता अमेरिका, ब्रिटेन ने ड्रैगन की आक्रमकता पर लगाम लगाने के लिए किया है।
भारत के लिए यह मुलाकात आर्थिक और रक्षा संबंधों के लिहाज से बहुत ही अहम साबित होने जा रही हैं। 24 सितंबर को अमेरिका के राष्ट्रपति साप्ताहिक कार्यक्रम के मुताबिक शुक्रवार को ही बाइडन प्रधानमंत्री मोदी, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन तथा जापानी पीएम सुगा के साथ पहली बार व्हाइट हाउस में व्यक्तिगत रूप से क्वाड नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेंगे। बताया जा रहा है कि यह नेता चीन के खिलाफ अपने संसाधनों को एकजुट करके एक दूसरे की मदद करने पर वार्ता करेंगे। चूंकि इसकी शुरुआत तो पहले से ही हो चुकी हैं। कोरोना वैक्सीन को लेकर भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान एक महाडील पर काम कर रहा है।
इस पोस्ट में
वर्ष 2007 में क्वाॅडिलैटरल सिक्याॅरिटी डायलॉग (क्वाॅड) की शुरुआत हुई थी। चूंकि जब भारत ने दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में आई सुनामी के बाद मदद का हाथ बढ़ाया तभी इसकी शुरुआत वर्ष 2004-2005 में हो गई थी। क्वाड में अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत यह 4 देश शामिल है। कोरोनावायरस को लेकर मार्च में क्वाड की मीटिंग हुई थी। हालांकि इसमें पहली बार न्यूजीलैंड, वियतनाम और दक्षिण कोरिया भी शामिल हुए थे।
चीन इस सामूहिक गठन के बाद से ही चिढ़ा हुआ है। तथा इसका विरोध लगातार कर रहा है। चीन का सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स लद्दाख में चल रहे सैन्य तनाव के बीच भारत को लगातार धमकी दे रहा है। साथ ही साथ नसीहत भी दे रहा है कि क्वाॅड से भारत दूर रहें व गुटनिरपेक्षता की अपनी नीति का पालन करें। क्वाॅड का चीन के विदेश मंत्री वांग हमेशा से ही मजाक उड़ाते रहे हैं। उनका कहना था कि क्वाॅड कूड़े में फेंकने वाला आईडिया है। समुंद्री झाग की तरह यह आईडिया खुद ही खत्म हो जाएगा। चूंकि इस संगठन की दूसरी बैठक मैं सदस्य देशों के सकारात्मक रुख को देखकर चीन परेशान हो गया है।