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Sambhal Violence: संभल में आगज़नी और पथराव के बीच जामा मस्जिद सर्वे का बवाल आसान भाषा में समझिए…

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Sambhal Violence: दिल्ली से संभल… डेढ़ सौ किलोमीटर दूर है… मुस्लिम बहुल इलाका है। यही एक जामा मस्जिद भी है… और इसी पर कइयों की नजर है… हम उनकी बात कर रहे हैं जो बाबर की गलतियों की सजा जुम्मन को देना चाहते हैं… जो नहीं चाहते हैं कि देश में शांति रहे… यूपी में शांति रहे… वे बस चाहते हैं कि दंगा होता रहा… 24 नवंबर को संभल में यही हुआ… पुलिस के साथ सर्वे करने पहुंची टीम पर लोग भड़क गए…

पत्थरबाजी हो गई है। पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे… तो आक्रोशित लोगों ने पुलिस की गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया। इलाके में तनाव है। अयोध्या, मथुरा और काशी के बाद अब संभल की बारी है… क्या बीजेपी और उसकी सरकारों को जनता ने इसीलिए चुना है। सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं देखता है ये सब…

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आज संभल में भड़के दंगे की कहानी

Sambhal Violence: आप देख रहे हैं भारत एक नई सोच… मैं हूं पल्लवी राय… बीते मंगलवार को ही संभल की जामा मस्जिद में सर्वे टीम पहुंची थी। लोगों से बात हुई और सर्वे पूरा हुआ। फिर ऐसा क्या हुआ कि जब दूसरी बार सर्वे टीम पहुंची तो लोग अपना आपा खो बैठे… इससे पहले ये जानिए कि पूरा मामला क्या है… दरअसल संभल की चंदौसी कोर्ट में एक मामला दायर हुआ था। हिंदू पक्ष की दलील है कि संभल की जामा मस्जिद दरअसल हरिहर मस्जिद है। और इसे बाबर ने 1529 में मस्जिद बना दिया था। इसी मामले पर चंदौसी की कोर्ट ने सर्वे का आदेश दे दिया और हिंदू पक्ष की याचिका को स्वीकार कर लिया।

संभल की काली देवी मंदिर के ऋषिराज गिरी इस मामले में याचिकाकर्ता हैं। उनका दावा है कि बाबर ने मंदिर को मस्जिद में बदल दिया था। मामले में हिंदू पक्ष के वकील हैं विष्णु शंकर जैन… उनका दावा है कि संभल में ही कल्कि अवतार होना है। अब आप सोच रहे होंगे कि इन्हें किसने बता दिया कि कल्कि अवतार संभल में ही होना है… लेकिन बीते मंगलवार यानी 19 नवंबर को जब सर्वे टीम पहुंची तब भी स्थानीय लोग इकट्ठा हुए लेकिन सपा सांसद जिया उर रहमान बर्क के समझाने पर वापिस लौट गए…

मंगलवार की शाम को सर्वे पूरा हुआ

पांच दिन बाद सर्वे टीम फिर पहुंची और इस बार सुबह के टाइम सर्वे किया जाना था… लेकिन लोगों को धैर्य जवाब दे गया… इस पर जब सपा सांसद रामगोपाल यादव से पूछा गया तो उन्होंने साफ कह दिया कि जब पुलिस ऐसा व्यवहार करेगी तो लोग क्या करेंगे? रामगोपाल यादव 20 नवंबर को मीरापुर और कुंदरकी में वोटिंग के दौरान पुलिस के भाजपा का पट्टा पहन लेने की बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पुलिस ऐसी कार्रवाई करेगी तो पत्थरबाजी तो होगी।

इस तरह बूथ लूटा जाएगा तो लोग क्या करेंगे। सपा नेता अखिलेश यादव ने कहा कि जानबूझकर संभल में हिंसा कराई गई है। जानबूझकर संभल में सर्वे टीम भेजी गई है। संभल की घटना के पीछे सरकार है। उसी ने करवाया है। पूरी घटना चुनाव में हुई बेइमानी से ध्यान भटकाने के लिए कराई गई है।

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मायावती ने कहा कि यूपी उपचुनाव के नतीजों के बाद पूरे मुरादाबाद मंडल में तनाव है। सरकार को सर्वे का काम आगे बढ़ाना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। संभल में जो हुआ उसके लिए सरकार जिम्मेदार है। आपको बता दें कि 20 नवंबर को मीरापुर और कुंदरकी उपचुनाव में पुलिस पर आरोप लगा कि उसने मुसलमानों को जानबूझकर वोट नहीं डालने दिया। कुंदरकी में तो खेला ही हो गया… 60 परसेंट से ज्यादा की मुस्लिम आबादी वाली इस सीट पर बीजेपी जीत गई। बीजेपी के उम्मीदवार रामवीर सिंह को पौन दो लाख के करीब वोट मिले और सपा के प्रत्याशी किसी तरह 25 हजार वोट पा सके…

2022 में यहीं से सपा के जिया उर रहमान बर्क जीते थे

समाजवादी पार्टी का आरोप है कि कुंदरकी में मुस्लिम वोटरों को जानबूझकर वोटिंग नहीं करने दी गई। गांवों में बैरिकेडिंग की गई और आईडी कार्ड को फर्जी बताकर पुलिस ने वोट डालने से रोक दिया। कुंदरकी में तो सपा ने दोबारा चुनाव की मांग की थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ। बीच चुनाव में सपा प्रत्याशी ने चुनाव का बहिष्कार कर दिया था। उनका कहना था कि सिर्फ एक समुदाय को वोटिंग करने दी जा रही है। राम गोपाल यादव इसी आक्रोश की बात कर रहे थे। पुलिस के इसी व्यवहार की बात कर रहे थे। पुलिस और प्रशासन पर किसी भी समाज का भरोसा तब बनता है… जब पुलिस निष्पक्ष तरीके से काम करती है।

मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट पर भी वोटिंग के दिन दंगे की स्थिति रही… क्योंकि यहां लोगों ने आरोप लगाया कि मुस्लिम वोटरों को वोट नहीं डालने दिया गया… उन्हें लोकतांत्रिक अधिकार से वंचित किया गया। जब पुलिस इस तरह से काम करती है तो किसी को भी पुलिस पर भरोसा नहीं होगा। लेकिन सवाल उस चंदौसी कोर्ट से भी है जिसके जज ने एक याचिका पर तुरंत सर्वे का आदेश दे दिया। 1992 में अयोध्या को लेकर बवाल मचा। बाबरी मस्जिद पर हिंदुत्व के ठेकेदारों ने दावा ठोंका

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तो 1993 में एक कानून बना… प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1993 यानी प्रार्थना स्थल कानून

Sambhal Violence: इस कानून का मतलब है कि 1947 में देश की आजादी के बाद जो मंदिर या मस्जिद जिस हालत में है। जिस समाज की है। वह उसी हालत में रहेंगी। लेकिन अयोध्या के फैसले के बाद देश का माहौल बदल गया। पहले बनारस में ज्ञानवापी के मामले में कोर्ट ने हिंदू पक्ष को पूजा करने का अधिकार दे दिया… और बकायदा अब ज्ञानवापी में पूजा चल रही है। इसी तरह मथुरा को लेकर भी कोर्ट में मामला चल रहा है। वहां की भी शाही मस्जिद के सर्वे का मामला अदालत में है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 14 दिसंबर 2023 को श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद के विवादित स्थल पर सर्वे की मंजूरी दी थी…

बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगा दी। 26 फरवरी 2024 को इलाहाबाद कोर्ट ने बनारस के ज्ञानवापी परिसर में पूजा जारी रखने का आदेश दिया था। दरअसल मुस्लिम पक्ष ने इस मामले को हाईकोर्ट में चैलेंज किया था, जिसके बाद अदालत ने याचिका खारिज कर दी। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने कहा था कि केस से जुड़े दस्तावेज और संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट द्वारा ज़िला जज के फ़ैसले पर रोक लगाने की कोई वजह नहीं है। 17 जनवरी और 31 जनवरी को सुनाए फ़ैसले में वाराणसी की ज़िला अदालत ने जिलाधिकारी को प्रॉपर्टी का रिसीवर नियुक्त किया था और व्यास तहखाने में पूजा करवाने की बात कही थी.

इस मामले में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर हैं और यही महोदय संभल वाले मामले में भी हिंदू पक्ष के वकील हैं। अब आपको समझ आ रहा होगा कि दरअसल चल क्या रहा है…

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Sambhal में आगज़नी और पथराव के बीच Jama Masjid Survey का बवाल आसान भाषा में समझिए

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अब इस मामले को ऐसे समझिए कि

Sambhal Violence: ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष ने 31 जनवरी को ज़िला अदालत के सुनाए फै़सले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. लेकिन हाईकोर्ट का फैसला आने से पहले ही प्रशासन ने तहखाने में पूजा शुरू करवा दी. शायद बहुत जल्दी थी… जब इस मामले में ज्ञानवापी मस्जिद का जिम्मा संभालने वाली अंजुमन इंतेज़ामिया मस्जिद कमिटी सुप्रीम कोर्ट पहुंची तो कोर्ट ने कहा कि पहले हाईकोर्ट जाइए और जब हाईकोर्ट गए तो कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। अगर सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी के मामले में प्रार्थना स्थल कानून का हवाला दिया होता।

पूजा की इजाजत नहीं दी होती तो शायद संभल का मामला नहीं आता… लेकिन ज्ञानवापी केस में मिली कामयाबी ने कुछ खास लोगों को संभल की जामा मस्जिद पर दावा ठोंकने का अधिकार दे दिया… यही से संभल की जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर बताने का रास्ता खुल गया… संभल में जो हुआ उसके लिए कोर्ट भी उतनी ही जिम्मेदार है जितनी की सरकार…

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Sambhal Violence: संभल का वह वायरल वीडियो आपने देखा होगा… जिसमें पुलिस कप्तान कृष्ण विश्नोई… पथराव कर रही जनता से कह रहे हैं कि अपने नेताओं के चक्कर में अपना भविष्य बर्बाद मत करो… लेकिन पुलिस कप्तान साहब उन हुक्मरानों से यह कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाएंगे कि हर मस्जिद के नीचे मंदिर ढूंढ़ने का नाटक बंद करो। देश का भविष्य बर्बाद मत करो… अगर कृष्ण विश्नोई ऐसा करेंगे तो 1 मिनट के अंदर ट्रांसफर हो जाएगा… क्या पुलिस कप्तान को पता नहीं है कि देश में प्रार्थना स्थल कानून है। लेकिन नहीं, जब देश की सत्ता ही मुसलमानों को अपना दुश्मन मान बैठी हो तो ब्यूरोक्रेसी से क्या ही उम्मीद की जाए…

महाराष्ट्र के नतीजों के बाद नरेंद्र मोदी जब बीजेपी हेडक्वार्टर पहुंचे तो अपने भाषण में वक्फ बोर्ड का मामला उठा दिया। ये विधेयक अभी संसदीय समिति के पास है। लेकिन महाराष्ट्र के चुनाव से ही दावा किया जा रहा है कि इंडिया गठबंधन कितना भी विरोध कर ले भाजपा की सरकार वक्फ कानून को बदल के रहेगी।

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Sambhal Violence: दूसरी ओर वक्फ विधेयक को लेकर मुस्लिम चिंतित हैं। मौलाना अरशद मदनी की अगुवाई में दिल्ली से लेकर लखनऊ तक मीटिंग और बैठकें हो रही हैं। विपक्षी सांसदों का आरोप है कि संसदीय समिति में उनकी बात सुनी नहीं जा रही है। लेकिन मोदी इस बात पर उतारू हैं कि वक्फ विधेयक पास कराके रहेंगे. बीजेपी हेडक्वार्टर से मोदी ने कहा कि संविधान में वक्फ बोर्ड का कोई स्थान नहीं है। कांग्रेस ने देश की संपत्तियां वक्फ को सौंप दीं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए और इसका उदाहरण वक्फ बोर्ड है। अगली लाइन पर गौर करिए…

Sambhal Violence: मोदी ने कहा कि 2014 में जाते-जाते कांग्रेस ने दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दीं। जी हां, आपने बिल्कुल ठीक सुना। मोदी ने अपने भाषण में दिल्ली का जिक्र किया। दो महीने बाद दिल्ली में चुनाव होंगे। महाराष्ट्र के बाद दिल्ली का नंबर है… और संभल… दिल्ली से दूर नहीं है। संभल में दंगा होगा तो दिल्ली के हिंदू भाजपा को वोट देंगे…

इसलिए संभल का मामला गरमाया जा रहा है

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Sambhal Violence: यूपी उपचुनाव से पहले बहराइच में दंगा हुआ… अब दिल्ली में चुनाव है तो संभल की बारी है… चुनाव कहीं भी हो बवाल होगा… तो यूपी में ही होगा… लेकिन सवाल सुप्रीम कोर्ट से है… आखिर कब तक हम मंदिर मस्जिद के नाम पर लड़ते रहेंगे… कब तक लोगों को अपनी मस्जिदों और घरों को बचाने के लिए हाथ में पत्थर उठाने पड़ेंगे। कब तक ये जिला अदालतें किसी भी मस्जिद के सर्वे का आदेश पारित करती रहेंगी… मीलॉर्ड… हस्तक्षेप क्यों नहीं करते हैं। इसे रोकते क्यों नहीं हैं…

Barkat

Wanna success...

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