Waterman: कहानी वाटरमैन की जिनके जज्बे को देश सलाम कर रहा, 26 साल से बुझा रहे हैं लोगों की प्यास

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Waterman: आज की तेज रफ्तार जिंदगी में जहां हर कोई अपने लिए जी रहा वहीं हमारे आसपास कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनकी दरियादिली किसी दिखावे की मोहताज नहीं है। ऐसे लोग किसी नेक काम को किसी लोकप्रियता अथवा लाइमलाइट के लिए न करके दिल के सुकून के लिए करते हैं । ऐसे बड़े दिलवालों के दिल से निकले नेक काम लोगों के दिलों तक पहुंचते हैं। इसीलिए ऐसे निस्वार्थ भाव से काम करने वाले लोगों की पहचान भले ही देर में बने किंतु ऐसे लोग सीधा दिल मे जगह बनाते हैं । आज हम आपको ऐसे ही एक व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे जिन्होंने मानव सेवा का ऐसा तप किया जो 26 साल से अनवरत आज भी जारी है ।

कौन हैं ये Waterman

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लोगों के बीच Waterman और जलदेवता के नाम से प्रसिद्ध इन शख्स का नाम शंकरलाल सोनी है । जो नहीं जानते उनकी जानकारी के लिए बता दें कि ये जबलपुर के रहने वाले हैं जबकि जो लोग इन्हें जानते हैं वो अब इनसे इतने घुल मिल गए हैं कि इन्हें ही चलता फिरता प्याऊ कहकर पुकारते हैं । हो भी क्यों न आखिर 26 साल से वह प्यासों को पानी जो पिला रहे हैं वो भी बगैर पैसे लिए । आज की दौड़ती भागती जिंदगी में न तो इतना किसी के पास समय ही होता है न ही लोगों में अब इतना निस्वार्थ भाव बचा है ऐसे में शंकर लाल सोनी जैसे लोग नई उम्मीद जगाते हैं ।

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रोजाना 400 लीटर पिलाते हैं लोगों को पानी

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अप्रैल- मई की चिलचिलाती धूप और लू के थपेड़ों की परवाह किये बगैर शंकर लाल रोजाना साइकिल में छागल,डब्बे बांध नर्मदा नदी की ओर निकल पड़ते हैं । वहां से ये छगलों में पानी भरकर ले आते हैं और राह चलते लोगों को पानी पिलाकर प्यास बुझाते हैं । हर रोज का इनका यही नियम है जो 26 साल से अनवरत जारी है । 44-45 ℃ तापमान और आग उगलती गर्मी के बीच इनका निस्वार्थ भाव और हौसला अनुकरणीय है ।

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लोगों को पानी पिलाकर मिलता है सुकून- शंकर लाल

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संस्कारधानी जबलपुर की सड़कों पर चलते हुए और साइकिल में आगे-पीछे “चलता फिरता प्याऊ और जल है तो कल है‘ लिखी हुई तख्तियां लगाए शंकर लाल सोनी अब 68 वर्ष के हो गए हैं। जब इन्होंने मानव सेवा हेतु इस मार्ग को चुना था तब इनकी उम्र 42 वर्ष थी । 26 सालों से अनवरत रूप से जारी इस नेकी को शंकर लाल कोई नाम नहीं देते । वह पूछने पर बस इतना ही कहते हैं कि उन्हें थके-हारे लोगों को पानी पिलाकर दिल से सुकून मिलता है । इसके लिए न तो वह किसी से पैसा मांगते हैं न ही किसी से पैसे स्वीकार करते हैं ।

उनको इस कार्य के लिए प्रेरणा कहाँ से मिली यह तो वो ही जानते हैं किंतु वह कहते हैं ,” एक बार प्यास से व्याकुल होते हुए मैंने किसी से पानी मांगा तो उसने मुझे पानी पिलाने की बजाय दुत्कार कर भगा दिया । तभी से यह मन मे आया कि मेरे जैसे कितने ही लोग होंगे जिनके साथ हर रोज इस तरह की घटनाएं होती हैं । तभी से मैंने यह ठान लिया कि प्यासों को पानी पिलाना है ताकि उन्हें मेरी जैसी स्थिति का सामना न करना पड़े। “ शंकर लाल जी के बारे में जो भी सुन रहा है उनकी तारीफ करते नहीं थकता । लोग शंकर लाल जी के हौसले को सलाम कर रहे हैं साथ ही उन्हें उनके इस नेक काम के लिए दुआएं भी दे रहे हैं ।

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