चर्चित रूहानी उस्ताद रविशंकर ने ऐसा क्या कहा कि सोशल मीडिया पर उनकी जमकर खिल्ली उड़ाई गई

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क्या आपको पता है कि ऑस्ट्रेलिया का ऑस्ट्रेलिया नाम कैसे पड़ा। शायद नहीं पता होगा आपको यह पता करने के लिए चर्चित रूहानी उस्ताद रविशंकर से मिलना चाहिए। वह हमारे इतिहास और पृथ्वी के इतिहास के बारे में इतना कुछ जानते हैं कि और किसी को इतिहास के बारे में इतनी जानकारी नहीं है। वास्तव में मुझे भी आज ही आस्ट्रेलिया के बारे में इतना ज्ञान प्राप्त हुआ है तो सोचा कि अभी समस्त दुनिया ही नहीं हमारे भारत में भी इस राज का किसी को पता नहीं है तो इस राज से अवगत करा दूं।

रूहानी बाबा का ऐतिहासिक ज्ञान :-

रुहानी उस्ताद रविशंकर की बात से इतिहास भी भौचक्का रह गया :-

रुहानी उस्ताद रविशंकर अपने अनुयायियों को प्रवचन जैसा कुछ सुना रहे थे तभी एक अनुयाई ने पूछा कि श्रीमान पहले ब्रह्मास्त्र जैसे इतने पावरफुल अस्त्र थे तो इन अस्त्रों को रखा कहां जाता था। तभी रविशंकर ने जो जवाब दिया उसे सुनकर तो इतिहास भी सोचने लगा होगा कि ऐसा कब हुआ। रूहानी उस्ताद रविशंकर ने जवाब दिया की महाभारत में अस्त्रालय का उल्लेख है जिससे बाद में आस्ट्रेलिया नाम दिया गया। उन्होंने अपने अनुयायियों से कहा कि ऑस्ट्रेलिया के बीच मैं मरुस्थल है जहां ना कोई जीव जंतु पाया जाता है और ना ही पेड़ पौधे वैज्ञानिकों का कहना है कि वहां कई साल पहले न्यूक्लियर धमाका हुआ होगा । और ऑस्ट्रेलिया की जनसंख्या समुद्र के किनारे किनारे पर रहती है बीच का भाग खाली होता है वही पावरफुल वेपन्स रखे जाते थे ।

अनुयायी तो बेचारे अनुयायी होते हैं वह तो विश्वास करेंगे ही उन विचारों को क्या पता कि रविशंकर जी ऐसा इतिहास बता रहे हैं जो कभी लिखा ही नहीं गया। फिर क्या था रुहानी उस्ताद रविशंकर की यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई फिर सोशल मीडिया तो सोशल मीडिया है किसी को नही बक्शती । बाबाजी हो गए जमकर ट्रोल।

फिर क्या था ट्रोलर्स ने रवि शंकर बाबा जी की जमकर खिल्ली उड़ाई और कई ट्वीट किए-

“ऑस्ट्रेलिया ” नाम का सीधा-सीधा इतिहास :-

हमारे चर्चित रूहानी उस्ताद रविशंकर जी ने तो ऑस्ट्रेलिया का उल्टा सीधा इतिहास अपने अनुयायियों को बता दिया लेकिन हमें इतिहास को सीधा सीधा जान लेना जरूरी है क्योंकि भविष्य में कोई भी इसको उल्टा सीधा ना कर पाए।

यूरोपियन  लोग जो समुद्र की यात्राएं किया करते थे उन्होंने पूरा विश्वास जताया था कि दक्षिण गोलार्ध में एक बहुत बड़ी भूमि है जिसे यूरोपीय खोजी लोगों  ने ” टेरा आस्ट्रेलिया इनकॉग्निटा” या ‘अननोन साउथलैंड‘ नाम दिया था। इसके बाद 1803 में 1 महाद्वीप के करीब इंग्लिश यात्री भी आए थे और 1804 में इस महाद्वीप का नक्शा अपने हाथों से बनाया और ‘ऑस्ट्रेलिया‘  नाम दिया।

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ ऑस्ट्रेलिया (NIA) के मुताबिक 1545 में प्रकाशित एक पुस्तक में ऑस्ट्रेलिया का नाम ऑस्ट्रेलिया ही दिया गया है। किसी भी वेद पुराण या कोई भी पुस्तक में आस्ट्रेलिया का नाम ‘अस्त्रालय’ नहीं दिया गया है।

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