कागजों में तालाब, हकीकत में बस गई कॉलोनिया Gorakhpur Latest News

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नगर निगम क्षेत्र में जल स्रोतों की सिटी स्थिति (1951के अनुसार),

पोखरा -11, पोखरी -42, तलाब -6 ,

ताल -16, गडहा -62, गडही-101,

यहा कभी ताल पोखरों का शहर हुआ करता था। भूजल की यहां कोई कमी नहीं थी। लगभग हर मोहल्ले में पुखरा या पोखरी नजर आ ही जाती थी, लेकिन स्थिति अब बदल गई है। उनमें से अधिकतर का अस्तित्व केवल कागजों में है। हकीकत में इन पर कॉलोनी बस चुकी है ।

नगर निगम क्षेत्र में 1951 तक करीब 2 सौ से अधिक ताल पोखरे थे।10 साल पहले कराए गए सर्वे में इसकी संख्या 100 के करीब आ गई थी और अब यह 70 से भी कम है। कई बड़े ताल को भूमाफिया ने पूरी तरह पाट कर जमीन बेच डाली।

खरीदने वाले वहां मकान भी बनवा चुके हैं। कई ताल पोखरे को तो नगर निगम ने कूड़े से पाट दिया। ताल सुमेंर सागर का मामला इन दिनों सुर्खियों में है।

17 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल वाले इस ताल का भौतिक अस्तित्व लगभग समाप्त हो चुका है।जैसे-जैसे ताल पोखरे का अस्तित्व समाप्त होते जा रहा है, भूजल की समस्या भी गहरा की जा रही है।

जागा प्रशासन, कर रहा है कार्रवाई

साल दर साल अतिक्रमण के बाद आखिरकार प्रशासन की नींद टूटी है।शहर में ताल पोखरे को चिन्हित किया जा रहा है। एक सूची भी बनाई गई है। ताल सुमेर सागर से कार्रवाई की शुरुआत भी हो चुकी है। यहां कई रसूखदारो ने तत्कालीन अधिकारियों की मिलीभगत से अतिक्रमण किया और जमीन बेच दी।

गोरखपुर विकास प्राधिकरण में नक्शा भी पास कर दिया था, लेकिन जिला प्रशासन ने यहां के पक्के निर्माण ध्वस्त करा दिए हैं और नए सिरे से ताल को पुराने स्वरूप में विकसित करने की तैयारी चल रही है। धीरे-धीरे अन्य ताल पोखरे पर हुआ अतिक्रमण के खिलाफ भी कार्रवाई होगी। रामगढ़ताल के वेटलैंड में हुए अतिक्रमण को भी खाली कराने की तैयारी।

मनरेगा के तहत खुदवाए गए 600 पोखरी

जिला में मनरेगा के तहत करीब 600 पोखरी खुदवाए गए हैं। पहले से खुदवाए पोखरे भी सुरक्षित है। लगातार बारिश से उनमें पानी भर गया है। वन विभाग जिले में कई स्थान पर नगर चेक डैम बनवाने पर विचार कर रहा है। इसके साथ ही तलाब भी खुदवाए जाएंगे। प्रभागीय वन अधिकारी अविनाश कुमार ने बताया कि इसके लिए प्रस्ताव भेज दिया गया है।

ज्वाइंट मजिस्ट्रेट सदर गौरव सिंह सोंगरवाल का कहना है कि—“शहर क्षेत्र के ताल पोखरी की सूची तैयार कराई जा रही है। ताल सुमेर सागर में अतिक्रमण खाली कराया गया है, अन्य जगहों पर भी अभियान चलेगा। जल सूत्रों को पूरी तरह सुरक्षित रखा जाएगा।

Brijendra Kumar

Founder and Chief Editor

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