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आज से ग्राहकों को मिलेंगे कई और हक व अधिकार

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पीआईएल या जनहित याचिका अब कंज्यूमर फोरम में दायर की जा सकेगी। पहले के कानून में ऐसा नहीं था।

नए कानून में ऑनलाइन और टेलीशॉप कंपनियों को भी शामिल किया गया है।

खाने पीने की चीजों में मिलावट करने वाली कंपनियों पर जुर्माना और जेल का प्रावधान।

उपभोक्ता मध्यस्थता सेल का गठन। दोनों पक्ष आपसी सहमति से मध्यस्थता का विकल्प चुन सकेंगे।

कंज्यूमर फोरम में 1 करोड़ रुपए तक के केस और राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में एक करोड़ से 10 करोड़ तक के केस ,

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में 10 करोड़ रुपए से ऊपर के केस की सुनवाई,

सिनेमा हॉल में खाने पीने की वस्तुओं पर ज्यादा पैसे लेने की शिकायत पर होगी कार्रवाई,

कैरी बैग के पैसे वसूलना कानूनन गलत,

उपभोक्ता अधिकारों को नई ऊंचाई देने वाले उपभोक्ता संरक्षण कानून, 2019 के प्रावधान सोमवार से प्रभावी हो जाएंगे। उपभोक्ता संरक्षण कानून, 1986 का स्थान लेगा।

नए कानून के तहत उपभोक्ता किसी भी उपभोक्ता अदालत ने मामला दर्ज करा सकेगा। भ्रामक विज्ञापनों पर जुर्माना एवं जैसे प्रावधान बीच में जोड़े गए हैं। पहली बार ऑनलाइन कारोबार को भी इसके दायरे में लाया गया है।

पहले इस कानून को जनवरी में लागू किया जाना था , इसे बाद में मार्च कर दिया गया ।मार्च में कोरोनावायरस के प्रकोप और लॉक डाउन के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका था। अब 20 जुलाई से सरकार ने इसे लागू करने का नोटिफिकेशन जारी किया है। इसके लागू हो जाने के बाद उपभोक्ता की शिकायत पर तुरंत कार्रवाई शुरू हो जाएगी।खासकर अब ऑनलाइन कारोबार में उपभोक्ता के हितों की अनदेखी भी उन कंपनियों पर भारी पड़ सकती है।

नए कानून में भ्रामक विज्ञापनों पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान है। इस कानून के तहत उपभोक्ता विवादों को समय पर, प्रभावी और त्वरित गति से सुलझाया जाएगा।नए कानून के तहत उपभोक्ता अदालतों के साथ-साथ एक केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) के गठन का ही प्रभाव है.

इसका मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करना होगा। इसके साथ-साथ अनुचित व्यापारिक गतिविधियां, चमक विज्ञापनों और उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित मामलों को भी सीसीपीए देखेगा और त्वरित निपटारा करेगा।

इस प्राधिकरण के पास अधिकार होगा कि वह भ्रामक या झूठे विज्ञापन जैसे -लक्ष्मी धन वर्षा यंत्र बनाने वाले और उनका प्रचार-प्रसार करने वालों पर जुर्माना लगाएं। इस प्राधिकरण के पास 2 से लेकर 5 साल तक की कैद की सजा सुनाने और 50 लाख रुपए तक जुर्माना वसूलने का अधिकार होगा।

अधिक मूल्य वसूलने, अनुचित व्यवहार करने, जीवन के लिए खतरा और दोषपूर्ण वस्तुएं और सेवाएं बेचने के मामले में शिकायत की सुनवाई उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (सीडीआरसी) में होगी।

उपभोक्ता संरक्षण कानून, 2019 लागू हो जाने के बाद उपभोक्ता किसी भी उपभोक्ता अदालत में मामला दर्ज करा सकेगा।

Brijendra Kumar

Founder and Chief Editor

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