national Voters’ Day: भारत में प्रत्येक वर्ष 25 जनवरी को मनाया जाता है। इस महत्त्वपूर्ण दिवस का आयोजन सभी भारतवासियों को अपने राष्ट्र के प्रति कर्तव्य की याद दिलाता है और साथ ही यह भी बताता है कि हर व्यक्ति के लिए मतदान करना जरूरी है।
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‘भारत निर्वाचन आयोग’ का गठन 25 जनवरी, 1950 को हुआ था। ‘भारत सरकार’ ने राजनीतिक प्रक्रिया में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए निर्वाचन आयोग के स्थापना दिवस ’25 जनवरी’ को ही वर्ष 2011 से ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ के रूप में मनाने की शुरुआत की थी।
25 जनवरी, 2015 को ‘सरल पंजीकरण और सरल सुधार’ थीम के साथ पाँचवाँ ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ है। ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ के पीछे निर्वाचन आयोग का उद्देश्य अधिक मतदाता, विशेष रूप से नए मतदाता बनाना है। इसके लिए इस अवसर को सार्वभौम वयस्क मतदान को पूर्ण वास्तविकता बनाना और इस प्रकार भारतीय लोकतंत्र की गुणवत्ता को बढ़ाना है। यह दिवस मतदाताओं में मतदान प्रक्रिया में कारगर भागीदारी के बारे में जानकारी फैलाने के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।
पूर्व राष्ट्रपति ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ने वर्ष 2012 में विज्ञान भवन में द्वितीय राष्ट्रीय मतदाता समारोह की अध्यक्षता की थी और दिल्ली के नए एवं पंजीकृत 20 मतदाताओं को सचित्र मतदाता पहचान पत्र प्रदान किये। ये मतदाता समाज के विभिन्न वर्गों से लिए गए थे और उन्हें एक बैज भी दिया गया था, जिस पर अंकित था “मतदाता होने का गर्व – मतदान के लिए तैयार”। इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों को ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ की शपथ भी दिलाई गई। डॉ. कलाम ने ज़िला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ), पुलिस अधीक्षकों (एसपी) को सर्वोत्तम निर्वाचन प्रक्रिया अपनाने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों से और डीईओ/एसपी के अलावा अन्य अधिकारियों को सर्वोत्तम निर्वाचन प्रक्रिया अपनाने में असाधारण कार्य करने के लिए विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया।
भारत में मतदान आधारित लोकतंत्र के लिए 25 जनवरी पहले से ही एक ऐतिहासिक अवसर है। मतदाताओं के पंजीकरण संबंधी खबरों के अनुसार देशभर में लगभग 3.83 करोड़ नए पंजीकरण किए गए। इनमें से 1.11 करोड़ मतदाता 18-19 वर्ष आयु समूह के हैं, जो 1 जनवरी, 2012 को बनाये गए। यह मतदाता योग्यता की तिथि है। पिछले वर्ष 52 लाख युवा मतदाता बनाए गए थे, जिन्होंने 18 वर्ष की आयु प्राप्त कर ली थी। यह विश्व में किसी स्थान पर एक दिन में युवाओं के सबसे बड़े सशक्तीकरण को लक्षित करता है।
हर वर्ष 1 जनवरी को 18 वर्ष के होने वाले सभी मतदाताओं की पहचान की जाये। पंजीकरण के अलावा मतदाता सूची में शामिल किये गये इन मतदाताओं को निम्न शपथ दिलाई जाए
“हम भारत के नागरिक, लोकतंत्र में आस्था रखने वाले शपथ लेते हैं कि हम देश की स्वतंत्रत, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराने की लोकतांत्रिक परम्परा को बरकरार रखेंगे। प्रत्येक चुनाव में धर्म, नस्ल, जाति, समुदाय, भाषा आधार पर प्रभावित हुए बिना निर्भीक होकर मतदान करेंगे।”
‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए नए योग्य मतदाताओं तक पहुंचने और 1 जनवरी, 2012 को किए गए मतदाताओं की संशोधित सूचियों में उन्हें पंजीकृत करने के लिए देशभर में एक विशेष अभियान चलाया गया। सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को आयोग ने निर्देश दिए कि 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने वाले प्रत्येक युवा को मतदाता बनाया जाय। आयोग ने इस बात पर जोर दिया कि अधिक से अधिक महिलाओं को मतदाता बनाने के लिए विशेष अभियान शुरू किए जाएं।