हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने गरीब मेधावी छात्रों के करियर को संवारने के लिए केंद्र व राज्य सरकार से सवाल पूछा है कि जो छात्र जीईई, नीट, क्लैट इत्यादि परीक्षाओं में सफल हो कर अच्छे से अच्छे संस्थानों में अपना एडमिशन ले लेते हैं, लेकिन अपनी आर्थिक स्थिति के कारण फीस भरने में असमर्थ होते हैं। उनके लिए सरकार द्वारा क्या योजनाएं अथवा निधि की व्यवस्था की गई है। इस मामले की अगली सुनवाई के लिए न्यायालय नए 20 दिसम्बर की तिथि नियत करते हुए, सत्ता अधिकारियों से जवाब देने का आदेश दिया है।
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छात्रा संस्कृति रंजन की याचिका पर न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने यह आदेश दिया है। उल्लेखनीय है कि उक्त छात्रा की मेधा से प्रभावित होकर न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने 29 नवम्बर को उसकी फीस के 15 हजार रुपये, याचिका पर सुनवाई के दौरान दे दिए थे। साथ ही ज्वॉइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी व आईआईटी बीएचयू को भी निर्देश दिया था कि छात्रा को तीन दिन के अंदर ही दाखिला दिया जाए और यदि सीट न खाली हो तो उसके लिए अलग से सीट की व्यवस्था भी की जाए। न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए छात्रा को बीएचयू ने दाखिला दे दिया है।
महाराष्ट्र के मुम्बई की डॉक्टर सोनल चौहान ने न्यायालय में एक प्रार्थना पत्र दाखिल करते हुए, छात्रा संस्कृति रंजन की आईआईटी की पढाई की जिम्मेदारी उठाने की इच्छा जाहिर की थी। न्यायालय में मौजूद छात्रा ने इसके लिए डॉ. सोनल चौहान का बहुत आभार भी जताया है। वहीं छात्रा के लिए न्यायालय की ओर से नियुक्त किए गए अधिवक्ता सर्वेश दूबे ने न्यायालय को बताया कि आईआईटी के बहुत सारे पूर्व छात्रों व हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं ने भी छात्रा की पढाई ककी जिम्मेदारी उठाने की इच्छा जाहिर की है। न्यायालय ने ऐसे सभी लोगों की प्रशंसा की है।