जिसके लिए सरकार या कोर्ट नहीं हम खुद जिम्मेदार हैं|

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हर साल दीपावली के मौके पर आग से, पटाखों से, विस्फोटो से संबंधित कई घटनाएं होती हैं लेकिन इसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी आपके लिए जिम्मेदार हैं क्या पटाखों और विस्फोटकों के अलावा त्यौहार नहीं मनाया जा सकता है। बिना पटाखों के भी त्यौहार मनाया जा सकता है लेकिन आम नागरिक गैर जिम्मेदार हैं और ऐसा करके वह खुद के पांव पर कुल्हाड़ी गिराते हैं।

पटाखों में हुए विस्फोट से पिता-पुत्र की मौत :-

तमिलनाडु में रहने वाला एक व्यक्ति पांडिचेरी से कुल्लूपरम आ रहा था। उसने दीपावली पर पटाखे खरीदें और अपने घर लौट रहा था उसने अपनी बाइक पर झूले को रखा और झूले पर बच्चे को बिठाया और खुद गाड़ी चलाने लगे। तभी कुछ ऐसा हुआ कि थैले में रखे पटाखों में विस्फोट हो गया और जिसके कारण पिता पुत्र की मौत हो गई और आस पास बाइक सवार भी घायल हो गए जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इन पटाखों के विस्फोट की इंटेंसिटी इतनी ज्यादा थी कि लग ही नहीं रहा है कि यह पटाखों का विस्फोट है सीसीटीवी फुटेज में दिखाई दे रहा है कि यह विस्पोट कितना भयंकर था।

पटाखों के विस्फोट से अयोध्या में मकान की छत उड़ी :-

पटाखों के विस्फोट उड़ी मकान की छत

अयोध्या में एक मकान में रखें पटाखों में विस्फोट हुआ जिसके कारण मकान की सारी छत ही उड़ गई। यह सुनने में और देखने में बहुत ही आश्चर्यजनक बात है लेकिन यह सच्चाई है। इसमें किसी और का दोष नहीं है इसमें हमारा आपका ही दोस्त है क्योंकि यह हमारी जिम्मेदारी है कि हमें पटाखे नहीं जलाने चाहिए यह कोई जरूरी रिवाज नहीं है। लेकिन आम जनता मानती कहां है। पटाखों से कुछ भी अच्छा नहीं होता इससे पर्यावरण को हानि तो होती ही है साथ में मानव स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। इस विस्फोट में 2 लोग घायल हुए हैं। पटाखे की इतनी इंटेंसिटी की घर की मकान की छतें उड़ जा रही हैं तो इन्हें पटाखा नाम देना गलत है इन्हें बम कह सकते हैं जो आतंकवादी जनधन की हानि के लिए प्रयोग करते हैं।

दीपावली के मौके पर देश में कई जगहों पर लगी आग :-

पटाखों की बाजार में लगी आग

यह सिर्फ इसी साल की बात नहीं है हर साल दीपावली के मौके पर देश में कई जगहों पर आग लग जाती हैं और लोग आग की चपेट में भी आ जाते हैं। कई बार पटाखों की फैक्ट्रियों में आग लग जाती है और कई बार पटाखों की दुकानों में आग लग जाती हैं। कई बार पटाखे जलाते समय लोग भड़क जाते हैं और कभी आगे की चपेट में आकर लोग पूरे जाते हैं। हर साल सुप्रीम कोर्ट से गाइडलाइन आती है कि पटाखे नहीं फोड़े जाएंगे । लेकिन आम नागरिक सुप्रीम कोर्ट की अनसुनी इतनी आतिशबाजी करते हैं कि दीपावली के बाद वायु गुणवत्ता बिल्कुल खतरे के निशान से भी ऊपर चली जाती है।

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Tags: Diwalipataka

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