लगभग 1 साल से किसान आंदोलन चल रहा है। किसानों की तरफ से और सरकार की तरफ से कोई भी रास्ता नहीं निकल पाया है। किसान कह रहे हैं कि काले कानून वापस करो और सरकार अपने रुख पर अड़ी हुई है कि काले कानून वापस नहीं होंगे। 2022 में उत्तर प्रदेश में चुनाव है। यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि किसानों के उत्तर प्रदेश लखनऊ में आंदोलन करने से चुनाव पर क्या प्रभाव पड़ेगा । उत्तराखंड में बीजेपी के हार जाने पर राकेश टिकैत ने चुटकी ली थी कि किसानों की बनाई हुई दवाई काम कर रही है।
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उत्तर प्रदेश में 2022 के चुनाव की तैयारियां चल रही हैं। इस बीच 9 नवंबर को राकेश टिकैत ने ट्वीट करके कहा कि — “ऐतिहासिक होगी लखनऊ में आयोजित 22 नवंबर की किसान महापंचायत । SKM की यह महापंचायत किसान विरोधी सरकार और तीनों काले कानूनों के विरोध में ताबूत में आखिरी कील साबित होगी। अब पूर्वांचल में भी और तेज होगा अन्नदाता का आंदोलन ।” चुनावी मौसम है और किसानों का इस प्रकार लखनऊ में आकर आंदोलन करना बीजेपी के लिए हार साबित हो सकता है। इसलिए बीजेपी पार्टी ने भी राकेश टिकैत के विरोध में भाजपा की ओर से बीजेपी किसान मोर्चा रैली को निकालने का निर्णय ले लिया है। इस रैली में शामिल लोग जनता को बताएंगे कि सरकार ने किसानों के लिए क्या-क्या योजनाएं चलाई हैं और इसके क्या-क्या लाभ मिले हैं। और मिल रहे हैं। भाजपा की तरफ से इस रैली की तारीख 16 से 30 नवंबर के बीच निकालने का निर्णय लिया है। बीजेपी किसान मोर्चा रैली उत्तर प्रदेश के मऊ जिले से प्रारंभ की जाएगी।
भारतीय किसान यूनियन राकेश टिकैत ने कहा कि- वे 22 नवंबर को लखनऊ आ रहे हैं। सरकार उनका स्वागत करने का इंतजाम करें। इस पर जनता को वह ट्विटर ध्यान आ गए जो कुछ महीने पहले सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। जिसमें राकेश टिकैत की चोटी पकड़ योगी जी घसीटते ले जा रहे हैं। और किसान आंदोलन में शामिल किसानों को उत्तर प्रदेश में आंदोलन करने के संबंध में योगी जी ने कहा था कि आंदोलन नेताओं को लखनऊ और दिल्ली का फर्क समझना चाहिए । दिल्ली देश की राजधानी है और लखनऊ उत्तर प्रदेश की। यह महसूस करना होगा। किसान यहां आएगा तो उसका स्वागत होगा । कानून के साथ खिलवाड़ करेगा तो उस तरीके से भी उसका स्वागत होगा।
अब बात रह गई है 22 नवंबर की तो देखते हैं कि 22 नवंबर को क्या होना है। एक ओरकिसान आंदोलन में शामिल किसान और दूसरी तरफ बीजेपी किसान मोर्चा के लोग। क्योंकि सरकार अपनी पोल ढांकना चाहेगी। और किसान आंदोलन में किसान सरकारी नीतियों की, किसानों की दुर्दशा की पोल खोलेंगे।