National Medical Council : किसी भी समाज के लिये सबसे ज्यादा जरूरी होती है शिक्षा,परंतु भारतीय व्यवस्था कुछ इस तरह परिवर्तित होती चली जा रही है कि शिक्षा पाना सबके लिये सम्भव नहीं लग रहा क्योंकि शिक्षण संस्थानों के संचालन उच्च कोटि की शिक्षा के नाम पर अनाप सनाप फीस वसूल कर गरीबों को शिक्षा से दूर कर देते हैं यही हाल मेडिकल के क्षेत्र में भी था परंतु कल देर शाम नेशनल मेडिकल काउंसिल द्वारा जारी निर्देश के बाद अब यह समस्या दूर हो सकेगी,जाने क्या है पूरा मामला।
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आमतौर पर निजी मेडिकल कॉलेज अपनी फीस स्वयं निर्धारित करते थे इसलिये वह मनचाही फीस वसूलते थे और कोई किसी तरह का विरोध नहीं कर पाता था परंतु अब नेशनल मेडिकल काउंसिल ने निर्देश दिये हैं कि निजी मेडिकल कॉलेज की 50 फीसदी सीटों पर अब वही शुल्क लिया जायेगा जो सरकारी कॉलेज में ली जा रही है।
इस निर्देश के प्रभावी होने से उन छात्रों को लाभ मिल सकेगा जो आर्थिक रूप से कमजोर होने की वजह से अच्छी शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाते थे।
यूँ तो National Medical Council ने अपने निर्देश जारी कर दिये हैं पर यह निर्देश कब से प्रभावी होगे इस पर संशय बना हुआ है क्योंकि यह जानकारी अभी तक कॉउंसिल ने सार्वजनिक नहीं की है।
आपको बता दें कि यह निर्णय विशेषज्ञों की एक समिति की रिपोर्ट के बाद लिया गया है,यह रिपोर्ट कॉउंसिल को 29 दिसम्बर 2021 को दी गयी थी,जिस पर यह निर्देश आया है उम्मीद है जल्द ही इसे प्रभावी भी किया जायेगा।
आपको बता दें कि कॉउंसिल ने सिर्फ 50 फीसदी सीटों के लिये ही दिशा निर्देश कारी नहीं किये हैं अपितु शेष सीटों के संदर्भ में भी निर्देश जारी किये हैं,कॉउंसिल के अनुसार शेष बची 50 फीसदी सीटों की फीस का निर्धारण राज्य फीस निर्धारण प्राधिकरण के तहत किया जायेगा जिसमे न लाभ,न हानि का फॉमूला अपनाया जायेगा, अर्थात अब संस्थान बिज़नेस की तरह कार्य नही कर पायेंगे।
आपको बता दें कि फीस सम्बन्धी नियम बनाकर दिशा निर्देश जारी करने का अनुरोध दिल्ली राज्य से केंद्र सरकार ने किया था जिसके बाद 23 नवम्बर 2019 को एक समिति का गठन किया गया था ,इस समिति ने 26 बिंदुओं पर अपनी सिफारिशी रिपोर्ट नेशनल मेडिकल काउंसिल को सौंपी थी जिसे 25 मई 2021 को वेबसाइट पर अपलोड किया गया था,जिस पर कुल 1800 प्रतिक्रियाएं मिली थी और उन सबको ध्यान में रखते हुये अंतिम रिपोर्ट 29 दिसम्बर 2021 को तैयार हुई थी।
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फीस के नाम पर लूट खसोट सिर्फ National Medical Councilके क्षेत्र की ही समस्या नहीं है बल्कि यह हर क्षेत्र में व्याप्त है अतः अब कई अलग अलग संगठन व व्यक्ति इस बात की आवाज उठा रहे हैं कि यह नियम हर विभाग में तथा हर राज्य में लागू होना चाहिये।
बहरहाल इन निर्देशों की अंतिम प्रतिकयायें इसके प्रभावी होने के बाद ही सामने आयेंगी।