UNSC: आखिर क्या है वीटो पावर? जिसको रुस ने बना लिया ढाल!

Published by
UNSC

UNSC: यूक्रेन पर आक्रमण के कारण रूस के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक प्रस्ताव लाया गया, इस प्रस्ताव को रोकने के लिए रूस ने अपने वीटो पावर को ढाल बनाकर  इस्तेमाल किया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में लाए गए इस प्रस्ताव के अनुसार मॉस्को से यूक्रेन पर हमला रोकने और  सैनिकों को वापस बुलाने की मांग रखी गई थी। इस प्रस्ताव के पक्ष में 11 और विपक्ष में सिर्फ एक मत (रूस का) पड़ा था। जबकि यूएई, चीन और भारत ने वोट करने से परहेज किया। तो चलिए जानते हैं कि आखिर वीटो क्या है  और कैसे इसका इस्तेमाल करके कुछ देश खुद को कई बार पाबंदियों से भी बचा चुके हैं?

 क्या है वीटो पावर?

UNSC वीटो पावर का अर्थ यह है कि अगर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों में से अगर कोई भी किसी प्रस्ताव के खिलाफ अपना वोट डालता है तो उस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी जा सकती है। यूनाइटेड किंगडम,संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, चीन और सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक में पांच देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य देश हैं। इन सभी पांचों देशों के पास वीटो पावर मौजूद है।

Farmani Naaz का ये था पहला गाना, जो खूब वायरल हुआ था

जहरीली टॉफी खाने से चार बच्चों की मौत, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिए जांच के आदेश

वीटो का सबसे अधिक उपयोग करने वाला देश

UNSC

साल 1992 के बाद से, रूस ही वीटो का सबसे अधिक बार उपयोग करने वाला देश है। रुस के बाद चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका का नंबर आता है। रूस ने फरवरी 2022 तक 118 बार अपने वीटो पावर का इस्तेमाल किया है। वहीं अमेरिका 82 बार, यूके 29 बार, चीन 17 बार और फ्रांस 16 बार इसका इस्तेमाल कर चुका है।

भारत को भी मिल चुका है वीटो का लाभ

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस ने भारत के समर्थन में कई बार ‘वीटो’ का इस्तेमाल किया है। पहली बार 1957 में कश्मीर मुद्दे पर रूस ने भारत के लिए वीटो पावर का उपयोग किया था। उस बाद 1961 में रूस ने भारत के पक्ष में वीटो किया और परिणाम स्वरूप गोवा आजाद हुआ था। इसी तरह  साल 1971 में भी रूस ने भारत के पक्ष में वीटो को ढाल बनाया था।

Recent Posts