Tribal Girls Playing Cricket: आदिवासी लड़कियों ने क्रिकेट खेल कर तोड़ी सामाजिक मान्यताएं, हासिल किया बड़ा मुकाम

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Tribal Girls Playing Cricket: भारतीय समाज में अगड़ा-पिछड़ा और ऊंच-नीच का शुरू से ही बोलबाला रहा है।खासकर आदिवासी समुदाय के संदर्भ में।
आदिवासी समुदाय को प्रायः पूरे समाज से अलग-थलग रखा जाता है। तथा इन्हें बहुत अधिक महत्व नहीं दिया जाता। लेकिन जैसे-जैसे इस समुदाय के लोग तरक्की कर रहे हैं। और सामाजिक कुरीतियों की मान्यताओं को तोड़ रहे हैं। वैसे-वैसे आदिवासी समुदाय को समाज में महत्व मिलना शुरू हो रहा है, ऐसा ही कुछ महत्व आदिवासी समुदाय की कुछ लड़कियों ने क्रिकेट खेल कर हासिल किया। जिसके बारे में आज हम आप सभी को बताने वाले हैं।

मध्य प्रदेश की है, घटना

Tribal Girls Playing Cricket

हम आपको जिस घटना के बारे में बताने वाले हैं। वह भारत के मध्य प्रदेश राज्य से संबंधित है। मध्य प्रदेश के हरदा जिले की 70% आबादी आदिवासी समुदाय से हैं। इसी जिले की कुछ लड़कियों ने क्रिकेट क्षेत्र में कीर्तिमान हासिल कर समाज की धारणाओं को बदल दिया और एक नया मुकाम हासिल किया है। और आज इन लड़कियों से शिक्षा लेकर आदिवासी समुदाय की अन्य लड़कियां वह समाज के अन्य तबके के जो स्वयं को पिछड़ा महसूस करते थे। वह आगे आ रहे हैं, और अपनी रूचि के अनुसार कार्य करते हुए आगे बढ़ रहे हैं।

सिनर्जी संस्थान ने चलाई मुहिम

इस पूरे वाक्य की शुरुआत कैसे हुई यह जानने के लिए हमें सिनर्जी संस्थान को जानना होगा। आपको बता दें, कि आदिवासी लड़कियों का यूनिफार्म में क्रिकेट खेलना आसान नहीं था। लेकिन इस प्रकार के लैंगिक भेदभाव को दूर करने के लिए सीलर्जी संस्थान ने चेंज मूलर कार्यक्रम शुरु किया। और इस कार्यक्रम के तहत उन्होंने लड़कियों की रूचि तलाशी गयी। तथा उन्हें उसी दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया और इसी प्रकार उनकी प्रेरणा से लड़कियों ने पहले अपने परिवार का भरोसा जीता और फिर समाज का और शुरु हो गई, लड़कियों के आगे बढ़ने की कहानी और क्रिकेट खेल कर उन्होंने अपनी अलग पहचान बना ली।

मुस्लिम लड़कियां भी आई आगे

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जब सिनर्जी संस्थान इन लड़कियों को सामाजिक मान्यताओं को तोड़कर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहा था तो इन लड़कियों द्वारा अपने परिवार को मना पाना बहुत मुश्किल कार्य था। इतना मुश्किल था, कि मात्र 2 लड़कियां ही अपने परिवार को इस खेल की अनुमति हेतु मना पाई थी। इसमें एक लड़की आदिवासी समुदाय से थी जिसका नाम था हेमा मंडराई जबकि दूसरी लड़की मुस्लिम परिवार से थी, जिसका नाम था, तोशिबा कुरेशी।

इन लड़कियों के परिवार ने इनको क्रिकेट खेलने की अनुमति दी और इन्हीं दो लड़कियों से प्रेरणा लेकर इन दोनों समाज की अन्य लड़कियां भी आगे बढ़ सकी।

हरदा क्रिकेट एसोसिएशन ने दी कोचिंग

सिनर्जी संस्थान की प्रेरणा और परिवार की अनुमति के बाद इन लड़कियों के सामने सबसे बड़ा चैलेंज एक कोच को ढूंढना था। इसमें भी सिनर्जी संस्थान ने इनकी मदद की और हरदा क्रिकेट एसोसिएशन से बात की, तमाम नियम शर्त प्रयास के बाद अंततः हरदा क्रिकेट एसोसिएशन ने इन लड़कियों को क्रिकेट की ट्रेनिंग देना स्वीकार कर लिया।

Tribal Girls Playing Cricket

Tribal Girls Playing Cricket इस प्रकार इन दो लड़कियों ने क्रिकेट का प्रशिक्षण शुरू किया। इनको देखकर 1 साल के भीतर ही इनके साथ 15 और लड़कियां शामिल हो गई और इस प्रकार के काफिला बढ़ता गया।

गुल्लक के पैसे से जुटाए संसाधन

Tribal Girls Playing Cricket सामाजिक बेड़ियों को तोड़कर आगे बढ़ने का जुनून कुछ ऐसा था। कि इन लड़कियों ने अपनी मेहनत और बचत से गुल्लक में जमा की गई राशि की मदद से अपने लिए बैट बॉल खरीदें हालांकि इसमें सिनर्जी संस्थान ने भी इन लोगों की काफी मदद की लेकिन मूल में इन लोगों का अपना श्रम और अपनी बचत के पैसे ही रहे जो पूरे समाज को प्रेरणा देने के लिए पर्याप्त है।

अनेकों संस्थान करते हैं, मदद

Tribal Girls Playing Cricket एक समय ऐसा था जब इसी समाज के लोग इन लड़कियों को यूनिफॉर्म में देखना भी पसंद नहीं करते थे। क्रिकेट खेलना तो दूर की बात थी। लेकिन इन लड़कियों की जुनून और सिनर्जी संस्थान की प्रेरणा ने समाज को इतना बदल दिया कि आज पूरा समाज इनको सहयोग करता है।

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Tribal Girls Playing Cricket जब टूर्नामेंट का समय आता है। तो वन विभाग इनके खेलने के लिए मैदान समतल करता है। तथा टेंट लगाता है, तो वही नेहरू युवा केंद्र विजेताओं के लिए स्मृति चिन्ह तैयार करता है। तथा सिनर्जी संस्थान इन लोगों को पुरस्कार देने के लिए नगद राशि की व्यवस्था करता है। इस प्रकार जो समाज कल तक इनके विरोध में था। आज इनके जज्बे और जुनून के बाद इनका सहयोगी बन गया है।

15 गांव के बीच होता है, क्रिकेट

Tribal Girls Playing Cricket दो लड़कियों से शुरू हुई, पहल आज इतना बड़ा रूप ले चुकी है। कि अब हरदा जिले में होने वाला यह टूर्नामेंट 15 गांव की लड़कियों के बीच में खेला जाता है। इस प्रकार आदिवासी समुदाय से शुरू हुई है, पहल मुस्लिम समुदाय तक पहुंच चुकी है और आदिवासी समुदाय तथा मुस्लिम समुदाय की लड़कियों ने सामाजिक बेड़ियों को तोड़कर आगे बढ़कर अपने समकक्ष अन्य लड़कियों के लिए एक प्रेरणा प्रस्तुत की थी।

आप भी आगे बढ़ सकती हैं, और मुकाम हासिल कर सकती है। बस आपको अपने पैरों में पड़ी हुई जंजीरों को तोड़ने की जरूरत है। इन लड़कियों की टीम राज्य और संभाग स्तर पर क्रिकेट खेलती है, जो बहुत ही सराहना की बात है।

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