thyroid in hindi: थायराइड ग्रंथि हमारी गर्दन के बीचो बीच होती है जो कि एक तितली नुमा आकार की एक ग्रंथि होती है। यह गर्दन के आगे मौजूद होती है। कहने को तो यह थायराइड रोग है लेकिन यह शरीर की सारी क्रियाओं में भाग लेते हैं जिससे शारीरिक सारी क्रियाएं गड़बड़ा जाती हैं।
थायराइड दो प्रकार की होती है :-
(1) Hypothroidish (2)Hypcothyoidism
Hypothroidish – हाइपो थायराइड में t- 3 और t-4 का लेवल खून में कम हो जाता है या फिर कह सकते हैं कि t-3 और t-4 हार्मोन का लेवल कम से कम हो जाने से हायपोथायराइड की समस्या हो जाती है। इस थायराइड रोग से व्यक्ति मोटा होने लगता है और थकान होने लगती है। इस थायराइड की बीमारी से रोगी को हद से ज्यादा भूख लगने लगती है और खाना खाते ही जोरों की नींद आती है।
Hypothyroidism – इसमें T- 3 और t- 4 हार्मोन का लेवल खून में बढ़ जाता है। जिससे हायपर थायराइड की समस्या उत्पन्न होती है । इसमें रोगी का वजन कम होने लगता है और व्यक्ति बिल्कुल पतला हो जाता है।
यदि हमारे शरीर में हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है तब भी थायराइड की प्रॉब्लम हो सकती है धूम्रपान किसी भी व्यक्ति को स्वस्थ नहीं रख सकता इसलिए ज्यादा धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों में चाहे वह पुरुष या महिला थायराइड की समस्या हो सकती है और थायराइड एक अनुवांशिक बीमारी भी है जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित हो जाती है।
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महिलाओं में अधिकतर हाइपोथायराइडिज्म पाया जाता है। हाइपोथायराइडिज्म के लक्षण जैसे- सुस्ती आना थकावट होना नींद आना बाल कमजोर होना ठंड लगना चिड़चिड़ापन होना कब्ज की समस्या होना और सबसे ज्यादा खास लक्षण है वजन बढ़ना। thyroid in hindi के कारण रोगी का वजन बढ़ता जाता है जिस कारण उन्हें और भी बीमारियां घेर लेती हैं। हायपरथायराइड के लक्षणों में जैसे कि दिल की धड़कन तेज होना, बहुत ज्यादा गर्मी या बहुत ज्यादा ठंड लगना, कंपन होना एवं इनकी खास लक्षण है कि तेजी से वजन कम होता जाता है और रोगी कांटे की तरह पतला होता जाता है।
वैसे तो थायराइड हार्मोन शरीर के अंदर पाया जाता है थायराइड हार्मोन की अधिकता या कमी से थायराइड रोग हो जाता है आयोडीन की कमी या अधिकता होने पर थायराइड जैसा रोग हो जाता है लेकिन एक अकेला कारण नहीं है थायराइड तनाव से या लंबे समय तक का वायरल इन्फेक्शन से भी थायराइड हो जाता है और कई बार यह है रोग अनुवांशिकता के कारण हो जाता है जैसे किसी के मां बाप दोनों या इनमें से कोई एक को भी थायराइड हो तो बच्चे को थायराइड होने की अधिक संभावना रहती है।
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अभी तक ऐसा कोई भी इलाज नहीं बना है जिससे थायराइड रोग जड़ से खत्म हो सके। लेकिन कुछ मेडिसिन ऐसी बनी है जिससे thyroid in hindi को कंट्रोल किया जा सकता है । उस पर नियंत्रण किया जा सकता है। थायराइड में मेडिसिन लेने के साथ-साथ मेडिटेशन और खानपान का भी ख्याल रखना चाहिए तथा हर डेढ महीने के बाद इसकी जांच करानी चाहिए । ताकि डॉक्टर आपके डोज को कम या ज्यादा कर सके। थायराइड की दवा के साथ हमें कुछ दवा को नहीं लेनी चाहिए। यदि लेना पड़े 3 घंटे के अंतराल में लेना चाहिए।