Success Story: कम उम्र में बड़ी कामयाबी हासिल करने वाली इस लड़की का नाम श्रद्धा धवन है. महज 23 साल की उम्र में उन्होंने सालाना 72 लाख रुपये की कमाई शुरू कर दी है और वह भी भैंस का दूध बेचकर। जबकि आज शिक्षित युवा पशुपालन जैसा पेशा अपनाने से कतराते हैं। श्रद्धा धवन की कहानी उन युवाओं के लिए एक प्रेरणा है जो सोचते हैं कि खेती या पशुपालन के माध्यम से जीविकोपार्जन करना मुश्किल है। श्रद्धा धवन उन युवतियों के लिए एक रोल मॉडल हैं जो परिवार के सदियों पुराने व्यवसाय की जिम्मेदारियों को निभाने से बचती हैं।
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Success Story of Shraddha Dhawan मूल रूप से महाराष्ट्र के अहमदनगर जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर निघोज गांव की रहने वाली हैं। उनके पिता सत्यवान धवन एक भैंस व्यापारी थे। पिता के विकलांग होने के कारण उन्हें भैंस का दूध बेचने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। साल 2011 तक पिता ने अपनी पुरानी नौकरी छोड़कर बेटी श्रद्धा धवन को जिम्मेदारी सौंप दी, जो उस वक्त महज 11 साल की थीं।
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Success Story of Shraddha Dhawan का कहना है कि भाई छोटा था और पिता मोटरसाइकिल चलाने की स्थिति में नहीं था। वह अपने पिता द्वारा सौंपी गई जिम्मेदारी को पूरा करना चाहती थी। इसलिए मैंने सबसे पहले मोटरसाइकिल चलाना सीखा। सुबह जब मेरे सहपाठी स्कूल जाने की तैयारी कर रहे थे तो मैं मोटरसाइकिल पर आस-पास के गांवों में दूध बांट देता था।
इसके बाद वह स्कूल जाती थी। श्रद्धा धवन के मुताबिक 1998 में पिता के पास 6 भैंसे थीं। फिर जब बेटी के हाथ में बागडोर आई तो धवन परिवार के इस डेयरी फार्म का नाम श्रद्धा एनिमल प्रमोशन एंड मिल्क बिजनेस ट्रेनिंग सेंटर निघोज था और भैंसों की संख्या बढ़कर 80 हो गई।
अपनी डेयरी फार्म में श्रद्धा अपने पशुओं की देखभाल और खानपान की जिम्मेदारी खुद संभालती हैं। यहां भैंसों और गाय को ऑर्गेनिक हरा चारा खिलाया जाता है। बता दें… ये चारा बगल के खेतों में ही उगाया जाता है। भैंसों की शेड को एक दिन में दो बार साफ होती है। इतना ही नहीं यहां मवेशियों का डेली चेकअप भी किया जाता है। कार्यकर्ताओं की एक बड़ी फौज भी है। यहां से रोजाना 450 लीटर दूध बेचा जा रहा है।
आज श्रद्धा के डेयरी फार्म में लगभग 80 भैंसें हैं, और ये भैसें डेली 450 लीटर दूध देती है। श्रद्धा अपनी सूझबूझ, प्रतिभा, मेहनत और लगन से एक सफल महिला डेयरी फार्मर बन कर उभरी हैं और जो कि एक मिसाल बन गई हैं।