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Success Story: सिम बेचने से लेकर 75000 करोड़ की OYO कंपनी बनाने की कहानी, जानिए रितेश अग्रवाल कैसे बने यंग बिलेनियर

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Success Story: अक्सर हम किसी न किसी की सफलता की कहानी आए दिन पढ़ते रहते हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन के बूते जो सपना देखा उसे पूरा कर दिखाया । ऐसे सफल लोगों में कुछ अमीर घरानों से तो कुछ बेहद गरीब फैमिली से निकलकर दुनिया में छा जाते हैं और प्रेरणास्त्रोत बनते हैं । इनके हर आयु वर्ग के लोग होते हैं। वहीं आज हम जिसकी सक्सेस स्टोरी आपको बताने जा रहे हैं उनके बारे में आप यकीन नहीं कर पाएंगे कि मात्र 21 साल की उम्र में वह फोर्ब्स की अमीरों की लिस्ट में शामिल हो चुके हैं ।

आइए जानते हैं रितेश अग्रवाल की कहानी जिन्होंने अपनी लगन और मेहनत के बल पर न सिर्फ OYO ROOMS नामक कंपनी खड़ी की बल्कि ऐसा माइलस्टोन बना दिया जिसे क्रॉस कर पाना किसी एंटरप्रेन्योर के लिए आसान नहीं होगा।

नहीं लगा इंजीनियरिंग में मन तो बिजनेस किया शुरू

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19 नवंबर 1993 को उड़ीसा के कटक बिशार गांव में जन्मे रितेश अग्रवाल ने बेहद ही कम उम्र में ऊंचाई हासिल की है। मारवाड़ी फैमिली में जन्मे रितेश का सपना बिजनेस करने का था पर परिवार के दबाव के चलते उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की । यद्यपि वह जानते थे कि इंजीनियर बनना उनका सपना नहीं है । स्कूली पढ़ाई scared heart school से करने के बाद रितेश आईआईटी की तैयारी के लिए कोटा चले गए । वहां रहकर उन्होंने तैयारी । इतना ही नहीं इंजिनियरिंग में दाखिला भी ले लिया हालांकि बिजनेस के जुनून के चलते उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी और वह दिल्ली आ गए ।

साल 2012 की सर्दियों में दिल्ली की सड़कों में रितेश यूं ही घूम रहे थे। जेब में मात्र 30 रुपए, भूखा पेट और घर वापस न लौटने के जुनून ने उन्हें विपरीत परिस्थितियों को झेलना सिखाया। पेट भरने के लिए दिल्ली की सड़कों में सिम बेचने से लेकर छोटे मोटे काम करने तक उन्होंने सब कुछ किया ।

स्कॉलरशिप ने दिया हौसला

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Success Story, रितेश बचपन से ही पढ़ने में तेज थे और छोटे मोटे कंपीटीशन में भाग लेते रहते थे । ऐसे में दिल्ली में रहने के दौरान उनका भाग्य तब चमका जब साल 2013 में उन्हें Thiel fellowship के लिए चुन लिया गया । रितेश इसी मौके की तलाश में थे । दरअसल नए एंटरप्रेन्योर को स्टार्टअप शुरू करने के लिए यह योजना लाई गई थी जिसके तहत विजेता प्रतिभागी को बिजनेस शुरू करने के लिए 75 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाती थी । रितेश ऑनलाइन होटल बुकिंग के अपने स्टार्टअप को बड़ा रूप देना चाहते थे पर पैसों की कमी आड़े आ रही थी । फेलोशिप मिलने के बाद रितेश को बड़ी सहायता मिल गई ।

एक आइडिया ने बदली किस्मत और शुरू हो गया OYO ROOMS

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रितेश को घूमने का शौक था सो वह अक्सर ही यात्रा में होते थे । यात्रा में उन्हें भोजन की तो दिक्कत नहीं होती पर रहने की जगह चुनने में उन्हें खासी मशक्कत करनी पड़ती । होटलों में रुकने के दौरान उन्हें गंदी बेडशीट और चद्दरों का सामना करना पड़ता इन्ही सब के बीच उन्हें आइडिया आया कि क्यों न ऐसा कुछ किया जाए जिससे घर से बाहर रहने वालों के लिए सुविधा हो और साथ में प्राइवेसी भी । इन्ही सब के बीच स्कॉलरशिप के मिले 75 लाख रुपयों से रितेश ने OYO रूम्स की शुरुआत की ।

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उन्होंने अपनी पहली कंपनी का नाम Oreval stays रखा पर इस नाम से लोगों को कनेक्ट न होता देख उन्होंने नाम बदलकर Oyo रूम्स कर दिया । शुरू में कुछ शहरों में काम शुरू करने के बाद रितेश की oyo रूम्स आज करीब 80 देशों के 800 से ज्यादा शहरों में अपनी सेवाएं दे रही है ।

21 साल की उम्र में बन गए यंग बिलेनियर

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Success Story of रितेश अग्रवाल आज भारत ही नहीं बल्कि दुनिया में भी एक जाना माना नाम हैं । साल 2013 में शुरू की गई oyo रूम्स आज महज 8 सालों में 75 हजार करोड़ की कंपनी बन गई है । बता दें कि oyo रूम्स का फुल फॉर्म — on your own rooms होता है । यह कंपनी किफायती दामों में अच्छे रूम्स उपलब्ध करवाती है । साल 2020 में रितेश अग्रवाल हुरूच की rich list में शामिल किया गया था । बता दें कि रितेश अग्रवाल की कुल नेटवर्थ 1 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुकी है ।

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