दूध बेचकर चल रही है महिला पावरलिफ्टर की जिंदगी

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वह रोज सुबह जब गायों को दुहने जाती है तो उनके मन नहीं रही आशंका रहती है कि आज गाय दूध देगी ना? क्योंकि अगर गाय ने दूध देना बंद कर दिया तो उनके परिवार का गुजारा मुश्किल हो जाएगा, और गाय भी कितना दूध दे रही है, रोजाना बस तीन से चार लीटर। उसे बेचकर ₹150 मिल जाते हैं, उसमें से ₹50 गाय के चारे पर ही खर्च हो जाता है ,₹100 की दैनिक कमाई से किसी तरह तीन लोगों का परिवार चल रहा है । ऐसी हालत है अंतर्राष्ट्रीय महिला पावर बिथिका मंडल की , जिन्होंने 2017 में केरल के आलेप्पी में हुई एशियन पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में रजत पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया था।

बंगाल व ईस्ट जोन की सर्वश्रेष्ठ महिला पावरलिफ्टर बिथिका के परिवार का इन दिनों बड़ी मुश्किल से गुजारा चल रहा है। उन पर कोरोना वायरस और सुपर साइक्लोन एम्फन की दोहरी मार पड़ी है । बिभिका के पिता कृष्णपद मंडल खेतिहर मजदूर है। दूसरे की खेती में काम करते हैं। सुपर साइक्लोन से उनके गांव के आसपास के सारे खेत उजाड़ गए । पिता बेरोजगार हो गए ।गनीमतब रही उनकी गाय दूध दे रही है ।

भारत- बांग्लादेश की सीमा से सटे बंगाल की नदियां जिले के बनगांव आंचल के अंगराइल खेदापाड़ा गांव की रहने वाली बिभिका ने कहा , ‘आर्थिक तंगी शुरू से ही रही हैं, लेकिन अभी जो हालत है, उसमें दो जून रोटी भी बमुश्किल जुगाड़ हो पा रहा है ।सरकार की तरफ से मुफ्त में खाद्यान्न मिल रहा है ,लेकिन चावल दाल पकाने के लिए मिट्टी का तेल और रसोई गैस भी तो होना चाहिए ।रोजमर्रा की और भी जरूरतों को भी तो है ।अभी गाय दूध दे रही है जो ₹150 हो जाते हैं। जिस दिन दूध देना बंद कर देगी। उस दिन क्या होगा पता नहीं’ ।

2018 में लखनऊ में हुई सीनियर नेशनल चैंपियन में स्वर्ण जीतने वाली 27 साल की बिभिका करियर को लेकर भी चिंतित है।4 महीने नहीं से प्रैक्टिस नहीं कर पाई । करती भी कैसे, गांव में प्रैक्टिस के लिए आधारभूत संरचना नहीं है। इसके लिए 3 घंटे का सफर कोलकाता आती थी।

यह कहना है एसोसिएशन का

वेस्ट बंगाल स्टेट पावर लिफ्टिंग एसोसिएशन के सचिव रजत कुमार बताशा का कहना है कि आर्थिक तंगी से गुजारा कर रहे हैं पावर लिफ्टर अगर हम से मदद के लिए अनुरोध करें तो हम निश्चित रूप से उनकी मदद करेंगे राज्य सरकार की तरफ से हर साल में विभिन्न मदों को केवल ₹500000 का अनुदान मिलता है उसी से हमें सारा कुछ करना पड़ता है और ऑडिटर कराकर सरकार को एक एक पैसे का हिसाब देना पड़ता है इसलिए इस राशि से पावर लिटरों की मदद कर पाना संभव नहीं होगा लेकिन एसोसिएशन के पदाधिकारी निजी तौर पर उनकी आर्थिक मदद करने के लिए हमेशा तैयार है।

Brijendra Kumar

Founder and Chief Editor

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