Sharad Pawar: NCP chief Sharad Pawar के आवास के बाहर प्रदर्शन कर रहे 100 से ज्यादा कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। आपको बता दें कि राज्य सरकार में विलय को लेकर 5 महीने से धरना प्रदर्शन कर रहे एसटी कार्यकर्ता आज एक बार फिर से आक्रामक हो गए हैं। उन्होंने एनसीपी चीफ शरद के घर के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। सिर्फ यही नहीं Hd worker ने शरद पवार के घर पर पत्थर, चप्पल फेंके तथा उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की।
आपको बता दें कि शुक्रवार को मुंबई में राकांपा चीफ Sharad Pawar के आवास के बाहर महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (MSRCT) के 100 से ज्यादा हड़ताली कार्यकर्ताओं ने वहां विरोध प्रदर्शन किया तथा दिग्गज राजनेता के खिलाफ नारेबाजी करते हुए यह कहा कि उन्होंने उनके समाधान के लिए कुछ नहीं किया है।
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गौरतलब है कि ये विरोध बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा परिवहन निगम के हड़ताली कर्मचारियों को 22 अप्रैल तक ड्यूटी पर फिर से शुरू करने के लिए कहने पर एक दिन बाद से आया है। कोर्ट ने कल यह कहा था कि कल कोर्ट द्वारा दी गई समय सीमा के भीतर काम पर नहीं आने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए आप स्वतंत्र हैं।
वहीं पर अदालत के आदेश के बाद से राज्य के परिवहन मंत्री अनिल परब ने यह आश्वासन दिया था कि उन श्रमिकों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी जो ड्यूटी पर फिर से शामिल होंगे। लेकिन निर्धारित समय में ही काम पर नहीं आने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही भी की जाएगी।
एनएसआरटीसी के एक आंदोलनकारी कर्मचारी ने यह कहा कि हड़ताल के दौरान आत्महत्या से करीब 120 MSRCT कर्मचारियों की मौत हो गई है। यह आत्महत्या नहीं है बल्कि राज्य नीति की हत्याएं हैं। हम राज्य सरकार के साथ MSRCT के विलय की अपनी मांग पर दृढ़ है। एनसीपी चीफ शरद पवार ने कुछ भी नहीं किया है इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश करे। चूंकि हम बंबई उच्च न्यायालय के कर के फैसले का भी सम्मान करते हैं। लेकिन राज्य सरकार के साथ हम मुद्दों पर चर्चा कर रहे थे। जिसे लोगों ने चुना है। लेकिन इस निर्वाचित सरकार ने हमारे लिए कुछ भी नहीं किया।
वहीं पर अन्य प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने यह कहा कि इस सरकार के चाणक्य माने जाने वाले शरद पवार भी हमारे नुकसान के लिए जिम्मेदार हैं। शरद पवार को महाराष्ट्र में शिवसेना, राकांपा कांग्रेस की सत्तारूढ़ गठबंधन महा विकास आघाड़ी (MVA) का मुख्य शिल्पकार भी माना जाता है। जिसका नवंबर 2019 में गठन हुआ था।
करमचारी यह चाहते हैं कि एमएसआरटीसी का राज्य सरकार में विलय कर दिया जाए। ताकि विभाग आर्थिक संकट से उबर सके तथा उन्हें समय रहते तनख्वाहें मिल सके। दरअसल इसी मांग को लेकर कॉर्पोरेशन के कर्मचारियों ने अक्टूबर 2021 में भी हड़ताल शुरू की थी। सरकार तो उनकी तनख्वाह बढ़ाने पर राजी हुई लेकिन लेकिन विलय पर सहमति नहीं हुई। जिसके चलते ही पिछले लगभग 6 महीने से विभिन्न गुट आंदोलन कर रहे हैं। हालांकि कुछ कर्मचारी काम पर लौट गए हैं। लेकिन जो लोग काम पर नहीं लौटे उनके खिलाफ शिकायतें दर्ज की गई।
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Sharad Pawar यह मामला अदालत में गया तो बांबे हाईकोर्ट ने सारे कर्मचारियों को 22 अप्रैल तक काम पर लौटने को कहा। वहीं पर राज्य सरकार ने कोर्ट को भरोसा दिया है कि इनके खिलाफ दर्ज मामले वापस ले लिए जाएंगे। लेकिन सरकारी कर्मचारी का एक घूंट बिना की मांग को लेकर अभी भी अड़ा हुआ था। उनका यह मानना है कि उनकी इस मांग के आड़े शरद पवार तथा अजित पवार आ रहे हैं। इस बात से नाराज होकर कर्मचारियों का एक गुट मुंबई में शरद पवार की निवास सिल्वर ओके पहुंचा तथा वहां पथराव कर चप्पल फेंकी।