Varun Gandhi: क्योंकि सरकार के कद्दावर मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी और बदायूं से भाजपा सांसद संघमित्रा मौर्य वरुण गांधी की राह पर चलती हुई नजर आ रही है। वह रह रह कर प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ बयान देती रहती हैं केंद्र नेतृत्व में आस्था की बात भी वह बार-बार दोहरा रही है। कुछ ऐसा ही काम भाजपा की वरिष्ठ नेत्री और सुल्तानपुर से सांसद मेनका गांधी के पुत्र वरुण गांधी भी कर रहे हैं। पीलीभीत से सांसद Varun Gandhi अक्सर अपनी सरकार और पार्टी नेतृत्व के खिलाफ हमलावर रहते हैं।
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Varun Gandhi बदायूं से भाजपा सांसद संघमित्र मौर्य अपने पिता और फाजिलनगर से सपा प्रत्याशी स्वामी प्रसाद मौर्य के काफिले पर हुए हमले के बाद काफी कड़े तेवर अपनाए हुई है। वह पार्टी के लोगों पर ही निशाना साध रहे हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से भी वह पार्टी पर कटाक्ष कर चुकी हैं। प्रदेश में छठे चरण के चुनाव प्रचार के दौरान स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थकों और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़प हो गई थी। हमले में सपा कार्यकर्ताओं को चोट भी लगी थी और कई गाड़ियों को नुकसान भी पहुंचा था।
छठे चरण के चुनाव प्रचार के आखिरी दिन सपा प्रत्याशी स्वामी प्रसाद मौर्य और भाजपा प्रत्याशी सुरेंद्र कुशवाहा एक ही गांव में प्रचार कर रहे थे और अचानक दोनों का काफिला आमने सामने आ गया था। तब सपा और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट हो गई थी। हालांकि उस वक्त स्वामी प्रसाद मौर्य की गाड़ी आगे निकल चुकी थी और उन्हें कोई चोट नहीं पहुंची थी।
पीलीभीत से भाजपा सांसद मेनका गांधी के बेटे भी अक्सर अपनी ही सरकार पर हमलावर रहते हैं। हाल ही में उन्होंने भी जेएनयू में कुलपति की नियुक्ति और यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को समय पर ना निकाल ले जाने को लेकर ट्वीट करके सरकार पर हमला बोला था। पिता के सपा में जाने के बाद संघमित्रा भी यही रुख अपनाए हुए हैं। वह समय-समय पर प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ कटाक्ष करती रहती हैं। सांसद ऐसी बातों से इनकार करती रही है।
सांसद संघमित्रा प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ हमेशा बोलती हैं। लखनऊ में हुए घटनाक्रम के बाद से तो और मुखर होकर बोलने लगी हैं। लखनऊ में उन्हें मंच पर बोलने से ठोक दिया गया था। अपने पिता के सपा में जाने के बाद भी वह भाजपा समर्थकों और कार्यकर्ताओं के निशाने पर रही थी आप हाजी नगर की घटना के बाद उनका मौके पर पहुंचकर लाठी लेकर घूमना और भाजपा पर तीखा प्रहार करना चर्चा में है।
हालांकि संघमित्रा मौर्य केंद्रीय नेतृत्व मे हमेशा से आस्था व्यक्त करती रही है। स्वामी के सपा में जाने के बाद भी उन्होंने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय नेतृत्व के प्रति अपनी आस्था जताते हुए सपा में ना जाने की बात कही थी। फाजिलनगर की घटना के बाद भी उन्होंने फेसबुक पर लाइव वीडियो डालकर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में अपनी आस्था व्यक्त की।
पहले विरोध फिर विश्वास जिताने की बात पर लोग तरह-तरह की बातें कर रहे हैं। उनका बगावती रुख चर्चाओं में है। लोग उनके अगले राजनीतिक कदम पर कयास लगा रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी पक्ष विपक्ष में कमेंट आ रहे हैं। कोई पार्टी छोड़ने की तो कोई इस्तीफा देने की बात कह रहा है। सांसद ने भी सोशल मीडिया पर ही इस बात का खंडन किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर बयान दिया कि वह ना तो पार्टी और ना ही इस्तीफा देंगी।
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संघमित्रा बता रही है कि वह 3 साल से राजनीतिक हमले झेल रही है। पर पिता की नसीहत की वजह से वह आज तक पार्टी के ऐसे लोगों का काला चिट्ठा नहीं खोल रही थी। उन्होंने बताया कि एक महिला और ओबीसी होने के नाते पार्टी के ही कुछ लोग उनका उत्पीड़न कर रहे हैं।
लेकिन अब अपने शेष बचे कार्यकाल के दौरान वह पार्टी के उन लोगों को दिखाएंगे की राजनीति कैसे की जाती है। उनके इस बयान से कयास लगाया जा रहा है कि वह वरुण गांधी वाला रुख अपनाएंगी। जैसे वरुण तमाम मुद्दों पर मुखर है वह भी पार्टी में रहकर ही अपने सियासी दुश्मनों को सबक सिखाने का काम करेंगे। जाहिर है इस बात से पार्टी नेतृत्व कई बार असहज स्थिति में आ सकता है। हालांकि राजनीतिक पर्यवेक्षक यह भी कह रहे हैं कि सांसद के हम लोग का रुख 10 मार्च के नतीजों पर भी निर्भर करेगा।