President Election: एनडीए की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनाई गई द्रौपदी मुर्मू ने चुनाव जीत लिया है। द्रौपदी मुर्मू ने यशवंत सिन्हा के खिलाफ पहले जताए गए अनुमानों के मुताबिक ही बड़े अंतर से हरा दिया। हालांकि इस चुनाव में जीत का अंतर प्रत्याशी के पीछे सरकार की ताकत को भी दिखाता हैं। बीते कुछ सालों में हुए President Election के जरिए जानते हैं कि आखिरकार कब-कब इस पद के लिए होने वाले चुनाव एकतरफा हो गए और कब इनके लिए सरकार को अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए कड़ी मशक्कत भी करनी पड़ी है..? कब सत्ताधारी दल का उम्मीदवार हार गया??
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इस वर्ष का राष्ट्रपति चुनाव काफी दिलचस्प रहा है। जहां भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए ने इस चुनाव में महिला उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया। वहीं पर विपक्ष की ओर से यशवंत सिन्हा को प्रत्याशी बनाया गया। इस चुनाव में अलग-अलग राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की विपक्ष कहीं जाने वाली कुछ पार्टियों ने भी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन का ऐलान किया। इसमें आंध्र प्रदेश की वाईएसआर कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा, ओडिशा की बीजू जनता दल और महाराष्ट्र की शिवसेना शामिल रही।
उधर यशवंत सिन्हा खुद ही बंगाल में चुनाव प्रचार करने नहीं गए। राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे भी उम्मीद के अनुसार ही रहे। जहां पर द्रौपदी मुर्मू लगभग 64 फ़ीसदी वोट हासिल करने में कामयाब रही। वहीं पर यशवंत सिन्हा 36 फ़ीसदी ही वोट हासिल कर पाए। द्रौपदी को कुल 2824 वोट मिले। इन मतों का मूल्य 6,76,803 रहा है। वहीं पर यशवंत सिन्हा को कुल 1,877 वोट्स मिले। इन मतों का मूल्य 3,80,177 है।
पिछले राष्ट्रपति चुनाव वर्ष 2017 में हुआ था। मोदी सरकार की ओर से इस चुनाव में रामनाथ कोविंद उम्मीदवार थे। जबकि विपक्ष ने लोकसभा के पूर्व स्पीकर मीरा कुमार को उतारा था। हालांकि मीरा कुमार के पास 17 विपक्षी दलों का समर्थन था। इसमें सपा और बसपा भी शामिल रही। बिहार में राजद की साथी पार्टी रही जदयू ने भी सभी को चौंकाया और रामनाथ कोविंद का समर्थन किया। कोविंद को 7,02,044 वैल्यू के वोट मिले। वहीं पर मीरा कुमार को 3,67,314 वोट मिले। रामनाथ कोविंद 65.65 फ़ीसदी वोट हासिल कर जीतने में सफल रहे।
दरअसल चुनाव में यूपीए-2 सरकार की उम्मीदवार रहे प्रणब मुखर्जी जीते। उन्हें विपक्ष के पीए संगमा के खिलाफ करीब 70 फ़ीसदी वोट मिले। जहां पर प्रणब मुखर्जी को 7,13,763 वोट मिले। वहीं पर पीए संगमा को 3,15,987 वोट मिले थे।
भारत को 2007 में पहली महिला राष्ट्रपति मिली थी। तब कांग्रेस और लेफ्ट पार्टी के समर्थन से प्रतिभा पाटिल ने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार भैरों सिंह शेखावत को हराया था। जहां पर पाटिल को 6,38,116 वैल्यू के वोट मिले। वहीं पर शेखावत को 3,31,306 वोट मिले थे। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी शिवसेना ने प्रतिभा पाटिल को समर्थन दिया था।
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आपको बता दें कि एनडीए सरकार के उम्मीदवार एपीजे अब्दुल कलाम को जीत मिली। पूर्व वैज्ञानिक अब्दुल कलाम को कांग्रेस सहित अधिकतर विपक्षी दलों का समर्थन मिला था। वामदलों ने इस चुनाव में कैप्टन लक्ष्मी सहगल को प्रत्याशी बनाया। ये इतिहास के सबसे एक तरफा मुकाबलों में से एक रहा। अब्दुल कलाम को 10,30,250 वोटो में से 9,22,884 वोट मिले। वही सहगल महाजन 1,07,336 वोट जुटा सकी।