Saharanpur Violence: लॉकअप में पुलिस जिन 8 लोगों को बेरहमी से पीटा, कोर्ट में साबित हुए निर्दोष

Published by
Saharanpur Violence

Saharanpur Violence: पिछले महीने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में विरोध प्रदर्शन के बाद एक वायरल वीडियो में पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए आठ लोगों को किसी भी आरोप से बरी कर दिया है। पुलिस ने कहा कि उनके खिलाफ कोई भी सबूत नहीं है, और स्थानीय अदालत ने उन्हें सभी लगाए गए इल्जामों से बरी कर दिया, और वह जेल से बाहर आ गए।

बेगुनाह नौजवान जेल से बाहर लेकिन अब तक हैं खौफ़ मे कैद!
सहारनपुर में 10 जून को जुमे की नमाज के बाद हुए बवाल के बाद 108 नौजवान गिरफ्तार कर लिए गए थे, उनमें से 8 युवकों को 23 दिन तक जेल में बंद रहने के बाद रिहा कर दिया गया है। साथ ही इन्हें बेगुनाह बताते हुए रिहाई के वक्त अदालत ने भी पुलिस को जमकर फटकार लगाई है।

यह 8 नौजवान रविवार को जेल से घर आ गए। इन सभी को जमानत नहीं करानी पड़ी बल्कि सबूतों के अभाव 169 CRPC की कार्रवाई के तहत इन्हें रिहा कर दिया गया है। पुलिस ने इन आठ लोगों को संदेह के आधार पर गिरफ्तार कर बवाल करने का आरोपी बनाकर जेल भेजा दिया था। इस दौरान लॉकअप में पुलिस द्वारा की जा रही बर्बर पिटाई का एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें पुलिस हिंसा में शामिल होने के महज़ शक के आधार पर ही कुछ युवकों को बड़े ही बेरहमी से पीट रही थी। इन गिरफ्तारियों के खिलाफ कई संगठनों ने आवाज बुलंद की थी। संगठनों ने दावा किया था कि पुलिस ने निर्दोष लोगों को गिरफ्तार किया है।

वीडियो को बीजेपी विधायक ने “दंगाइयों के लिए रिटर्न गिफ्ट” कैप्शन के साथ शेयर किया था

Saharanpur Violence

इस वीडियो क्लिप पर सबसे पहले देवरिया के बीजेपी M.L.A शलभ मणि त्रिपाठी ने ट्वीट किया था। इसमें उन्‍होंने पुल‍िस के हाथों हो रही इस बर्बर पिटाई को ‘रिटर्न गिफ्ट’ कहा था।

पूर्व IPS अफसर अमिताभ ठाकुर ने इस मामले में मानवाधिकार आयोग में शिकायत की

जेल से छूट कर आए इन युवकों में आसिफ़, मोहम्मद अली, अब्दुल समद, गुलफाम, सुब्हान, फुरकान और कैफ़ अंसारी, महराज हैं। इनमें सुब्हान, मोहम्मद अली, आसिफ़, और गुलफाम उन युवकों में शामिल थे जिनकी पुलिस द्वारा क्रूरता से पिटाई की वीडियो वायरल हुई थी। पुलिस ने इन युवाओं को बड़ी ही बेरहमी से लॉकअप में पीट दिया था, किसी का हाथ टूट गया तो किसी का फेर। वहीं पुलिस ने इस वीडियो को सहारनपुर की होने से इनकार कर दिया था।

पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने इस मामले में मानव अधिकार आयोग में शिकायत दर्ज की है। IPS अफसर अमिताभ ठाकुर का कहना है कि इन युवाओं को रिहाई तो मिल चुकी है लेकिन इन्होंने जेल में जो यातनाएं झेली उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया उसका भुगतान कौन करेगा।

Saharanpur Violence युवाओं के परिवार का छलका दर्द

Saharanpur Violence

इस वीडियो को देखने के बाद दुखी हुई किशोर मोहम्मद अली की मां आसमा खातून ने कहा कि,


“क्या इस वीडियो में मैं अपने बच्चे को नहीं पहचान सकती ?”
मोहम्मद अली भी उन 85 लोगों में से शामिल है जिन्होंने पुलिस ने बेवजह कैद करके रखा और बर्बरता से पिटाई की थी।

किशोर मोहम्‍मद अली की मां आशमा खातून ने रोते हुए कहा,
‘पुलिस लगातार यहीं कह रही है कि ये लड़के सहारनपुर के नहीं हैं। लेकिन पुलिसवालों की बेरहमी देख कर मैं बस यही चाहती हूं कि मेरे बेटे को रिहाकर दिया जाए ताकि अब ठीक से उसका इलाज हो सके।’

‘बेगुनाही साबित करने का मौका नहीं’

Saharanpur Violence

विडियो में सफेद कुर्ता पायजामा पहले युवा

‘मैं जब जेल में अपने भाई मोहम्‍मद सैफ से मिलने गया तो उसके हाथ और पैर पिटाई की वजह से बुरी तरह से सूज गए थे। मैं बस यही चाहता हूं कि वह रिहा हो जाए। हमें उसकी बेगुनाही साबित करने का मौका तक नहीं दिया गया था।’

फिलहाल जेल से रिहा हुए इन युवकों की रिहाई पर अदालत ने भी पुलिस पर जबरदस्त टिप्पणी की है। इन सभी युवाओं की पैरवी करने वाले वकील बाबर वसीम कहते हैं कि अदालत ने पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि,

“जिन बेकसूर लोगों के खिलाफ कोई सुबूत ही नही था, उनके खिलाफ लंबी-लंबी धारा लगाने का कोई भी अर्थ ही नही था! जिस मामले में एक भी व्यक्ति घायल ही नहीं हुआ उस मामले में 307 जैसी धाराएं की कार्रवाई क्यों की गई थी ! “

इस मामले में पुलिस की भी जबरदस्त किरकरी हुई है। सहारनपुर के पुलिस कप्तान आकाश तोमर बदले जा चुके हैं। उनके स्थान पर विपिन टांडा नए पुलिस कप्तान बनाए गए हैं। रिहा हुए लोगों में से कुछ के परिवार वालों को घर का नक्शा पास न होने के कारण घर गिराने के लिए कारण बताओं नोटिस भी जारी किए गए थे।

सहारनपुर के एसपी सिटी राजेश कुमार ने कहा कि,

“इन लोगों को संदेह के आधार पर गिरफ्तार किया गया था। जांच के दौरान ठोस सबूत नहीं मिलने की वजह से हमने कोर्ट में अर्जी दाखिल करवाई थी। रिहा हुए युवाओं के घरवालों ने भी सबूत दिए थे की यह लोग इस घटना में शामिल नहीं है, उसे हम ने जांचा और सीसीटीवी फुटेज मिलाया गया, तो मालूम हुआ की उस दिन घटना के वक्त वो वहां नहीं थे।”

Saharanpur Violence जेल में 23 दिन 23 साल जैसे लगे – दो नाबालिग

Saharanpur Violence

https://fb.watch/e4Z6x-cQKc/

इन सभी युवाओं के खिलाफ पुलिस ने 169 की कार्रवाई की है। अब उनके विरुद्ध अब कोई अदालती कार्रवाई भी नहीं होगी ! रिहा किए गए इन युवकों में से अधिकांश मीडिया से बात भी नहीं कर रहे हैं। कुछ युवाओं के परिवार वालों ने भी बिल्कुल ही चुप्पी साध ली है। अजीब बात तो यह है कि इनमें से दो नाबालिग हैं।

रिहा हुआ पक्का बाग़ निवासी एक युवक अली कहते है कि वो दही लेने के लिए घर से गए थे। पुलिस ने उन्हें और एक दोस्त को लॉकअप में बंद कर रात में पिटाई की थी। यह युवा कहते हैं कि जेल में 23 दिन 23 साल जैसे लगे और अब जब वो घर लौटकर आए तो भी रात में डर कर उठ बैठते हैं। वहीं खाताखेड़ी के सुब्हान कहते हैं कि,


” बेगुनाह होने पर रिहा कराने में पुलिस ने ही मदद की और जुल्म भी पुलिस ने ही किया। हम तो सिर्फ एक फुटबाल हैं, वो हमसे खेल रहे हैं। मेरे दिमाग मे अब तक जेल ही घूम रही है ! हम बहुत ही डर गए हैं।

रिहा किए गए एक और युवा के चाचा सरफ़राज़ अहमद जो पीर वाली गली में रहते हैं। उन्होंने कहा कि,

अपने समय की सबसे हसीन डाकू, आज भी जब घर से निकलती है तो लोगों की हालत पतली हो जाती है

Agneepath Yojana के विरोध में गोरखपुर-पाटलिपुत्र एक्सप्रेस की ट्रेन में आग लगाने वाला मुख्य आरोपी गिरफ्तार..

Saharanpur Violence


” किसी को कुछ भी बताने की जरूरत नहीं है, मीडियावालों को भी नहीं, सब लोग सच जानते हैं ! सबको यह मालूम ही था की लॉकअप में ज्यादती की और वीडियो वायरल की गई ! ताकि सभी को एक संदेश दिया जा सके ! मुसलमानों के किसी भी नेता ने आवाज़ नहीं उठाई की लॉकअप में पिटाई करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए ! जबकि तमाम नेता उन सभी पुलिसकर्मियों को पहचानते थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ निष्पक्ष होने की बात कहते हैं ! आखिर बेगुनाहों पर यह ज्यादती क्यों की गई ! अब तो बेगुनाही साबित हो चुकी है।

Saharanpur Violence मोहल्ला मंडी मे रहने सय्यद शकील अहमद ने कहा कि,


” इस पूरे प्रकरण में सहारनपुर के मुस्लिम नेताओं की कलई भी खुल चुकी है। वो सभी बहुत देर बाद सक्रिय हुए, जबकि पुलिस ने बेगुनाहों को जेल भेजकर ज़ुल्म कर दिए थे। अब तो यह बात भी सिद्ध भी हो चुकी है। आखिर ऐसी कार्रवाई से प्रशासन क्या संदेश देना चाहता था ! क्या वो एक वर्ग में खौफ पैदा बढाना चाहता था !

Saharanpur Violence पर हिरासत में हुई मौतों में यूपी नंबर 1 – अखिलेश यादव

इस सिलसिले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी बड़ी तीखे अंदाज में टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि,


” इस घटना से न्याय प्रणाली में लोगों के विश्वास को ठेस पहुंचेगी।”

समाजवादी पार्टी प्रमुख ने अखिलेश यादव ने कहा,


“ऐसे पुलिस थानों के बारे में सवाल किए जाने चाहिए… हिरासत में हुई मौतों में उत्तर प्रदेश नंबर 1 है, यह दलितों के शोषण और मानवाधिकारों के उल्लंघन में भी अग्रणी है।”

Recent Posts