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Rabies: रेबीज क्या है, इसके क्या लक्षण है और इसका बचाव क्या है ?

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Rabies क्या है और यह किसे प्रभावित करती है :-

Rabies: एक ऐसी संक्रामक खतरनाक बीमारी है  जो मनुष्य के साथ ही साथ गर्म खून वाले जीव जंतुओं को भी प्रभावित करती है ।  व्यक्ति इस रोग की पकड़ में आ जाए तो उसकी मृत्यु हो जाती है और वह भयानक मौत मरता है। ज्यादातर Rabies रोग गली मोहल्लों के पागल कुत्तों के काटने से हो जाती है ।  रेबीज सभी जीवो या जानवरों के काटने से हो सकता है लेकिन कुत्ते और चमगादड़ के काटने से इस रोग की संभावना बहुत अधिक हो जाती है। एक खतरनाक बीमारी न्यूरोट्रोपिक तथा रैप्टोवायरस की कारण फैलती है। यह वायरस बहुत ही खतरनाक वायरस है जो गर्म खून वाले मनुष्य और जानवरों के मस्तिक पर प्रभाव डालती है। यदि कुत्ते के काटने से या अन्य पशुओं के संपर्क में आने से यदि इस रोग के लक्षण प्रकट होने लग जाए तो इस रोग से बचना नामुमकिन हो जाता है ।

Rabies के रोगी में देखते हैं यह लक्षण :-

Rabies का सबसे बड़ा कुप्रभाव मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र पर पड़ता है।

इससे रोग के संपर्क में आने के बाद या किसी कुत्ते के काटने के बाद शुरू में बुखार आने लगता है । कुत्ते के द्वारा काटे हुए स्थान पर झुनझुनी महसूस होने लगती है और Rabies रोग से पीड़ित होने पर रोगी में बुखार के साथ-साथ मांसपेशियों में जकड़न, सिर में तेज दर्द, चिड़चिड़ापन हो जाता है। इस रोग में रोगी चिड़चिड़ा हो जाता है उसे अधिक घूमने फिरने का मन करता है। रेबीज से ग्रस्त रोगी को पानी से डर लगता है। तेज रोशनी उसे अच्छी नहीं लगती है अंधेरे में रहना उसे पसंद हो जाता है । और शरीर में कमजोरी महसूस करने लगता है। इस रोग का रोगी लकवे के लोग की तरह हो जाता है और उसके आंख नाक में से पानी आने लगता है लार बनने लगती है।

अधिकतर रेबीज के मामले कुत्तों के काटने से होते हैं जो कि उसकी लार द्वारा किसी अन्य के शरीर में प्रवेश कर जाने के कारण होता है।

Rabies से ग्रस्त रोगी हिंसक हो जाता है और कभी कभी खुद को भी नुकसान पहुंचाने लगता है

यह रोग जानवर की लार द्वारा प्रेषित होता है और इस रोग में लार ग्रंथियां और तंत्रिका तंत्र अधिक प्रभावित होते हैं ।  रोगी को रेबीज बीमारी के कारण बोलने और खाने में बहुत परेशानी होने लगती है और इस रोग से पीड़ित व्यक्ति हो या जानवर किसी पर भी अटैक करने लगता है। इस खतरनाक बीमारी का रैप्टोवायरस जैसे जैसे शरीर भिन्न-भिन्न हिस्सों में फैलने लगता है, वैसे वैसे रोगी अधिक उत्तेजित होने लगता है और किसी को भी कुछ भी दे मारता है । वह रोगी हिंसक हो जाता है। कभी-कभी रोगी अधिक बेचैनी के कारण अपने शरीर को नुकसान पहुंचाने लगता है। और अपना सिर दीवारों मानने लगता है और उसका शरीर निष्क्रिय होने लगता है । कभी-कभी रोगी कोमा में चला जाता है और उसकी मौत हो जाती है। कुत्ते के काटने या उसके लार के संपर्क में आने पर रेबीज बीमारी के लक्षण आने में 1 सप्ताह से लेकर 1 साल से अधिक तक का समय लग सकता है। इस प्रकार कोई भी दूध पिलाने वाला जानवर रेबीज को संचारित कर सकते हैं। जैसे चमकादड़, लोमड़ी, बिल्ली, बकरी, घोड़ा, बंदर, गिलहरी, नेवला ऐसे स्तनधारी कई जीव जंतु है।

अपने पालतू जानवरों को समय समय पर टीकाकरण करवाते रहना चाहिए।

Rabies रोग से बचाव

यदि किसी कुत्ते ने काट लिया है तो उस स्थान को साफ पानी से अच्छी तरह से धो लें और एंटीसेप्टिक दवा लगा ले। धोने के लिए साबुन का प्रयोग किया जाना चाहिए। किसी जानवर के काटने के तुरंत बाद बिना लापरवाही इंजेक्शन लगवाना चाहिए और चिकित्सक की सलाह लें । उनके द्वारा बताया गया पूरा कोर्स करना चाहिए । अपने घर में पाले गए पालतू बिल्ली, कुत्तों को समय पर टीका लगाते रहना चाहिए। अपने पालतू जानवरों को बाहरी आवारा जानवरों के संपर्क से बचाना चाहिए । यदि आप किसी मजबूरी बस किसी जानवर को छू रहे या पकड़ रहे हैं तो तुरंत साबुन से हाथ धोलें व सैनिटाइज कर लें। यदि आपके पालतू जानवर में किसी प्रकार का आपको बदलाव या उसके व्यवहार में परिवर्तन आए तो उसका तुरंत डॉक्टर द्वारा चेकअप कराना चाहिए। यदि आप किसी ऐसी जगह काम कर रहे हैं जहां आपको जानवरों के संपर्क में आना है तो आप काम शुरू करने से पहले चिकित्सक द्वारा रेबीज टीकाकरण को लगवाएं और पालतू जानवरों को टीका लगवाएं । यदि कोई ऐसा आवारा जानवर जिसमें आपको इस रोग के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो जानवरों के नियंत्रण विभाग में रिपोर्ट दर्ज कराएं

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जब कभी कोई कुत्ता काट ले तो सबसे प्राथमिक उपचार – जहां काटा वहां पहले साफ पानी से धो लें और एंटीसेप्टिक लगा लें।

Rabies रोग की पहली खुराक जानवर के संपर्क में आने तथा उसके काटे जाने के तुरंत बाद उचित समय पर लेना चाहिए और इस रोग की दूसरी खुराक पहली खुराक के 7 दिन बाद लेनी चाहिए और फिर पहली खुराक के 21 या 28 दिन बाद तीसरी खुराक लेनी होगी कोई भी दवा चिकित्सक की सलाह भी हो सकती है चिकित्सक की उचित सलाह दें और इस खतरनाक बीमारी से बचें और स्वस्थ रहें ।

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