Psychologists Warn: आज भारत में शायद ही कोई ऐसा इंसान हो जो कभी मेंटल प्रेशर से ना गुजरा हो। मनोचिकित्सक ने यह बता कर सबको हैरान कर दिया है। करीब 35% आबादी मानसिक समस्या से जूझ रही है। हैरानी की बात यह है, कि इस समस्या के बढ़ने के पीछे का कारण मोबाइल व सोशल मीडिया का नशा है।
ध्यान दें, यदि आपको लगातार घबराहट बनी रहती है। रोने का मन करता है, गुस्से पर काबू नहीं रहता मनोबल खत्म हो चुका है, काम में मन नहीं लगता तथा अकेले बैठने का मन करता है। और कोई निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। तो आप मेंटल समस्या से ग्रसित हो चुके हैं। और आपकी दिमागी सेहत ठीक नहीं है। ऐसे में वक्त रहते मनोचिकित्सक से तुरंत संपर्क करें अन्यथा आप बड़ी समस्या में फंस जाएंगे। तो चलिए लक्षण व समस्याएं आपको बताते हैं।
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विशेषज्ञों के मुताबिक मानसिक समस्याओं की ओर बढ़ रहे मरीजों के शुरुआती दौर में नींद ना लगना,भूख कम लगना, दिनभर थकान महसूस होना, बेचैनी होना ,पेट में दर्द ,बदन में दर्द, सांस लेने में दिक्कत ,धड़कन तेज होना, तथा शारीरिक संबंध में रुचि न रहना आदि लक्षण दिखते हैं। तो आप सतर्क हो जाएं और लापरवाही ना बरतें बरतते हुए विशेषज्ञ से तुरंत मिले।
आपको बता दें, यदि आपका छोटी-छोटी बातों पर मन बहुत दुखी हो जाए और जहां भाव लंबे समय तक बना रहे इसके अलावा जिन चीजों या कामों में पहले मन लगता था। अब उन्हें करने में गुस्सा आए तो यह डिप्रेशन अर्थ और अवसाद के लक्षण हो सकते हैं। इतना ही नहीं डिप्रेशन किस अवस्था में हमेशा तनाव बना रहता है। तथा छोटी-छोटी बातों में अपराध का बोध होता है। आपका आत्मविश्वास खो जाता है। वह जीवन बेकार सा लगने लगता है।
ओसीडी ,तनावग्रस्त होने का मुख्य कारण होता है। बता दें, वह सीडी में मन में ऐसे विचार आने लगते हैं। जिससे हमें दुख होता है। और खूब डर लगता है। हम जितना विचारों को मन में आने से रोकते हैं। वह उतना ही मन में हावी होते हैं। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति बार-बार कीटाणु के डर से अपने हाथ जलता है। उन्हें बार-बार साफ सफाई करने का विचार आता है। दरवाजा लॉक है, या नहीं गैस ऑन है, या नहीं इस सब की स्थिति को वह बार-बार चेक करता रहता है।
बता दे, इस स्थिति में पीड़ित के मन में कई सारे सवाल आते हैं। जैसे ऐसे हो सकता है, क्या? ऐसा नहीं हुआ तो मैं क्या करूंगा। यह पढ़ ले वह भी पढ़ने यह सब ऐसे सवाल होते हैं। जिनका जवाब मिलना कठिन होता है। क्योंकि इंसान सारे काम एक दिन या एक साथ नहीं कर सकता। अगर मरीज को सवालों का जवाब नहीं मिलता। तो वह खीझ जाता है। तथा गुस्से में भला बुरा कहता है।
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किसी घटना को लेकर उसके मन ,में डर बैठ जाता है। और इस वजह से आप उस काम को छोड़ देते हैं। मसलन कार चलाते समय कभी-कभी अनहोनी हो जाने के डर से ड्राइविंग करना छोड़ देते हैं। क्योंकि मन में अनहोनी होने का डर बना रहता है।
अगर आपको यह सारी समस्याएं हो रही है। तो तो देर ना करते हुए तुरंत मनोचिकित्सक से मिले और उसके परामर्श के अनुसार आगे की गतिविधियों का पालन करें।