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Population Control Law: अधिक जनसंख्या की समस्या को लेकर के दायर एक याचिका की सुनवाई करते हुए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक नोटिस भी जारी कर दिया है। याचिका में अधिक जनसंख्या की समस्या को प्रभावी ढंग से कम करने के संबध में नियम, कानून और दिशानिर्देश बनाने के लिए केंद्र सरकार से निर्देश देने की मांग की गई थी। इसी को लेकर के अब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस भेजा है। जस्टिस केएम जोसेफ और हृषिकेश रॉय की पीठ ने सरकार से जवाब भी मांगा और मामले को इसी प्रकार की अन्य लंबित याचिकाओं के साथ जोड़ दिया है।
अखिल भारतीय संत समिति के महासचिव दांडी स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती के द्वारा दायर याचिका में बताया गया है कि हर वर्ष जनसंख्या बढ़ रही है मगर प्राकृतिक संसाधन सीमित हैं और बढ़ती आबादी को जारी नहीं रख सकते हैं। जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि जब बेरोजगारी और गरीबी बढ़ती है, खाद्य आपूर्ति और स्वास्थ्य देखभाल की सुविधाओं आदि में काफी भारी वृद्धि होती है, तो फिर राष्ट्र कोई और काम नहीं कर पाता है।
याचिकाकर्ता ने कहा है कि सरकार बढ़ती हुई आबादी को रोजगार नहीं दे पा रही है। और न ही भोजन, पानी जैसी बुनियादी अवस्यकताओं को पूरा कर पा रही है। यही कारण है कि इन जरूरी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून पर बेहद खास ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा है कि अगर जनसंख्या कानून जल्दी नहीं लाया जाता है, तो यह देश ‘टूट’ की तरफ बढ़ सकता है।
जनहित याचिका में अधिक जनसंख्या की समस्या के वजह से भारत के लाखों नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए प्रभावी कानून, नियम और दिशानिर्देश तैयार करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार को निर्देश देने की भी मांग की गई है।
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याचिका में कहा गया है कि अधिक जनसंख्या उन सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक है जो लाखों भारतीय नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता को काफी प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने वाली कई गंभीर समस्याओं को भी जन्म देती है। याचिका में सरकार को अधिक जनसंख्या के विषय में जागरूकता फैलाने और ईडब्ल्यूएस व बीपीएल परिवारों को पोलियो के टीके के साथ टीकों, गर्भनिरोधक गोलियों, कंडोम आदि के वितरण के लिए हर महीने के पहले रविवार को ‘स्वास्थ्य दिवस’ के रूप में घोषित करने के लिए भी निर्देश देने की मांग की गई है।
Population Control Law, याचिकाकर्ता ने कहा है कि उन्होंने यह महसूस किया है, “मानव गरिमा के साथ जीने का अधिकार, पीने के पानी का अधिकार, स्वच्छ हवा का अधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार, आजीविका का अधिकार, आश्रय का अधिकार और शिक्षा का अधिकार जैसे बुनियादी मौलिक अधिकार संविधान के तहत गारंटीकृत हैं। जब तक प्रतिवादी (सरकार) अधिक जनसंख्या की समस्या को नियंत्रण करने के लिए संविधान (एनसीआरडब्ल्यूसी) के कामकाज की समीक्षा के लिए राष्ट्रीय आयोग के द्वारा किए गए प्रस्तावों पर उचित विचार नहीं करते, यह अधिकार तब तक पूरी तरह से हमें नहीं मिलेंगे।”