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Dussehra का त्यौहार क्यों मनाया जाता है, जाने वैज्ञानिक ऐतिहासिक और पौराणिक कारण

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Dussehra हमारे देश का सबसे लोकप्रिय त्यौहार है. दशहरे को विजयदशमी के नाम से जाना जाता है।इसका मतलब है कि अच्छाई का बुराई पर विजय। लेकिन क्या आपको पता है कि यह त्यौहार क्यों मनाया जाता है। इस त्यौहार को मनाने के पीछे क्या कहानी और रहस्य छिपा हुआ है।

दशहरे का पर्व का संबंध भगवान राम और रावण की युद्ध से जुड़ा हुआ है यह त्यौहार पूरे 9 दिन तक मनाया जाता है। और दसवें दिन रावण को पुतला जलाकर इस दशहरे का समाप्ति की जाती है।अगर आपने रामायण पढ़ा होगा तो आपको राम और रावण की कहानी के बारे में पता होगा।दशहरे में 9 दिन तक मां दुर्गा की पूजा की जाती है क्योंकि मां दुर्गा शक्ति का रूप है।और इनके शक्ति के बिना अच्छाई का बुराई पर विजय संभव नहीं है।

भगवान राम के द्वारा रावण का वध  हुआ था इस दिन

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भगवान राम भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ पिता की आज्ञा का पालन करने के लिए 14 वर्ष के लिए वनवास गए थे।जहां भगवान राम की पत्नी सीता का हरण रावण के द्वारा कर लिया जाता है। भगवान राम सीता का पता लगाते हुए बंदरों के राजा सुग्रीव से मिलते हैं।और सुग्रीव हनुमान,अंगद के सहयोग से रावण के ऊपर आक्रमण करते हैं। राम का रावण के साथ घमासान युद्ध होता है।और रावण का वध कर भगवान राम विजय प्राप्त करते हैं। और अपनी पत्नी सीता को वापस लेकर आते हैं। इसी कहानी के आधार पर हमारे देश में दशहरा का पर्व मनाया जाता है।

दशहरे के आखिरी दिन यानी दसवें दिन रावण का पुतला जलाकर भगवान राम के द्वारा रावण के वध को हम याद करते हैं।और धर्म की अधर्म पर विजय होती है। इस बात का संदेश देते हैं।

नवरात्र में 9 दिन तक मां दुर्गा की पूजा होती है

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दशहरे का शुरुआत नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा से होती है। इसमें मां दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित किया जाता है,और देवी के नौ रूपों का हर दिन पूजा किया जाता है।और दसवें दिन मां दुर्गा को विदा कर उनकी प्रतिमा को जल में विसर्जित कर दिया जाता है।

इस दिन रावण का पुतला जलाया जाता है।

हिंदू तिथि के अनुसार दशहरा का त्यौहार अश्विन महीने में मनाया जाता है। दशहरा नवरात्र के दसवे दिन पड़ता है। इसके पहले नौ दिवसीय नवरात्रि की पूजा के रूप में देवी के नौ रूपों की आराधना और अर्चना की जाती है।

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दशहरा का ऐतिहासिक और पौराणिक तथ्य

वैसे तो इस त्यौहार के पीछे कई पौराणिक कहानियां छिपी हैं। लेकिन भारत के कुछ हिस्सों में यह त्यौहार इस बात का संकेत देता है की इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। इसीलिए इस त्यौहार में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है। और दसवीं यानी आखिरी दिन मां दुर्गा की स्थापित प्रतिमा को जल में प्रवाहित कर दिया जाता है। यह त्यौहार दक्षिण भारत के मैसूर, कर्नाटक, में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

दसहरा हमें अच्छी राह पर चलने का संदेश देता है। दशहरे के दिन रावण का पुतला जलाकर हम बुराई को समाप्त करने का संकल्प लेते हैं,कि रावण के पुतले की तरह हम अपने जीवन से भी अब सारे बुराइयों को निकालकर उसका एक पुतला बनाकर जला देंगे।

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महिषासुर और रावण का वध का संबंध है दशहरे से

अगर हम उपरोक्त कहानियों के आधार पर निर्णय ले तो दशहरा मनाने के दो कारण सामने आते हैं। पहला राम के द्वारा रावण का वध दूसरा मां दुर्गा के द्वारा महिषासुर का वध इन दोनों उद्देश्यों को साथ लेकर हमारा यह दशहरा का पर्व मनाया जाता है। दशहरे के दिन मेले का आयोजन किया जाता है। जहां पर लोग घूमने जाते हैं। कई जगह पर इसी समय रामलीला का भी आयोजन होता है। जिसमें राम और रावण के जीवन से जुड़ी कहानियों को हम स्टेज के माध्यम से दुनिया को दिखाते हैं। और धर्म के आधार पर विजय का संदेश भी देते हैं।

नवरात्र के उपवास का भी है महत्व

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वैसे तो नवरात्रि दुर्गा पूजा Dussehra और दिवाली यह हमारे धार्मिक और पौराणिक त्यौहार हैं। लेकिन हमारे धर्म में हर त्यौहार के पीछे एक सूक्ष्म वैज्ञानिक कारण भी छिपा होता है।तो नवरात्र जोकि दशहरे के पहले 9 दिन के रूप में मनाया जाता है इस दिन लोग 9 दिन का व्रत रखते हैं और प भोजन को छोड़कर हल्के-फुल्के फास्टिंग और फलाहार साथ दिन बिताते हैं।जो कि वैज्ञानिक रूप से हमारे स्वास्थ्य को सही करने में मदद करता है।

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