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lata mangeshkar: पुरानी गायिका की बात करें तो लोगों के जहन में लता lata mangeshkar का नाम आता है। उन्हीं के गाना गाकर आज फिल्म इंडस्ट्री में बहुत से गायक और गायिकाओ ने प्रसिद्धि प्राप्त की है। बताया जा रहा है कि कोरोना के इस काल में हमने बहुत से फिल्म इंडस्ट्री के लोगों को खोया है और कई लोग कोरोना से ग्रस्त हुए हैं। उनमें अब लता मंगेशकर का नाम भी जुड़ गया है खबर आई है कि लता मंगेशकर कोरोना पॉजिटिव हो चुकी है और वह अभी ICU में हैं।
हमारे देश की स्वर कोकिला लता मंगेशकर एक बहुत बड़ी गायिका है। इन्हें भारत रत्न और भारत विभूषण कई रत्नों से सम्मानित किया गया है। lata mangeshkar का जन्म 28 सितंबर सन 1929 में हुआ था। इनके गाने पूरे भारत साउथ एशिया में गाये और सोने जाते हैं। कई गानों के साथ इन्होंने भजन भी गाए हैं। उस समय की फिल्मों में लता जी के गाने होते ही थे। ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे’ मूवी में गानों को लता जी ने गाया और इस फिल्म के गानों को सभी लोगों द्वारा बहुत ही पसंद किया गया था और आज भी पसंद किया जाता है। यश चोपड़ा की फिल्म में भी गानो को लता जी ने आवाज से संजोया गया है। लता जी ने बताया कि मेरी आवाज 75% नेचुरल है उन्हें गाने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है और यह अपनी कामयाबी की तरफ बढ़ती चली गई। लता जी के पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर थे । इनकी तीन बहने थी आशा मंगेशकर ,उषा मंगेशकर और मीना मंगेशकर इनकी तीनों बहनें कलाकार गायिका थी। तीनों बहनों में सबसे बड़ी लता जी थी। इनका शुरुआती समय बहुत अच्छा नहीं था । जब lata mangeshkar 13 वर्ष की थी तब इनके पिता दीनानाथ की मौत हो गई ।
इनके पिता की मौत के बाद इनकी बहनों की सारी जिम्मेदारी lata mangeshkar पर आ गई क्योंकि lata mangeshkar सबसे बड़ी थी। और अपनी जिम्मेदारियों को निभाते निभाते लता मंगेशकर खुद अपने बारे में नहीं सोच पाए और इसी वजह से लता मंगेशकर जी ने खुद की शादी नहीं कर पाई। उस समय ऐसा कोई साधन नहीं था जिसके जरिए अपने संगीत को दुनिया में फैलाया जाता । और कुछ कमाई की जाती। इनकी घर की स्थिति खराब थी। तभी कुछ लोगों ने इनकी मदद की जिनमें से एक मास्टर विनायक थे। मास्टर विनायक दीनानाथ मंगेशकर के मित्र थे। लता जी को रिलाइज हुआ कि कुछ ना कुछ तो करना पड़ेगा छोटे भाई बहन को पढ़ाना भी था जो बहुत जरूरी था। लता ने बहनों से कहा कि तुम पढ़ो लिखो मैं कुछ काम करूंगी । आशा मंगेशकर कहती है कि लता ने उन्हें बहुत संभाला और सपोर्ट किया और लता जी 1945 में काम की तलाश में मुंबई आ गई और काम के ऑफर आने लगे लेकिन इन्हें फिल्म में काम करना अच्छा नहीं लगता था । इसके बाद इन्हें उस्ताद अमन अली खान ने इन्हें संगीत सिखाया और 1943 में इन्होंने मराठी फिल्म के लिए गाया था । फिर 1948 में मास्टर विनायक का देहांत हो गया जो कि इनकी घर को चलाया करते थे। इनकी टैलेंट को देखकर गुलाम हैदर ने इनका साथ दिया। लता जी इन्हें गॉडफादर मानती हैं । जब गुलाम हैदर ने सशाधर मुखर्जी से लता जी के गायकी को आजमाने के लिए कहा तो मुखर्जी ने नकार दिया कि इस लड़की की आवाज बहुत पतली है। तभी गुलाम हैदर ने कहा कि इसी पतली आवाज के लिए यह लड़की जानी जाएगी। फिर इनकी फिल्म दीदार , अमर , उड़न खटोला बहुत सी फिल्में आई और इनमेंं लता जी ने काम किया और पीछे मुड़कर नहीं देखा । इन्होंने बड़े-बड़े म्यूजिक डायरेक्टर के साथ काम किया जैसे शंकर जयकिशन और नौशाद अली
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सन 1957 में इनकी फिल्म मदर इंडिया आई जिससे इन्हें बहुत पहचान मिली और उसमें गाने गाए। 1960 में mughal-e-azam आई । जिसमें लता जी ने ‘प्यार किया तो डरना क्या’ गाना गाया । इसके अलावा कई गाने 1960 में गाये। इनके लिए इन्हें अवार्ड भी मिला। 27 जनवरी 1963 में लता जी ने ‘ए मेरे वतन के लोगों’ वाला गाना गाया। इस गाने को सुनकर जवाहरलाल नेहरू की आंखों में आंसू आ गए थे। इसके बाद 1965 में गाइड मूवी के गाने गाए जो सुपर हिट रहे। लता के पिता नहीं थे कुछ लोगों के सहयोग और अपनी मेहनत टैलेंट के कारण ही इस मुकाम तक आई। इन्होंने 50,000 से ज्यादा सुपरहिट गाने गाए हैं। कोरा कागज के गाने इन्होंने गाये और कल्याणजी-आनंदजी के साथ काम किया। इनका गाना 1978 का ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ बहुत पसंद किया गया और आज भी पसंद किये जाते हैं। जब लता मंगेशकर का प्रवेश फिल्म इंडस्ट्री में हुआ तब उस दौर में ज्यादातर फिल्मों में उन्हीं ने गाने गाए। लता मंगेशकर लगातार गाने गाते रही। और आगे बढ़ती रहीं। सन 2000 के बाद इनके गाने कम हो गए । फिर लता जी ने 2019 में ‘सौगंध मुझे इस मिट्टी की’ गाना गाया। साक्षात सरस्वती इनके कंठ में निवास करती हैं क्योंकि उम्र के इस पड़ाव पर भी इनकी आवाज कभी मुरझाती नहीं है । इन्हें सरस्वती मां का वरदान है।