johnson and johnson vaccine
देश के कई राज्यों में फिर से एक बार कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। ऐसे में यह भी बताया जा रहा है कि जल्दी कोरोना की तीसरी लहर हमारे दरवाजे पर दस्तक दे सकती हैं। इसका सबसे ज्यादा खतरा बच्चों के ऊपर मंडरा रहा है। विशेषज्ञों का भी मानना है, कि तीसरी लहर बच्चों को आसानी से अपनी चपेट में ले सकता है। इस खतरे को टालने के लिए कई बच्चों पर वैक्सीन ट्रायल किया जा रहे हैं। जिसकी वजह से बच्चों को इस वायरस के संक्रमण से सुरक्षित रखा जा सकता है। चूंकि अमेरिका की दवा निर्माता कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन ने किशोरों पर अपनी कोविड टीके का क्लीनिकल परीक्षण करने के लिए, भारतीय दवा नियामक केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) से अनुमति मांगी है, की वह 12 से 17 वर्ष के बच्चों पर टीके का परीक्षण करेगी।
भारत में अब तक तीन वैक्सीन कंपनियों को बच्चों पर ट्राई करने की अनुमति मिली है। भारत बायोटेक की कोवैक्सीन, Zydus Candila की ZyCoV-D और नोवावैक्स को अनुमति मिल चुकी है।
Zydus Candila की ZyCoV-D का 12-18 साल तक के बच्चों पर सफल ट्रायल हुआ। इससे ड्रग कंट्रोलर जनरल आफ इंडियन ने इमरजेंसी यूज की मंजूरी दे दी है। दूसरी वैक्सीन जिसका बच्चों पर ट्रायल पूरा हो चुका है। वह है भारत बायोटेक की कोवैक्सीन। इस वैक्सीन का ट्रायल 12 से 18 साल के उम्र के बच्चों पर किया गया है। इसके अलावा दो और कंपनियां बायोलॉजिकल ई और नोवावैक्सीन ने ट्रायल की अनुमति मांगी है। जिसमें से नोवावैक्सीन को बच्चों पर ट्रायल की अनुमति मिल गई है। वहीं पर बायोलॉजिकल ई को मिलना बाकी है। दूसरी विदेशी कोरोना वैक्सीन जॉनसन एंड जॉनसन है। भारत में जिससे इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन की मंजूरी मिली थी। इससे पहले भी माॅडर्ना की वैक्सीन को अनुमति थी। इसकी जानकारी ट्वीट कर खुद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडवीया ने दी थी।
जल्द ही केंद्र सरकार जायडस कैडीला की जायकोव- डी वैक्सीन को इजाजत दे सकती है। इस वैक्सीन के ट्रायल 12 से 18 के बच्चों के साथ ही व्यस्कों किए गए हैं। इसके नतीजे काफी सकारात्मक मिले हैं। जबकि ‘जायकोव-डी’ डीएनए प्लाज्मिड आधारित वैक्सीन है। इसकी तीन खुराक हैं। इसकी सबसे खास बात यह है कि इसकी स्टोरेज के लिए कोल्ड चैन की जरूरत नहीं होगी। इस वैक्सीन को दो से चार डिग्री सेल्सियस पर आसानी से रखा जा सकता है। यह वैक्सीन कोरोना के खिलाफ काफी कारगर भी है।
अमेरिका की कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल डोज कोविड वैक्सीन इस गंभीर बीमारी के खिलाफ 85 फ़ीसदी कारगर है। तथा अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु से सुरक्षा प्रदान करती थी। इसी वैक्सीन का दो साल तक 4 डिग्री फॉरेनहाइट (-20 डिग्री सेल्सियस) पर स्थिर रहने का अनुमान है। तथा मैक्सिमम 4.5 महीने 2 डिग्री सेल्सियस से 8 डिग्री सेल्सियस की नियमित तापमान पर स्थिर रहती है। हालांकि भारत में अब तक जितनी भी कोरोना वैक्सीन को इमरजेंसी यूज ऑथइजेशन मिला है। वह सभी डबल डोज की हैं। भारत में इससे पहले भी सीरम की कोविशील्ड, भारत बायोटेक की कोवैक्सीन, माॅडर्ना तथा रूस की स्पूतनिक-वी की वैक्सीन को इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन के लिए मंजूरी मिल चुकी है। भारत बायोटेक की दो वैक्सीन डोज के बीच 28 दिनों का अंतर है। रूस की स्पूतनिक-वी की दूज के बीच 21 दिनों का अंतर रहता है। तथा सीरम की कोविशील्ड पहली डोज के बाद दूसरी डोज 12 हफ्ते बाद लगती है।
फिलहाल जॉनसन एंड जॉनसन की एक सिंगल डोज वैक्सीन को भारत में आपात इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिल चुकी है। और उम्मीद है कि आगे आने वाले दिनों में इसको पूरी तरह से अनुमति मिल जाएगी।