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Spinal Muscular Atrophy (SMA): एक ऐसी जानलेवा बीमारी, क्यों है Zolgensma Injection की कीमत 16 करोड़ रुपए? 2 माह का बच्चा अयांश Ayansh Singh वह भी जूझ रहा है इस रोग से

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दुनिया में ऐसी बहुत सारी बीमारियां हैं। जिनके बारे में मैक्सिमम लोगों को पता नहीं होता। लेकिन वह बहुत ही जानलेवा होती है। जैसे Spinal Muscular Atrophy जो कि एक अनुवांशिक बीमारी है। यह बीमारी विभिन्न प्रकार की होती है। लेकिन इनमें Type-1 बेहद ही खतरनाक होता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में हर साल जन्म लेने वाले बच्चों में लगभग 400 बच्चे इसी बीमारी से प्रभावित होते हैं। अपने भारत में भी इसके बहुत सारे मामले सामने आ चुके हैं। एक मामला तीर कमान नाम की एक बच्ची का है। जोकि Spinal Muscular Atrophy Type-1 से पीड़ित है। वह इसका इलाज मुंबई के एक अस्पताल में चल रहा है। लेकिन सच बात तो यह है, कि इस बीमारी का इलाज भारत में है ही नहीं। अभी हाल ही में बिहार में भी स्पाइनल मस्कुलर स्ट्रॉफी का केस सामने आया है। जो 2 महीने का बच्चा इस बीमारी से जूझ रहा है। जिसका नाम अयांश (Ayansh Singh) है।

Spinal Muscular Astropay क्या है?

SMA: स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी बच्चों व शिशुओं को प्रभावित करने वाली एक वंशानुगत बीमारियों के समूह में से एक है। यह रीड की हड्डी में मोटर न्यूरॉन्स तंत्रिका कोशिकाओं को नष्ट करने के साथ ही बच्चों की मांसपशियों को भी प्रभावित करती है। चूंकि मोटर न्यूरॉन्स तंत्रिका कोशिका शरीर की मांसपेशियों के द्वारा होने वाले काम जैसे कि बोलना, सांस लेना, सूचना, निगलना, चलना फिरना इत्यादि को नियंत्रित करता है। इसका अर्थ है हाथ पैर, जीभ, गला, छाती, चेहरे आदि का नियंत्रण मोटर न्यूरॉन्स तंत्रिका कोशिका ही करता है। फिलहाल जब मोटर न्यूरॉन तांत्रिका कोशिका और मांसपेशियों का सही से संपर्क नहीं हो पाता है। तो शरीर की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं।

कितने प्रकार के होते हैं Spinal Muscular Atrophy.

SMA: स्पाइनल मस्कुलर स्ट्रॉफी कई प्रकार के होते हैं। जो 1 वर्ष से कम उम्र वाले बच्चे को सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं। बच्चों को प्रभावित करने वाली ये बीमारी 3 प्रकार की होती है। जबकि ये वयस्कों में दो प्रकार (टाइपIV और फिंकेल) की होती है। आमतौर पर जो 30 वर्ष के बाद होती है।

Ayansh singh की मां ने बताया अयांश की बीमारी के बारे में सब कुछ

कौन है Ayansh Singh ? क्या है स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी रोग जिससे आयांश जूझ रहा है ?

Spinal Muscular Atrophy Type-1

स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी टाइप-1 बेहद यह खतरनाक बीमारी है। जो बच्चे इस स्पाइनल मस्कुलर एंट्रॉफी टाइप-1 से पीड़ित होते हैं। उनकी मांसपेशियां कमजोर होती हैं, शरीर में पानी की कमी होने लगती हैं, व स्तनपान करने में और सांस लेने में बहुत ज्यादा दिक्कत होती है। इस बीमारी से पूरी तरह से बच्चा निष्क्रिय हो जाता है।

क्या है इस बीमारी का इलाज Spinal Muscular Atrophy Type-1

SMA: अब तक की गई रिसर्च के बाद मेडिकल साइंस द्वारा इस बीमारी का सिर्फ एक ही इलाज है। वो है Zolgensma Injection. जिसको स्वीटजरलैंड की कंपनी नोवर्टिस तैयार करती है। इस कंपनी का दावा है कि ये इंजेक्शन एक तरह का जीन थेरेपी ट्रीटमेंट है। जिसे एक ही बार लगाया जाता है। इस इंजेक्शन को 2 साल से कम उम्र के बच्चों को लगाया जाता है।

Spinal Muscular Atrophy का Zolgensma Injection क्यों इतना महंगा…?

Zolgensma Injection की कंपनी इसे 16 करोड़ रुपए में बेचती है। दरअसल अब हम दुनिया के जिस देश में है। उस देश की सरकार इस पर निर्धारित आयात शुल्क और दूसरे टैक्स वसूल करती है। नोवर्टिस के सीईओ ‌नरसिम्हा के अनुसार, जीन थेरेपी मेडिकल जगत में एक बड़ी खोज है। जो लोगों के अंदर एक उम्मीद जगाती है कि एक डोज से पीढ़ियों तक पहुंचने वाली जानलेवा जेनेटिक बीमारी को सही किया जा सकता है। हालांकि इंजेक्शन के तीसरे चरण के ट्रायल के रिव्यू करने के बाद इंस्टीट्यूट फॉर क्लीनिकल एंड इकोनॉमिक ने इसकी कीमत 9 से 15 करोड़ रुपए के बीच तय की थी। नोवर्टिस ने इसे मानते हुए इसकी कीमत 16 करोड़ रुपए रखी। फिलहाल SMA बीमारी जीन दिन की खराबी के कारण होती है। उसी नए जीन से Zolgensma Injection रिप्लेस करता है। ऐसा होने के बाद दोबारा शरीर में या बीमारी नहीं होती है,क्योंकि बच्चे की डीएनए में नया जीन शामिल हो जाता है। कुल मिलाकर यह इंजेक्शन बहुत ही मूल्यवान है। शायद इसीलिए इतना महंगा है। हालांकि कंपनी ने इसकी लागत नहीं बताई है।

Spinal Muscular Atrophy का Zolgensma Injection कितना असरदार है.

स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी के Zolgensma Injection को 21 बच्चों पर क्लिनिकल ट्रायल किया गया। इसके नतीजे मार्च 2019 में आए। उसके मुताबिक, 21 में से 10 बच्चे बिना किसी सपोर्ट के बैठ पाए। लेकिन ये नतीजे वैज्ञानिकों को आने वाले थे क्योंकि अब तक ऐसा नहीं हो पाया था। अगर हम इसे आसान भाषा में कहें, तो यह इंजेक्शन 50 फ़ीसदी बच्चों पर सफल रहा।
बाहरहाल कंपनी की ओर से यह स्पष्ट नहीं किया गया कि इस इंजेक्शन का असर किसी बच्चे भी नहीं होगा। तो क्या कंपनी 16 करोड़ रुपए वापस करेगी.??

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