Ishrat Jahan: दिल्ली में वर्ष 2020 में हुए सांप्रदायिक दंगों की साजिश करने की आरोपी पूर्व पार्षद इशरत जहां को जमानत मिल गई है। बता दे कि एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने जमानत देने का आदेश दिया। दरअसल जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान ही दिल्ली पुलिस की तरफ से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने इशरत जहां की नई जमानत याचिका का विरोध करते हुए यह कहा था कि इशरत जहां दूसरे आरोपियों के संपर्क में थी तथा इनका मकसद दंगे की साजिश को अंजाम देना था।
अमित प्रसाद ने यह भी कहा था कि Ishrat Jahan ने नताशा नरवार के साथ साजिश रची। जिसका खुरेजी इलाके से कोई भी संबंध नहीं था। अमित प्रसाद ने यह भी कहा था कि इशरत जहां का न तो जेएनयू से कोई संबंध था और न ही दिल्ली यूनिवर्सिटी से।
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बता दें कि पिछले महीने ही Ishrat Jahan जमानत याचिका पर एक आदेश सुरक्षित रखा गया था। इशरत की तरफ से पेश हुए वकील प्रदीप तेवतिया ने यह तर्क दिया था कि दिल्ली दंगों की बड़ी साजिश मामले में उनकी संलिप्तता दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है तथा उन्हें झूठा फंसाया गया है।
Ishrat Jahan को गैर कानूनी गतिविधि अधिनियम (यूएपीए) के अंतर्गत 2020 के पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों में उनकी कथित संलिप्तता के लिए ही गिरफ्तार किया गया था। वो 2012 से 2017 कांग्रेस पार्षद थी तथा अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की सदस्य भी थी।
दरअसल अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रवत ने
पिछले महीने ही आदेश सुरक्षित रखने के बाद से इस तरफ जहां को जमानत दे दी थी। अदालत ने इशरत की तरफ से पेश अधिवक्ता प्रदीप तेवतिया को सुना, जबकि अभियोजन पक्ष की भी विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद पेश हुए। चूंकि शाह आरोपी सलीम मलिक तथा शरजील इमाम द्वारा दायर जमानत याचिकाओं में आदेश 22 मार्च तक के लिए टाल दिया गया है। इसी बीच ही उमर खालिद की जमानत याचिका पर आदेश 21 मार्च के लिए टाल दिया गया है।
Ishrat Jahan की तरफ से पेश अधिवक्ता तेवतिया ने यह कहा था कि दिल्ली दंगों के बड़े साजिश मामले में उनकी संलिप्तता को दिखाने के लिए जरा सा भी सबूत नहीं है तथा अभियोजन पक्ष उन्हें इस मामले में झूठा ही फंसाया है। ये भी प्रस्तुत किया गया था कि इशरत जहां का मामला अन्य सह आरोपी व्यक्तियों की तुलना में बेहतर है। जिन्हें ने मामले में भी जमानत दी गई है। इशरत जहां की साख पर प्रकाश डालते हुए देवरिया ने आगे यह कहा था
कि उन्होंने लोगों में डर पैदा किया है, वह एक वकील भी रही है। वो एक युवा राजनीतिक व्यक्ति थी तथा उनके पास एक शानदार कौशल है। मैं एक ऐसी ही वार्ड से विजई हुई थी जहां पर मुसलमानों की संख्या कम थी। हालांकि दोनों संप्रदायों ने उन्हें वोट दिया था तथा उक्त वार्ड से कोई मुसलमान भी नहीं जीता था। वो एक लोकप्रिय महिला थी। जब की साजिश में उनकी संलिप्तता के संदर्भ में उनके पास एक भी सबूत नहीं है कुछ भी तो होना चाहिए।
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प्रसाद के मुताबिक ये प्रस्तुत किया गया था कि अभियोजन पक्ष का यह मामला है कि आरोपियों के बीच ही उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगे करने की एक पूर्व नियोजन साजिश भी थी। इसी को देखते हुए उन्होंने दलीले दी थी जो कि कोई भी अपराधिक साजिश के अंतर्गत एक तरफा काम करेगा। वो दूसरी के कृत्य के लिए जिम्मेदार होगा।
दरअसल उन्होंने ये तर्क दिया था कि उनके पास अन्य सह आरोपियों के साथ ही गठबंधन करने का कोई वजह नहीं था, दिल्ली दंगों की साजिश रचने के लिए ही था। हालांकि खुरेजी विरोध स्थल जैविक नहीं था तथा वास्तव में जामिया समन्वय समिति द्वारा नियंत्रण तथा संगठित किया गया था। जिसको लंबे वक्त से रचा गया था। उन्होंने कहा कि सुझाव उनका अभियोजन एक डायन हंट है। चार प्रक्रिया को पटरी पर उतारने के प्रयास के अलावा और कुछ भी नहीं होगा।
जबकि अपने तर्कों का समर्थन करने के लिए ही उसने या दिखाने के लिए सीडीआर विवरण तथा फोन रिकॉर्ड पर भरोसा किया था कि जहां अन्य सह आरोपियों के साथ लगातार संपर्क में था और तो और धन का एक पहलू था। जिसको उनके वकील ने पूरी तरह से ही नजरअंदाज कर दिया था।