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Inflation: महंगाई पर भी छाया है पुष्पा का खुमार, दाम बढ़ें नहीं फिर भी आपकी जेब से हो रही कटौती, जाने कैसे

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आप शायद इस बात से बिल्कुल ही बेखबर होंगे लेकिन इस बार से इंकार नहीं है कि कुछ चीजों की दाम बढ़ाए बिना ही कंपनियों ने बड़ी ही सफलता से आपकी जेब पर कटौती कर ली है। जरा आप अपने आसपास गौर किजिए तो आपको अंदाजा हो जाएगा कि आप मसालें, बिस्किट्स, सैनेट्री पैड, नमकीन और टूथपेस्ट जैसे कि प्रोडक्ट्स पर आपसे अधिक पैसे बटोरने लगी है। दाम वहीं है लेकिन पैकेट्स में मौजूद चीजों की क्वांटिटी कम हो गई है।

उफ़ उफ़ महंगाई। हाय हाय! महंगाई।

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नींबू, रसोई गैस, पेट्रोल और डीजल, इन चारों शब्दों को सुनते ही पांचवां शब्द अपने आप ही हमारे मुंह से निकल ही जाता है, और वो है हर दिन जंप मार कर बढ़ती जा रही महंगाई। उफ़ उफ़ महंगाई। हाय हाय! महंगाई। आज हमारे देश का हर बच्चा-बच्चा यह जानता है कि इन सभी चीजों के दाम अब हर दिन ही रॉकेट की तरह बढ़ते ही जा रहे हैं, लेकिन क्या आपको कुछ जानकारी इस बारे में भी है कि कुछ डेली यूज प्रोडक्ट्स ऐसे भी हैं, जिनकी कीमतों में महंगाई के इस दौर में भी नहीं बढ़त तो नहीं हुई है। फिर भी वे महंगे तो हो ही चुके हैं।

शृंकफ्लेशन है ये महंगाई

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अब आप तो यही अंदाजा लगा रहे होंगे, ये भला कैसे हो सकता है?

लेकिन यह बात बिल्कुल ही सच है और बिल्कुल ऐसा ही आपकी जेब के साथ हो भी है, कोलगेट टूथपेस्ट, बीकाजी नमकीन, पारले-जी बिस्किट …और ऐसे ढेरों प्रोडक्ट हैं, जिनकी कीमत तो एक पैसा भी नहीं बढ़ाई गई है, लेकिन फिर भी ये महंगे तो हो ही चुके हैं। अर्थशास्त्र की भाषा में इस तरह से बढ़ रही महंगाई को अंग्रेजी में शृंकफ्लेशन (Shrinkflation), वहीं हिंदी में सिकुड़न कहा जाता हैं।

इसमें प्रोडक्ट की प्राइस तो वहीं रहतीं हैं लेकिन पैकेट्स में मौजूद चीजों की क्वांटिटी कम कर दी जाती है। जैसे कि पारले-जी बिस्किट की कीमत फरवरी में भी 5 रुपए थी और अब भी उसकी किमत तो 5 रुपए ही है, लेकिन वजन 64 ग्राम से कम कर 55 ग्राम कर दिया गया है।

महंगाई बढ़ाने के और भी तीन तरीके

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सिर्फ एक शृंकफ्लेशन ही नहीं लेकिन यहां तो महंगाई बढ़ाने के और भी तीन तरीके मौजूद हैं। वैसे अर्थशास्त्र की भाषा में तो इनके नाम बड़े ही कठिन हैं, लेकिन हमारी आम बोलचाल की आसान भाषा में कहें तो ये हैं घोड़ा दौड़ महंगाई, कछुआ चाल महंगाई और रॉकेट स्पीड महंगाई ही है।

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दैनिक भास्कर ने इस छुपी हुई महंगाई से जनता रू-ब-रू करवाने के लिए रिसर्च किया था और करीब 20 से भी ज्यादा ऐसे प्रोडक्ट सामने आएं हैं, जिन्हें आप किसी भी छोटे बड़े मॉल या अपने ही गली और मोहल्ले की दुकान से उसी किमत पर खरीद रहे हैं जो 2021 में थे।

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थैलाभर सामान से छुपी हुई महंगाई आपके किचन तक

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जब भी आप खरीदारी के लिए बाहर निकलते हैं तो आपके ही इन थैलाभर सामान से छुपी हुई महंगाई आपके किचन तक पहुंच रही है। तो अब तो आपने जान ही लिया होगा महंगाई का पूरा अर्थ और शास्त्र….कैसे छुपी हुई महंगाई हर रोज ही आपके किचन तक पहुंच रही है…

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