हम सब ने अपने बचपन में अपने बड़े बूढों से यानी नाना, नानी, बाबा, दादा ,दादी, ताऊ, ताई इन सभी से परियो की कहानी सुनकर ही बड़े हुए है और इन सब कहानी में होती थी एक परी जो बच्चो के सपनों को पूरा करती थी पर सच तो ये है कि ऐसी कई परी इस दुनिया में है ही नहीं जो हमारे सपनों को पूरा कर सकें आज आप को ऐसे उठन पारी के बारे में बताऊंगी जो अपने परिवार समाज और ढेर सारी लड़कियों के सपनों को पूरा करती है और कुछ ऐसा कर जाती है जो शायद हमारे और आपके सपने में भी नहीं आता होगा।
19 वर्ष की एक सामान्य परिवार में जन्मी लड़की हेमा दास की कहानी सुनाती हू, 9 जनवरी 2000 आसाम स्टेट के कादुमली में जन्मी एक लड़की जो अपने 6 भाई बहनों में सबसे छोटी है, जिनके परिवार में 17लोग रहते हैं और सब खेती करते है और मछली पालन करते हैं और ऐसे ही जिंदगी का गुजारा करते है उसी परिवार कि एक लड़की देश में नहीं विदेश में भी अपना नाम रोशन कर देती है, ट्रक एंड फिल्ड प्रतिस्पर्धा में 21दिन के अंदर 6 गोल्ड मेडल जीत कर जो कारनामा हिमा ने कर दिखाया वो सामान्य बात नहीं हैं ।
इस प्रतियगिता के दौरान हिमा ने 400 मीटर की दौड़ 51.46 सकेड का समय निकाल कर गोल्ड मेडल जीता है और वो ये उपलब्धि हासिल करने वाली पहली भारती महिला एथलीट बन गई है ।
इतना ही नहीं इन्होंने 2013 में एक ग्रुप बनाया मुन जेई यानी मेरी चाहत इसमें आसाम के लोगो के लिए कई तरह के कार्य होता है जैसे के बाढ़ पिथितो के लिए सहयोग ऐसा ही कई कार्य करती है,हिमा ने अपने पुरस्कार राशि का एक बड़ा हिस्सा आसाम के पीड़ितों के नाम कर दिया है।
इनके जीवन के बारे कई किस्से है आइए आप को बताते है इनके पास जूते नहीं थे प्रैक्टिस के लिए परिवार वालो से कभी मागा नहीं क्युकी घर की हालत बहुत खराब था पर उन के पापा सब समझे थे उनहो एक जूता दिया वो जूता था addidas का और उसकी खुशी क्या रही होगी आप सोचिए हम आगे बताए बाद में उसी कंपनी ने हेमा दास के नाम का जूता ही निकाला दिया इसको कहते है काम ईतनी खामोशी से करो कि सफलता मिलने पर जमाना सोर करे,घर की हालत खराब थी पर कभी हार नहीं मानी हम आप क्या सोचते है हमारे पास ये नहीं है हम गरीब है हम वहां तक केसे पहुंचेंगे इन सब का जवाब दिया है जहां चाह है वहां राह है, हेमा ने कहा कि एक कदम आप को खुद आगे आना पड़ेगा उस के बाद लोग आप की प्रतिभा को निखारने के लिए खुद ही मिल जायेगे आप का सपोर्ट करेगे, लेकिन जब आप घर बैठे रहेंगे तो आप कुछ नहीं करपाएगे कुछ करना है तो पहले आप को खुद ही निकलना होगा,आखरी में मजिल उन्हीं को मिलती है जिन के सापने में जान होती है, पखो से कुछ नहीं होता होंसला से उठान होती है।