Gorakhpur: दिल्ली के सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में Gorakhpur के जटेपुर इलाके में रहने वाले निशांत श्रीवास्तव और रजत श्रीवास्तव चमकता सितारा हैं। डिजिटल फैक्ट्री ऑपरेटिव सिस्टम नाम का सॉफ्टवेयर तैयार कर इन दोनों भाइयों ने न सिर्फ बड़ा कारोबार खड़ा कर दिया बल्कि देश की नामी-गिरामी कंपनियों को सॉफ्टवेयर संबंधी विभिन्न तकनीकी सुविधाएं भी उपलब्ध करा रहे हैं।
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सिंचाई विभाग से सेवानिवृत्त अवर अभियंता मुरली मनोहर श्रीवास्तव और गृहिणी कुसुम श्रीवास्तव के दोनों पुत्रों निशांत और रजत ने सरस्वती शिशु मंदिर पक्कीबाग से इंटरमीडिएट की पढ़ाई करने के बाद पंतनगर यूनिवर्सिटी से बीटेक की पढ़ाई की पूरी की।
बीटेक की पढ़ाई करने के बाद निशांत ने बजाज ऑटो में और रजत ने कैड एरिना में लगभग पांच वर्ष तक नौकरी की। बजाज ऑटो में तकनीकी, गुणवत्ता की जांच करने में तथा स्टॉक समेत अन्य कार्यों के ऑडिट में काफी समय और मजदूरी में बहुत ज्यादा खर्च होता था। ऐसे में निशांत और रजत ने इन समस्याओं को दूर करने के लिए डीएफओएस नामक सॉफ्टवेयर डेवलप किया।
इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से बजाज ऑटो के सभी कार्यों के ऑडिट में 70% तक का समय कम हो गया। यहीं से शुरू हुआ दोनों भाइयों का देश की नामी-गिरामी कंपनियों में अपने सॉफ्टवेयर के माध्यम से सेवा देने का सफर। दोनों ने इस सॉफ्टवेयर के लिए ‘डिजाइन-एक्स’ नाम की कंपनी खड़ी कर दी।
इन दोनों भाइयों की कंपनी देश के विराम नामी-गिरामी तथा प्रतिष्ठित कंपनी जैसे हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड, हीरो मोटोकॉर्प, डाबर, टीवीएस, मारुति सुजुकी में अपनी सेवाएं दे रही है। वहीं इस कंपनी से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से तकरीबन 100 लोगों को रोजगार का मौका भी मिला है। इन कर्मचारियों को 20 हजार रुपये से लेकर लगभग 1.20 लाख रुपये महीने तक वेतन दिया जाता है।
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निशांत और रजत बताते हैं कि सामान्य तौर पर आज काम का एक बहुत बड़ा हिस्सा आज भी कागज पर हो रहा है, जो बहुत धीमा और प्रकृति को नुकसान पहुंचाने वाला है। इसी कारण फैक्ट्री में करने वाले विशेषज्ञ अपने काम की वास्तविक समय मॉनिटरिंग नहीं कर पाते हैं।
जिसके वजह से उनके संसाधन बर्बाद होते हैं, प्रोडक्शन और कार्य के गुणवत्ता में गिरावट आती और साथ में ही दुर्घटना की भी संभावना बनी रहती हैं। हमारे सॉफ्टवेयर के माध्यम से इनमें गुणात्मक सुधार हुआ है। डीएफओएस भारत के आत्मनिर्भर भारत और 2070 तक कार्बन न्यूट्रल बनने के इस बड़े मिशन में एक छोटा सा योगदान है।