Daagh Dehlvi: उर्दू के सबसे लोकप्रिय शायरों में शामिल हैं देहलवी साहब। शायरी में चुस्ती और शोख़ी और मुहावरों के इस्तेमाल के लिए मशहूर शायर हैं।
झूटी क़सम से उनका ईमान तो गया
दिल ले के कहते हैं मुफ्त में, कुछ काम का नहीं
उल्टी शिकायतें हुईं एहसान तो गया
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देहलवी साहब की गजलों में खुद्दारी तो झलकती ही है, साथ ही साथ दिलदार के ऊपर दिए गए तंज भी नजर आते हैं। जिसमें एक बेवफा हमसफर जो दिल लेने के बाद कहता है तुम्हारा दिल किसी काम का नहीं शायद ये “दिल “उसे मुफ्त में मिल गया इसलिए।
डरता हूँ देख कर दिल बिना आरज़ू को मैं
सुनसान घर ये क्यूँ न हो मेहमान जो घर से गया
क्या आए आप, राहत आई जो कुंज-ए-मज़ार में
वो वलवला,हर शौक और अरमान भी गया
देखा है बुत-कदे में जो ऐ दिल कुछ न पूछ
ईमान की तो ये है कि ईमान भी गया
इफ़्शा-ए-राज़-ए-इश्क़ में गो शर्मिंदगी हुईं
लेकिन उसे जता तो दिया और वो जान तो गया
गो नामा-बर से ख़ुश न हुआ पर शुक्र है हजार
मुझ को वो मेरे नाम से वो पहचान तो गया
10वीं में पढ़ने वाली बिहार के गांव की इस लड़की की शायरी भारत से लेकर विदेशों तक वायरल होती है
महफिले-ए-अदू में सूरत-ए-परवाना दिल मिरा
गो रश्क से जला और कुर्बान हो गया
होश और हवास ओ ताब ओ तवाँ सब ‘दाग़’ जा चुके
अब हम भी जा रहे हैं, मेरा सामान जो गया
Daagh Dehlvi की हर शायरी उर्दू जबान को संभालती हुई नजर आती है । उर्दू जबान जो कि अब नए शायरों में देखने को कम मिलती है उसे देहलवी साहब ने अपने गजलों में पिरो कर अपनी शायरी को वजनदार बनाया है। देहलवी साहब की शायरी में तन्हाई के आलम को देखा जा सकता है इसके साथ ही उन्होंने अपने दिल के खाली होने की पूरी दास्तान को बयां किया है।