सोमवार को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहां की गंगा की सफाई सरकार के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि ये पवित्र नदी भारत की आर्थिक गतिविधियों का भी आधार है। तथा देश की करीब 40 फ़ीसदी आबादी की आजीविका इसी पर निर्भर है। शेखावत ने “गंगा उत्सव द रिवर फेस्टिवल 2021” में कहां हम गंगा को आधा आदमी से जोड़ने तथा राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के अंतर्गत इसे जन आंदोलन बनाने में भी सफल रहे हैं। ऐसे में वो करोड़ों लोग हैं। जो गंगा की सफाई की प्रक्रिया में अपने दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि भारत में विविधतापूर्ण देश है। तथा गंगा जैसी नदिया लोगों को जोड़ती व एकजुट करती हैं। इसलिए उनके प्रति हमारी प्रतिबद्धता बहुत ही जरूरी है। पहले गंगा की सफाई को विभाजित तरीके से भी किया जा रहा था। तथा इसके प्रयास भी तेजी से नहीं किए जा रहे थे।
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जनशक्ति सचिव पंकज कुमार ने बताया कि एनएमसीजी के कारण से जमीनी स्तर पर उल्लेखनीय सुधार पहले से ही देखा जा सकता है। पानी की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है। या फिर चाहे यहां घुलित ऑक्सीजन हो, जैविक ऑक्सीजन या फिर केवल कोलीफॉर्म हो। कई स्थानों पर इस सुधार को देखा जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार नदियों की सफाई योजना का विस्तार कर रही हैं। तथा गंगा के अलावा भी अन्य नदियों पर भी ध्यान दे रही है। इस अवसर पर शेखावत ने क्लैप (कंटीन्यूअस लर्निंग एंड एक्टिविटी पोर्टल) को भी लांच किया है। ये एक ऐसा पोर्टल है। जो देश की नदियों के बारे में संवाद तथा कार्यवाही शुरू करने की दिशा में काम कर रहा है।ये पर्यावरण, नदियों, जल इतिहास से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर वाद विवाद, विचारों तथा चर्चाओं को रखने में मदद करता है। एनएमसीजी के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने बताया कि ‘क्लैप’ का उद्देश्य जल तथा पर्यावरण इत्यादि मुद्दे पर व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाना है। शेखावत ने फंसी हुई गंगा डॉल्फिन को सुरक्षित बचाने तथा उसको छोड़ने की मार्गदर्शिका पर एक मैनुअल जारी किया है। इसके बारे में राजीव रंजन जी ने गंगा नदी डॉल्फिन गंगा के इकोसिस्टम का अभिन्न अंग है। लेकिन विभिन्न वजहों से उनकी आबादी खतरे में है। इन वजहों के कारण वजह से उनका सिंचाई की नहरो या फिर छोटी सहायक नदियों में फंसा शामिल है। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर राजेश सिन्हा द्वारा विकसित “गंगा एटलस : रिवर ऑफ़ द पास्ट”भी जारी की है। इसमें पिछले पांच छह दशकों में गंगा में जो बदलाव हुए हैं, उनका उल्लेख किया गया है।
“गंगा उत्सव- द रिवर फेस्टिवल 2021” के पहले दिन ही फेसबुक पेज पर एक घंटे में हस्तलिखित नोट्स की मैक्सिमम संख्या में फोटो अपलोड करने के लिए कारण ही एनएमसीजी गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हो गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एक घंटे की गतिविधि के दौरान लाखों प्रविष्ठियां दर्ज की गई। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र के लोगों की इसमें भागीदारी काफी ही प्रेरणादयी थी। हालांकि कई लोगों ने उत्सव के फेसबुक पेज पर स्वरचित साहित्य कृतियों को भी पोस्ट किया। जल शक्ति मंत्री शेखावत को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के निर्णायक ऋषि नाथ ने रिकॉर्ड का प्रमाण पत्र सौंपा।