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Common Civil Code लाने की तैयारी में जुटा है केंद्र.

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Common Civil Code

Common Civil Code: केंद्र सरकार ने देश के नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता कानून लाने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। इस कानून का केंद्रीय बिल आने वाले समय में किसी भी समय संसद में पेश किया जा सकता है। परीक्षण के तौर पर उत्तराखंड में इस Common Civil Code कानून के बनाने की कवायद शुरू की गई है।

जिसमें एक कमेटी का गठन कर दिया गया है। इस कमेटी के लिए ड्राफ्ट निर्देश बिंदु केंद्रीय कानून मंत्रालय ने ही दिए हैं । इससे साफ है कि कानून का ड्राफ्ट केंद्र सरकार के पास बना हुआ है। सरकार के उच्चतर सूत्रों के अनुसार राज्यों में बने नागरिक संहिता के कानूनों को बाद में केंद्रीय कानूनों में समाहित कर दिया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि, भारत अब एक नई स्टार्टअप की उड़ान भरेगा।

Common Civil Code

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि देश में यूनिकॉर्न की संख्या 100 के पार पहुंच गई है। पिछले कुछ ही दिनों में 14 नए यूनिकॉर्न बने हैं। भारत का स्टार्टअप आगे बढ़ रहा है  उन्होंने कहा कि भारत का स्टार्टअप नई उड़ान भरेगा। आने वाला समय भारत का होगा। यह यूनिकॉर्न कई दिशाओं में काम कर रहे हैं। यूनिकॉर्न के मामले में कई देश भारत से पीछे हैं।

आकाशवाणी से प्रसारित होने वाले अपने मासिक संबोधन “मन की बात” की 89 कड़ी में प्रधानमंत्री ने कई मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किए उन्होंने कहा कि देश में यूनिकॉर्न की संख्या 5 मई को 100 से अधिक हो गई कम से कम साढ़े सात हजार करोड़ रुपए यानी कि 1 बिलियन डॉलर के स्टार्टअप को यूनिकॉर्न कहते हैं।

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क्योंकि एक समानता लाने के लिए कानून का केंद्रीय होना बहुत जरूरी है। हर राज्यों में इस कानून को परीक्षण के तौर पर लागू करवाने की चर्चा चल राहु हौ है। यह पहला और एतिहासिक मौका है जब सरकार ने पहली बार इस कानून के लाने के बारे में इतनी स्पष्टता से कहा है। सूत्रों ने कहा कि यह कानून (Common Civil Code) अवश्य आएगा लेकिन कब और किस समय आएगा यही सवाल है। सरकार का इरादा था कि समान नागरिक संहिता पर राष्ट्रीय विधि आयोग से रिपोर्ट ले ली जाए।

लेकिन विधि आयोग के 2020 में पुनर्गठन होने के पश्चात कार्यशील नहीं होने के कारण राज्य स्तर पर कमेटियां बनाने का प्रयास किया जा रहा हैं। हर कमेटी का फॉर्मेट विधि आयोग की तरह से जुड़ा है। इसमें सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस रंजना देसाई दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज प्रमोद कोहली पूर्व आईएएस शत्रुघ्न सिंह और दून विवि की वीसी सुरेखा डंगवाल शामिल है।

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कई राज्य समान नागरिक संहिता के लिए पहले ही हामी भर चुके हैं.

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सूत्रों ने कहा कि यह कमेटी अन्य राज्यों मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश में भी बनाई जा सकती है ।यह राज्य समान नागरिक संहिता के लिए पहले ही हामी भर चुके हैं। कमेटी के संदर्भ बिंदु केंद्र सरकार ने दिए हैं ।यह पूछे जाने पर कि आदिवासियों के लिए इसे कैसे लागू करेंगे क्योंकि उनके कानून उनकी नीतियों के अनुसार होते हैं। देश में 10 से 12 करोड़ आदिवासी रहते हैं। जिनमें से 12 फीसद के आसपास पूर्वोत्तर में रहते हैं।

वही कानून के आने से संयुक्त हिन्द परिवार को आयकर में मिलने वाली छूट समाप्त हो जाएगी। सूत्रों ने कहा कि हमें एक देश के रूप में आगे बढ़ना है तो थोड़ा एडजस्ट करना होगा। एक समान कानून बनने से विभिन्न कानूनों का जाल खत्म होगा और उससे देश में करीब 20 फ़ीसदी दीवानी मुकदमे स्वतः समाप्त हो सकते हैं।

क्योंकि सभी नागरिकों पर आईपीसी की तरह से या कानून लागू होगा। इस बारे में कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि, समान नागरिक संहिता लाना भाजपा के मुख्य एजेंडे में से एक रहा है ।और इसे हर हाल में पूरा किया जाएगा इस बारे में तैयारी चल रही है और यह कानून जरूर लाया जाएगा।

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