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भारत के इतिहास में कई ऐसे लोग दर्ज है जो बहादुर स्वाभिमानी और एक आकर्षक व्यक्तित्व वाले थे। कई लोग ऐसे हैं जो समाज सुधारक और समाज में रहने वाली कुरीतियों और रीति रिवाज के खिलाफ खड़े हुए। भारत के इतिहास में ऐसे महिलाओं के नाम भी दर्ज है जो धारा के अनुकूल दिशा में नहीं गई । उन्होंने कुरीतियों और अंधविश्वास से लड़ने के लिए धारा के प्रतिकूल दिशा में चली। भारत में ऐसे तमाम घटनाएं, विद्रोह हुए हैं जो हमारे इतिहास के आखिरी पायदान पर होने के कारण प्रकाश में नहीं आ पायी। एक दलित लड़की जिसका नाम नंगेली था। जो भारत की पहली क्रांतिकारी महिला है। यह घटना केरल की इतिहास के पन्नों पर अंकित है। यह घटना सौ से डेढ़ सौ साल तक की पुरानी घटना है। जब केरल त्रावणकोर के राजा द्वारा बनाया हुआ एक निहायती घटिया नियम था। इस नियम के अनुसार दलित महिलाओं को अपने स्तनों को ढकने का अधिकार नहीं था । और जिन महिलाओं को अपने स्तनों को ढकना होता था तो उन्हें टैक्स देना पड़ता था। इस कर का नाम मूलाकर्म था। इस राज्य में महिलाओं के स्तन की मात्रा वजन के हिसाब से कर वसूलते थे। दरअसल ब्रेस्ट टैक्स इसलिए लगाया जाता था कि इसमें ऊंच-नीच जातिवाद को देखा जाता था। जो महिलाएं नीच जाति की या दलित हुआ करती थी उन्हें स्तन ढकने पर ब्रेस्ट टैक्स देना पड़ता था और अत्यधिक गरीब होने के कारण ब्रेस्ट टैक्स नहीं दे सकते थे तो उन्हें अपने स्तन ढकने का अधिकार नहीं था।
एक दलित महिला ने इस अमानवीय नियम पर राज्य को चुनौती दे डाली। केरल की इस रियासत में एक छोटा सा गांव छेरतला था, जिसमें चिरकनंदन नाम का एक दलित व्यक्ति था जो अपनी पत्नी नंगेली के साथ रहता था। उनकी इस रियासत में आर्थिक स्थिति खराब होने के तथा ब्रेस्ट टैक्स देने के डर से इस तरह के अमानवीय जीवन को जी रहे थे लेकिन रोज का अपमान नंगेली को मंजूर नहीं था और उसने फैसला किया कि वह ऐसा जीवन नहीं जी पाएगी और नंगेली ने एक दिन अपने स्तनों को ढक लिया और उस रियासत में यह राजा का उल्लंघन था। यह नियम को तोड़ना था क्योंकि निम्न जाति की महिलाओं को स्तन ढकने का अधिकार नहीं था। राजा की आज्ञा का उल्लंघन करने पर वहां के अधिकारी नंगेली के घर पहुंचे और नंगेली के पति चिरकनंदन को चेतावनी देने लगे कि तुम्हारी पत्नी ने राजा की आज्ञा का उल्लंघन किया है। यदि ऐसा अब फिर से हुआ तो दुगना कर भुगतना पड़ेगा घर के अंदर बैठी नंगेली ने राजा के लोगों की आवाज जैसे ही सुनी। वह बाहर की तरफ दौड़ी चली आई और विद्रोह करते हुए बोली मैं अपने स्तनों को ढक कर चलूंगी इसके लिए मुझे जितना टैक्स देना पड़े दूंगी। इस बात को सुनकर राजा के लोग तिलमिला उठे और एक माह की धमकी देकर चले गए।
नंगेली ने आवेश में आकर सिपाही को चुनौती तो देकर भगा दिया लेकिन उसके पास ब्रेस्ट टैक्स चुकाने के लिए पैसे नहीं थे। वह चिंतित थी। 1 महीने का समय बीत गया राजा के सिपाही 1 महीने में टैक्स वसूलने रंगीली के घर आ पहुंचे। और नंगेली को मूलाकर्म की राशि सुना दी। नंगेली अपने घर के अंदर गई और नंगेली ने अपने दोनों स्तनों को काटकर एक केला के पत्ता पर रखकर सिपाहियों के सामने पहुंच गयी और सिपाहियों ने कहा इन स्तनों पर तुम्हारा टैक्स मुझे देना था । वह स्तन मैं तुम्हें दे रही हूं। खून से लथपथ नंगेली जमीन पर गिर जाती । सैनिक आश्चर्य भरी निगाहों से नंगेली को देखते हैं और इस मंजर को देख कर भाग खड़े होते हैं और अधिक खून बह जाने के कारण नंगेली की मृत्यु हो जाती है।
रंगीली की मृत्यु हो जाती है और नंगेली का अंतिम संस्कार करने के लिए चिता पर लिटा कर आग लगा दी जाती है। जलती चिता में नंगेली का पति चिता में कूदकर अपनी जान दे देता है। नंगेली ने यह नारी जाति की आबरू और स्वाभिमान के लिए अपनी जान दे दी और राजा ने ब्रेस्ट टैक्स लेना बंद कर दिया। नंगेली को हमें शत शत नमन करना चाहिए जिसने नारी जाति की लाज के लिए अपने प्राण निछावर कर दिए।