History of Watches: घड़ी के अविष्कार की अगर बात करें तो इसका आविष्कार एक बार में नहीं बल्कि कई चरणों में किया गया है। किसी ने मिनट वाली सुई बनाए तो किसी ने घंटे वाली इस प्रकार स्टेप बाय स्टेप घड़ी का आविष्कार हुआ।
घड़ी के अविष्कार से पहले लोग सूरज की रोशनी और पानी के उतार-चढ़ाव के आधार पर समय का अंदाजा लगाते थे।
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घड़ी टाइम को बताने वाला एक साधन है । यानी यूं कहें तो आदमी टाइम के साथ-साथ घड़ी का भी गुलाम है। क्योंकि घड़ी की सुईयों के इशारों पर ही वह भागता रहता है। हमारा दैनिक जीवन घड़ी की सुई ऊपर ही आधारित होता है । चाहे वह खाना पीना सोना या जॉब करने से संबंधित बात हो। आपके मन में यह प्रश्न जरूर आता होगा कि घड़ी के अविष्कार के पहले लोग अपने कार्यों को कैसे पूरा करते थे।
घड़ी के अविष्कार होने से पहले लोग सूर्य की दिशा को देखकर समय का अंदाजा लगाते थे। जब मौसम खराब होता था तो बादल की वजह से टाइम का अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता था। इसलिए इस समस्या को दूर करने के लिए जल घड़ी का आविष्कार हुआ यह चीन के द्वारा खोजा गया था। जहां सुसंग नाम के व्यक्ति ने इसे बनाया था।
लगभग सवा दो हजार साल पहले यूनान में पानी से चलने वाली अलार्म घड़ी का प्रयोग होता था जिसमें पानी के गिरते हुए स्तर के साथ घंटी बज जाती थी।
घड़ी के आविष्कार का श्रेय पोप सिलवेस्टर द्वितीय को भी जाता है। इन्होंने सन् 996 ईस्वी में पहले घड़ी का आविष्कार किया था। यूरोप में घड़ियों का उपयोग 13वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में ही होने लगा था। इसके अलावा सन 1288 मे इंग्लैंड के वेस्टमिस्टर के घंटाघर मे भी घड़ियाँ लगाई गई थीं।
उस समय की बनी घड़ियां आज की तरफ से कंप्लीट घड़ियों की तरह नहीं थी घड़ी की मिनट वाली सुई 1577 में स्विट्जरलैंड के जॉर्ज बरगी के द्वारा बनाया गया था। उनसे पहले जर्मनी के न्यूरबर्ग शहर में पीटर हैनले ने एक ऐसी घड़ी बनाई थी जिसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता था।
इस समय जो घड़ी हम अपने हाथ में पहनते हैं, वह घड़ी फ्रांसीसी गणितज्ञ और दार्शनिक ब्लेज पास्कल के द्वारा बनाया गया था। जिन्होंने कैलकुलेटर का भी आविष्कार किया था।
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भारत में भी समय को देखने के लिए उपकरण बनाए गए थे। भारत में 5 जगहों पर जंतर मंतर का निर्माण भी करवाया गया था ताकि इनकी मदद से सूरज की दिशा और उससे बनी परछाई के आधार पर समय का अंदाजा लगाया जा सके ।
18 वीं शताब्दी के शुरुआत में जयपुर के महाराजा जयसिंह द्वितीय ने जयपुर नई दिल्ली उज्जैन मथुरा और वाराणसी मिलाकर कुल पांच जंतर मंतर का निर्माण कराया था। इन सभी जंतर मंतर का निर्माण 1724 और 1735 के बीच में हुआ था।
ऊपर दिए गए विवरण से यह बात स्पष्ट हो जाती है कि घड़ी का आविष्कार मानव इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है। और इस घड़ी के अविष्कार ने मानव जीवन को पूरी तरीके से परिवर्तित कर दिया है। या दूसरे शब्दों में यूं कहें तो घड़ी समय और मानव यह तो तीनों एक दूसरे के पूरक हैं।