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कौन हैं आर पी एन सिंह,आखिर उन्होंने क्यों छोड़ी काँग्रेस

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उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों ने चुनाव बस कुछ ही कदम दूर है,चुनाव के मैदान में अपनी शक्ति और लोकप्रियता सिद्ध करने के लिये सभी दल लगातार प्रयासरत हैं परंतु आंतरिक असंतोष और अवसरवादी राजनीतिक दृष्टिकोण के प्रचलन में आ जाने के बाद सभी राजनीतिक दलों के लिये सदैव यह एक संकट का विषय बना रहता है कि पता नहीं कब उनका कौन सा स्तंभ उखड़कर विपक्षी की छत के नीचे जा लगे।

भाजपा से स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह आदि का सपा में जाना और वहीं अपर्णा यादव का सपा से भाजपा में आना यह सब इसी अवसरवादी दृष्टिकोण से प्रेरित राजनीति का परिणाम है,कॉंग्रेस से भी अदिति सिंह व अन्य नेताओं ने हॉल में ही दल छोड़कर भाजपा को समर्थन दिया परंतु अभी काँग्रेस में हलचल तब मची जब जाने-माने नेता आर पी एन सिंह ने काँग्रेस की प्रार्थमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।

झारखंड के प्रभारी व कद्दावर कॉंग्रेसी रहे हैं आर पी एम सिंह

रतनजीत प्रताप नारायण सिंह का पूरा नाम “कुंवर रतनजीत प्रताप नारायण सिंह” है, और लोग इन्हे R.P.N. Singh के नाम से भी जाना जाता है।इसके अलावा इन्हे लोग पडरौना के राजा साहब के नाम से भी जानते है. ये भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जो गृह मंत्रालय में पूर्व राज्य मंत्री रह चुके हैं।ये कुशीनगर निर्वाचन क्षेत्र से सांसद भी थे 15वीं लोक सभा में,16 वीं लोकसभा चुनाव में वोट की पर्याप्त वृद्धि न होने के कारण ये राजेश पांडे (भाजपा) से हार गए। इसके अलावा आर पी एन सिंह को झारखंड और छत्तीसगढ़ के प्रभारी एआईसीसी के लिए चुना गया था।

यह है आर पी एन सिंह का राजनैतिक और सामाजिक सफर

अगर बात आर पी एम सिंह के राजनैतिक और सामाजिक सफर की की जाये तो ये साल 1996 से 2009 तक उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य रह चुके हैं तथा साल 1997 से 1999 तक ये युवा कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अध्यक्ष थे।AICC के सचिव भी रह चुके 2003 से 2006 तक और साल 2009 में पडरौना निर्वाचन क्षेत्र से 15 वीं लोकसभा के लिए चुने गए।

साल 2009-2011 तक सड़क, परिवहन और राजमार्ग, के केंद्रीय राज्य मंत्री रहे और साल 2011-2013 तक पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस और कॉर्पोरेट मामले के केंद्रीय राज्य मंत्री रहे।

इसके अतिरिक्त सामाजिक जीवन मे देखा जाये तो इन्हे श्री अरबिंदो सोसाइटी सेंटर (पडरौना) के सचिव के रूप में भी चुना गया तथा इन्होंने उदित नारायण डिग्री कॉलेज के सचिव के रूप में भी इन्होने कार्यभार संभाला यह उदित नारायण इंटर कॉलेज, उदित नारायण ट्रस्ट के सचिव भी रह चुके हैं।साल 2013-2014 तक केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के रूप में भी इन्होने अपना योगदान दिया।

कॉंग्रेस का दामन छोड़ना,कॉंग्रेस के लिये घातक

आर पी एन सिंह का इस तरह काँग्रेस का दामन छोड़कर बाहर होना काँग्रेस के लिये निःसंदेह बहुत घातक है,क्योंकि यह काँग्रेस के कद्दावर और मजबूत स्तंभों में से एक रहे हैं और इनका काँग्रेस छोड़ना कहीं न कहीं काँग्रेस के शिथिल और अयोग्य नेतृत्व की तरफ इशारा करता है।

भाजपा को मिला स्वामी प्रसाद मौर्या का तोड़

स्वामी प्रसाद मौर्या के भाजपा छोड़ने के बाद से ही भाजपा स्वामी का जवाब ढूंढने की कोशिश कर रही थी और अब जबकि यह खबर है कि आर पी एन सिंह भाजपा से जुड़ने जा रहे हैं तो इससे साफ हो जाता है कि अब भाजपा की तलाश पूरी हो गयी है और उसे स्वामी प्रसाद मौर्या का जवाब मिल चुका है।

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