Year Ender 2021
Year Ender 2021: साल 2020 की तरह ही साल 2021 का हिसाब-किताब भी कुछ ऐसा ही रहा है। दोनों सालों की बात करते हैं तो पिछले साल और इस साल को मिलाकर देश की अर्थव्यवस्था दो साल पहले के ठिकाने से अभी भी कुछ पीछे ही रुकीं हुई है। वैसे यहां रूकी हुई कहना तो अयोग्य हैं, लेकिन इस बात में भी इन्कार की कोई भी गुंजाइश ही नहीं है कि साल 2021 की शुरुआत जिस चुनौती के साथ हुई थी, हमारा देश उससे पार पाने में असफल ही रहा है। किंतु, ऐसा कहना भी इस साल के साथ या इस साल भर में अपनी जिंदगी को वापस पटरी पर लाने की कोशिश में लगे देशवासियों के साथ थोड़ी नाइंसाफी ही मानी जाएगी, क्योंकि इससे एक साल पहले ही हमारे सामने मानव जाति की सबसे बड़ी त्रासदी सामने आई थी और वह अचानक ही और इस तरह से आई कि हमें संभलना तो दूर, लेकिन ठीक से गिरने या लड़खड़ाने का मौका भी नहीं मिला था।
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कोरोना की आहट से ही पुरी दुनिया के लोगों के लिए ही परेशानियां बनी रहीं थी। फिर भी साल 2020 खत्म होते-होते हमें ऐसा महसूस होने लगा था कि अब हमने कोरोना के साथ ही जीना सीख लिया है और अब तो वक्त है फिर से जिंदगी की रफ्तार पकड़ने का। इस मामले में तो हमने रफ्तार पकड़ने के गुर भी सीख लिए थे। जैसे की ‘वर्क फ्रॉम होम’ और ‘स्टडी फ्रॉम होम’ ये दो नए शब्द विन्यास हमारी जिंदगी में आते ही जमकर और मजबूती से छा गए थे। हम जिसकी कभी कोई कल्पना भी नहीं कर सकते थे, अब तो कामकाजी दुनिया में वह क्रांतिकारी बदलाव हो चुका था। वैसे तो इस साल की शुरुआत में ही यह भी कहा जाने लगा था कि ऑफिस, यानी दफ्तर तो अब करीब-करीब गायब ही हो जाने वाले हैं। इसी क्रम में बहुत सी कंपनियों ने किराये पर लिए हुए बड़े-बड़े दफ्तर भी खाली कर दिए थे और अपने कर्मचारियों को यह छूट दे दी थी कि अब अगर वे चाहें, तो जिंदगी भर घर से काम करने का ओप्शन पसंद कर सकते हैं। इस का एक फायदा यह भी हुआ की स्टाफ भी खुश और कंपनियां भी खुश। छोटी बड़ी कंपनियों के खुश होने के अन्य कारण भी थे। उनकी बैलेंसशीट भी यह बताती हैं कि जिस दौरान दुनिया सबसे बड़े संकट से प्रभावित थी, उसी समय हमारे देश में निजी कंपनियों की कमाई अभूतपूर्व रफ्तार से बढ़ती जा रही थी। इस साल की बात करें तो सितंबर में ही खत्म हुई तिमाही में देश की बड़ी लिस्टेड कंपनियों ने कुल 2.39 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड ब्रेक प्रोफिट कमाया है। Year Ender 2021 से करीब 46 फिसली अधिक है। किंतु, पिछले साल भी इस तिमाही में चारों तरफ फैली हुई तबाही के बावजूद भी कंपनियों का मुनाफा एक रिकॉर्ड ब्रेक ऊंचाई पर ही था। यह उस वक्त की बात है जबकि उसकी पिछली पांच तिमाहियों में बिक्री या आमदनी लगातार गिरती ही रही थी।
बिक्री गिरने और मुनाफा बढ़ने का रिश्ता रोजगार या कामगारों की कमाई से संबंधित है। महामारी के बाद कंपनियों ने भी कम लोगों से ज्यादा काम करवाना का हुनर बखुबी सीख लिया और कामकाजी लोगों की कमाई बढ़ने की रफ्तार कंपनियों के प्रोफिट या अमीरों की संपत्ति बढ़ने की रफ्तार से तो काफी कम ही है। विश्व असमानता रिपोर्ट के अनुसार, Year Ender 2021 हमारा आर्थिक गैर-बराबरी के मामले में विश्व में सबसे ऊपर के चंद देशों में शामिल है। हमारा देश एक ऐसा देश है जहां पर ऊपर के एक फीसदी लोग ही देश की कमाई का 22 प्रतिशत हिस्सा ले जा रहे हैं, जबकि नीचे के 50 प्रतिशत लोग सिर्फ 13 फीसदी में ही गुजारा कर रहे हैं। यानी, 1.35 करोड़ अमीर लोग नीचे के पायदानों पर खड़े हुए हैं और 65 करोड़ लोगों के मुकाबले दोगुनी कमाई कर रहे हैं। प्यू रिसर्च की रिपोर्ट यह कहती है कि साल 1974 के बाद इस साल ऐसा पहली बार ही हुआ है कि देश में गरीबों की गिनती बहुत ही बढ़ गई है और भारत फिर से एक गरीब देश वाला राष्ट्र बन चुका है। कोरोना महामारी और लॉकडाउन का सबसे बुरा असर मध्यवर्ग पर ही पड़ा है और इस वर्ग से एक बड़ी संख्या में लोग गरीब वर्ग में स्थांतरित हो चुके हैं। इस साल में भी ऐसे लोगों की गिनती 13.4 करोड़ हो चुकी है, जिनकी रोज की कमाई भी 150 रुपये भी नहीं है। इनमें से छह करोड़ लोग तो इसी साल इस लिस्ट में शामिल हुए हैं।
फिर भी इन अफसोस करने वाली बातों के अलावा भी ऐसा भी बिल्कुल ही नहीं है कि Year Ender 2021 हमारे सिर्फ परेशानियों का पिटारा ही छोड़कर जा रहा है।कोरोना काल के बाद देश मु खुद के आत्मविश्वास पर यकीन करनेवाले उद्यमियों की गिनती भी तेजी से बढ़ती ही जा रही है और साथ ही उनकी हैसियत भी। इस में खासकर, स्टार्टअप के मामले में हिंदुस्तान अब ब्रिटेन को भी पीछे छोड़कर विश्व में तीसरे नंबर पर पहुंच चुका है। हमारे देश में यूनिकॉर्न, यानी एक अरब डॉलर से ज्यादा हैसियत वाले स्टार्टअप कारोबारों की गिनती अमेरिका और चीन से ही कुछ पीछे है।
अपनी जिंदगी को बदलने या बेहतर बनाने की उम्मीद करोड़ों लोगों को शेयर बाजार में ले गई है। भारत में डीमैट एकाउंटस की संख्या 7.75 करोड़ के भी पार पहुंच गई है। इन सभी एनकाउंट्स में से करीब आधे तो पिछले दो साल में ही खुले हैं। निफ्टी और सेंसेक्स की बात करें तो यह दोनों ही स्टोक मार्केट में 100 प्रतिशत से ऊपर की छलांग लगा चुके हैं।
समस्याएं और समाधानों को देखकर भी सभी के मन में यह सवाल उठना तो लाजमी है हि की आखिर यह कब तक ऐसे चलेगा? जिंदगी अपने पुराने सुर और ताल से कब जुड़ेंगी ? इस सवाल पर दुनिया भर के जानकार कहते हैं कि दुनिया भर के मार्केट में तेजी की वजह सरकार की नीतियां हैं, जिनकी वजह से मार्केट में लगातार पैसा आता गया है और तेजी बढ़ती गई है। उन्हें डर है कि अब अगर किसी भी वजह से मार्केट बैठा या मंदी आई, तो सरकारों और केंद्रीय बैंकों को जनता के गुस्से का निशाना बनना पड़ेगा।
Year Ender 2021 डर सिर्फ इत बात पर नहीं है किंतु डर यह भी है कि किसी तरह पटरी पर आ रही अर्थव्यवस्था एक बार फिर ओमीक्रोन की शिकार तो नहीं हो जाएगी? जिस प्रकार साल 2020 के अंत में दूसरी लहर की आशंकाएं तेज थी, अब इस बार साल के अंत में हमें तीसरी लहर का डर भी सताने लगा है।
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Year Ender 2021 की एक ओर बात यह है कि पूरी दुनिया को एक तगड़ा झटका सेमीकंडक्टर, यानी कंप्यूटर चिप्स की किल्लत से लगा है। भारत को भी मालूम हुआ कि इस मामले में चीन और ताइवान के भरोसे रहना अब किस हद तक महंगा पड़ सकता है। अब तो जोर-शोर से हमारे देश को सेमीकंडक्टर के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी भी शुरू हो चुकी है।
दो सालों से गिरती इकोनॉमी, भारत में बढ़ता हुआ गरीब वर्ग और टेक्नोलॉजी की किल्लत से उम्मीद है कि इन सभी मुसीबतों से सरकारों ने इतना सबक तो सीख ही लिया होगा कि हर मुसीबत के बीच देश की अर्थव्यवस्था को लगातार आगे बढ़ाते रहना न सिर्फ जरूरी है, बल्कि वही हर मुसीबत का मुकाबले करने के लिए हमारा सबसे बड़ा हथियार भी है। इसीलिए संकट से निपटने की तमाम प्रयासों के बीच ही एज्युकेशन, हेल्थ, इंफ्रास्ट्रक्चर और आम आदमी का जीवन बेहतर बनाने की दीर्घकालीन योजनाओं से ध्यान हटाए बिना आगे बढ़ना जरूरी होगा। यही आने वाले साल यानी 2022 में देश की और सरकार की सबसे बड़ी चुनौती होगी।