देश का सबसे जरूरी मुद्दा “महिलाओं के कपड़े”

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शिक्षा, बेरोजगारी ,किसान ,मजदूर, गरीबी ,पर्यावरण जनसंख्या ,भ्रष्टाचार और नारी सुरक्षा जैसे मुद्दे ना उठा कर और इन जरूरी मुद्दों पर चिंतित ना हो कर हमारे देश के राज्य उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत महिलाओं की फटी जींस और इस तरह के कपड़े पहनने वाले लड़कियों के संस्कारों के बारे में चिंतित है।तीरथ सिंह रावत ने भारत की संस्कृति का हवाला देते हुए महिलाओं के कपड़ों पर कमेंट किया और कहा कि ऐसी महिलाएं संस्कारी नहीं होती हैं। अगर किसी को इस बात पर क्रोध आता है तो अपने क्रोध पर थोड़ा कंट्रोल करो और तीरथ सिंह रावत को माफ करो क्योंकि इसमें तीरथ सिंह रावत का दोष नहीं है यह एक ऐसा विचार है जो हमारे देश के लोगों में बचपन से ही ,पीढ़ी दर पीढ़ी मन और आत्मा में उतर गया है।

इस बयान का एक दूसरा पहलू है जिसे समझने की आवश्यकता है । रावत जी ने कहा है कि जिस लड़की को फटी जींस पहने हुए देखा था वह एनजीओ चलाती है। तो विचार करिए की कहीं भारत के एनजीओ को निगलने की यह पहली साजिश तो नहीं है। क्योंकि भारत देश के एनजीओ सरकार की आंखों का किरकिरा बन गए हैं।

छत्तीसगढ़ की महिलाओं के वस्त्र

माननीय मुख्यमंत्री भारतीय संस्कृति की बात करते हैं तो उन्हें पता तो होगा ही कि भारत में एक छत्तीसगढ़ राज्य और वहां और तन ब्लाउज नहीं पहनते हैं एक अलग तरह की वेशभूषा में रहती हैं तो क्या वह संस्कारी नहीं है।

साक्षी मलिक

हमारी खिलाड़ी महिलाएं खेल जगत में देश का नाम दुनिया में रोशन कर रहे हैं और जब महिलाएं खेलती हैं तो फटी जींस से भी कम कपड़े पहने होती हैं पीवी सिंधु ,हिमा दास ,साक्षी मलिक ऐसी महिलाएं जो हमारे देश का गौरव है लेकिन सोचिए अगर इन महिलाओं को 5 मीटर की साड़ी पहनाकर इन्हें बैडमिंटन खिलाया जाता या हिमा दास को सूट दुपट्टे के साथ पहना पर दौड़ाया जाता तो क्या यह महिलाएं देश का नाम दुनिया में रोशन कर पाती शायद नहीं।

किरण डेमला जिन्होंने शादी के बाद अपने बॉडी बिल्डर केरियर को संभाला और यह 3 बच्चों की मां है

किरण डेमला जो कि एक बॉडीबिल्डर है। और कई महिलाओं का आदर्श है। यदि यह साड़ी की बंदिशों से बाहर नहीं निकलती तो बॉडीबिल्डर नहीं होती। अश्वनी मास्टर जो एक बॉडीबिल्डर है अपनी शरीर की मसल्स को दिखाने के लिए इन महिलाओं को 10 इंच से भी कम कपड़े पहनने पड़ते हैं।

शायद ही कोई होगा जिसने रामानंद सागर की रामायण ना देखी हो उसमें महिलाओं को दो बद्दी के ब्लाउज पहनाए गए हैं। तो क्या किसी ने गंदी नजरों से देखा है लेकिन यदि वही ब्लाउज कोई लड़की पहन कर निकल जाए तो नीच विचारधारा बालों की नजरें ब्लाउज पर ही होंगी।

बॉडीबिल्डर अश्वनी

जब पुरुष छोटा नेकर पहनकर बाहर निकल जाते हैं तो किसी की नजर में नहीं आते और उसी प्रकार का नेकर यदि कोई लड़की पहन ले तो सभी की नजर लड़की की टांग पर ही होगी। इसमें सोचने वाली बात यह है पुरुष और महिलाओं की पैरों की बनावट सब एक जैसी होती है लेकिन महिलाओं की टांगों पर क्यों कमेंट किए जाते हैं। तीरथ सिंह रावत जी ने उस फटी जींस वाली लड़की के घुटनों में ऐसा क्या देख लिया जो पुरुषों से अलग था।

हमारे देश में केवल एक तीरथ सिंह रावत नहीं है ऐसे कई तीरथ सिंह रावत हमारे घर में हमारे पड़ोस में हमारे गांव में हमारे शहरों में भरे पड़े हैं और ऐसा नहीं है सिर्फ पुरुष ही महिलाओं के कपड़ों पर कमेंट करते हैं कभी-कभी महिलाएं भी महिलाओं के कपड़ों पर कमेंट करने लगते हैं।

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