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चक्रवात क्या है ? “हवाओं का ऐसा चक्र जिसमे अंदर की ओर वायुदाब कम और बाहर की ओर अधिक होता है चक्रवात कहलाता है “ । ए चक्रवात उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उत्पन्न होते हैं इसलिए इन्हें उष्णकटिबंधीय चक्रवात कहा जाता है। चक्रवात क्या है ? उत्तरी तथा दक्षिणी गोलार्ध में लगभग 5 डिग्री से 30 डिग्री अक्षांशों के बीच उत्पन्न होते हैं। ठीक भूमध्य रेखा के ऊपर कोरिओलिस बल का प्रभाव कम होते हुए भी अपने वृत्ताकार रूप में नहीं चलती और चक्रवात नहीं बनते भूमध्य रेखा के निकट दोनों बोला दो कि व्यापारिक पवने आकर मिलती है जिस पल पर एक पागल ने आकर मिलती है उसे अंतर उष्णकटिबंधीय वातागृ अथवा अंतर उष्णकटिबंधीय अभिसरण ( inter-tropical front aur inter-tropical convergence zone ) कहते हैं।
उष्णकटिबंधीय चक्रवात तू की संभावनाएं लगभग पर वृताकार या दीर्घ आकार होती है भीतरी न्यूनतम तथा बाहरी वायु भार में लगभग 55 से 60 मिलीबार का अंतर होता है। इनका ब्यास साधारणतः 150 से 750 किलोमीटर तक होता है परंतु कुछ ऐसे चक्रवात होते हैं जिनका व्यास 40 से 50 किलोमीटर तक भी हो सकता है।
चक्रवात क्या है ? अधिक दाब प्रवणता के कारण इन चक्रबातों मे पवनों का वेग प्राय: 100 किलोमीटर प्रति घंटा से भी अधिक हो जाता है। एक ही चक्रवात में विभिन्न भागों में पवन का वेग भिन्न होता है चक्रवात के अग्रभाग के आने से पहले पवन का वेग 3 या 4 किलोमीटर प्रति घंटा होता है परंतु अग्रभाग के आते ही एक बढ़कर 50 से 60 किलोमीटर प्रति घंटा हो जाता है जो चक्रवात की आंख पर केवल 1 किलोमीटर प्रति घंटा रह जाता है। विभिन्न चक्रवातों में वायु का वेग 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटा से 300 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकता है।
चक्रवात क्या है ? उष्णकटिबंधीय चक्रवात के निकट आने पर वायु शांत हो जाती है और आकाश में पक्षाभ स्तरीय मेघ (Cirrostratus) छा जाते है ।सूर्य या चंद्रमा के इर्द-गिर्द जयोयातिमडल (Holo) दिखाई देने लगते हैं चक्रवात के अग्रभाग के पहुंचते ही वायुदाब कम होने लगता है। आकाश में कपासी मेघ छा जाते हैं और वर्षा होने लगती है। चक्रवात की आंख के पहुंचते ही वायु शांत हो जाती हैं और वर्षा बंद हो जाती है और आकाश साफ हो जाता है ।जब चक्रवात का नेत्र समुद्र के ऊपर से गुजरता है तो समुद्र में ऊंची ऊंची लहरें उठती हैं नेत्र के गुजर जाने के बाद पुनः कपासी मेघ छा जाते हैं और तीव्र वेग से पवन चलने लगती है अंत में पवन प्रवाह मंद पड़ जाता है तथा आसमान साफ हो जाता है।
1 – कैरीबियन सागर– कैरीबियन सागर में इन्हें हरिकेन कहते हैं ।यह मुख्यतः जून से अक्टूबर तक कैरिबियन सागर से उठते हैं और पश्चिमी दीप समूह तथा फ्लोरिडा एवं दक्षिण- पूर्व संयुक्त राज्य अमेरिका को प्रभावित करते हैं संयुक्त राज्य अमेरिका तथा मैक्सको में इन्हें टोरनैडो कहते हैं।
2- चीन सागर – इस क्षेत्र में ये जुलाई से अक्टूबर तक चलते हैं और फिलीपाइन चीन तथा जापान को प्रभावित करते हैं।चीन सागर में इन चक्रबातों को टाइफून कहते हैं।
3- हिंद महासागर- उष्णकटिबंधीय चक्रवात भारत, बांग्लादेश ,म्यांमार ,मलागासी तथा आस्ट्रेलिया के उत्तरी तट के अतिरिक्त बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर को प्रभावित करते हैं हिंद महासागर में उष्णकटिबंधीय चक्रवातो को चक्रवात (साइक्लोन) कहा जाता है।
ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी तट के समीप इन्हें बिली-विलीज के नाम से पुकारा जाता है।
उष्ण कटिबंध क्षेत्र में पृथ्वी तल का आधा भाग पाया जाता है जिस पर विश्व की कुल जनसंख्या का 40% भाग निवास करता है इस विशाल एवं महत्वपूर्ण क्षेत्र के वायुमंडल के जलवायबिक अध्ययन का विशेष महत्व है।