UPSC Success Story: हमारे आसपास तमाम ऐसे लोग रह रहे हैं जो न सिर्फ स्ट्रगल कर रहे हैं बल्कि कड़ी मेहनत से आला दर्जे का मुकाम भी हासिल कर रहे हैं । वो कहते हैं न कि हौसले बुलंद हों तो मंजिल कितनी भी मुश्किल क्यों न हो एक न एक दिन मिल ही जाती है । कुछ ऐसी ही कहानी जोधपुर के सोहन लाल सिहाग की है जिन्होंने सरकारी स्कूल में पढ़ाई करके सिविल सेवा परीक्षा पास की और आईएएस बने ।
यही नहीं सोहनलाल जिस परिवेश से आते हैं वो मध्यम कम निम्नवर्गीय है जहां मूलभूत सुविधाओं की भी कमी है ऐसे में सोहनलाल की सफलता उन लोगों के लिए प्रेरणास्रोत है जो सुविधाओं की कमी का रोना रोते हैं और बहाने बनाते हैं । आज के इस आर्टिकल में हम आपको आईएएस सोहनलाल सिहाग और उनके माता पिता के बारे में बताएंगे जिन्होंने घोर गरीबी के बीच भी सपने देखने नहीं छोड़े और उन सपनों को आज पूरा कर दिखाया।
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जोधपुर के तिवरी तहसील के अंतर्गत आने वाले गांव रामपुरा के रहने वाले गोरधन राम सिहाग के छोटे बेटे सोहनलाल सिहाग ने अपने चौथे और अंतिम प्रयास में यूपीएससी क्रैक कर दी । वह 2021 में 681 वीं रैंक लाने में सफल रहे । सोहनलाल के आईएएस बनते ही उनके गांव ही नहीं बल्कि पूरे इलाके में खुशी की लहर दौड़ गयी । सोहनलाल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल में की। वह हाई स्कूल तक गांव में पढ़े इसके बाद 11 वीं की कोचिंग के लिए राजस्थान के कोटा चले गए ।
शुरू से कुशाग्र बुद्धि के सोहनलाल ने कोटा से ही इंटरमीडिएट करने के बाद वहीं से आईआईटी की तैयारी करने लगे और 54 वीं रैंक लाकर उनका चयन देश के बेहतरीन इंजीनियरिंग कॉलेज आईआईटी बॉम्बे में हो गया । आईआईटी बॉम्बे से उन्होंने बीटेक किया और इसी के बाद सोहनलाल ने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी दिल्ली में रहकर शुरू कर दी । 2018 में वह पहले ही अटेम्प्ट में इंटरव्यू तक जा पहुंचे । इंटरव्यू से बाहर होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और अगली परीक्षा की तैयारी करने लगे हालांकि दूसरे और तीसरे अटेम्प्ट में उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली और एकबारगी उनका सिविल सेवा में जाने का सपना टूटने लगा था ।
हालांकि बड़े भाई जो कि अमेरिका से पीएचडी कर रहे हैं उन्होंने हौसला बढ़ाया जिसके बाद सोहनलाल ने अंतिम प्रयास के लिए जी जान से जुट गए। उन्हें इसमें सफलता भी मिली और वह यूपीएससी की आल इंडिया 681 वीं रैंक लाने में सफल रहे ।
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UPSC Success Story, बता दें कि सोहनलाल के दो भाई और एक बहन है । उनके पिता गोरधन राम सिहाग के जज्बे और हिम्मत न हारने की कहानी भी आज हर कहीं दोहराई जाती है । बता दें कि गोरधन राम किसान हैं और खेती बाड़ी करते हैं । उनकी आय का साधन भी खेती ही है । वहीं घोर गरीबी के बीच भी उन्होंने अपने बच्चों को न सिर्फ शिक्षा दी बल्कि उन्हें उनके सपने पूरे करने के लिए अपने 15 बीघे खेत भी गिरवी रख दिये । गोरधन राम सिहाग बताते हैं कि बच्चों की पढ़ाई में बाधा न आये उसके लिए उन्होनें अपने 15 बीघे खेत 20 लाख रुपये में गिरवी रख दिया ।
वहीं सोहनलाल की माँ मीरा देवी गांव में मनरेगा के अंतर्गत मजदूरी करती है । मां मीरा देवी का कहना है कि जब उसका बेटा कलेट्टर (डीएम) बन जायेगा तब वह मनरेगा में मजदूरी करना छोड़ देगी । हालांकि सोहनलाल ने मां और पिता का सपना पूरा कर दिखाया है । बता दें कि सोहनलाल अभी प्रशिक्षु एसडीएम के पद पर तैनात हैं और जब भी गांव आते हैं तो पिता के साथ खेती में भी हाथ बंटाते हैं ।
UPSC Success Story, जोधपुर के रामपुरा मटियारी गांव के गोरधन राम आज अपने गांव ही नहीं बल्कि पूरे इलाके के लिए प्रेरणा बन गए हैं । बता दें कि उनका बड़ा बेटा श्रवण राम सिहाग अमेरिका में रहकर पीएचडी कर रहा है तो सोहनलाल आईएएस बन चुके हैं जबकि छोटा बेटा बसंत भी राजस्थान पीसीएस के लिए तैयारी कर रहा है । वहीं गोरधन राम की बेटी सुमित्रा भी बीएड कर चुकी है और अब जयपुर में रहकर REET की तैयारी कर रही है ।
आज अगर उनके बेटे शिक्षा के बूते नए मुकाम हासिल कर रहे हैं तो इसके पीछे उनकी कड़ी मेहनत ,ऊंची सोच और त्याग का तप छिपा हुआ है । उन्होंने तमाम कठिनाइयों के बाद भी बच्चों की शिक्षा के साथ समझौता नहीं किया ।