UP: कहते हैं सफलता कड़ी मेहनत से मिलती है पर इसके अलावा किस्मत का भी भरपूर साथ होना चाहिए । आज हमारे आसपास न जाने कितने ही लोग मौजूद हैं जिन्होंने रात दिन कड़ी मेहनत कर ऊंचा मुकाम हासिल किया । ऐसे लोगों की सक्सेस स्टोरीज हम अक्सर कहीं न कहीं पढ़ते और सुनते रहते हैं पर इसी दुनिया मे ऐसे लोग भी मौजूद हैं जो कड़ी मेहनत कर सफल तो हुए पर ज्यादा दिनों तक सफलता का स्वाद नहीं चख सके । आज हम ऐसे ही एक व्यक्ति की कहानी सुनाने जा रहे हैं जिसकी कभी सक्सेस स्टोरीज हर अखबार के पन्नों पर छपती थी पर वक्त की चाल ने उसे अर्श से फर्श पे ला फेंका ।
इस पोस्ट में
UP के बलिया जिले के बैरिया तहसील क्षेत्र के इब्राहिमाबाद उपरवार के रहने वाले श्यामबाबू की कहानी किसी फिल्मी किस्से से कम नहीं है । गरीबी में बचपन काटने वाले श्यामबाबू ने कड़ी मेहनत कर साल 2005 में यूपी पुलिस में सिपाही की नौकरी पा ली तो मानो उनके परिवार के भाग्य खुल गए ।
जहां घोर गरीबी की वजह से श्यामबाबू और उनकी बहनों की शिक्षा पूरी नहीं हो सकी। यही वजह थी कि दसवीं पास करते ही श्यामबाबू सरकारी नौकरियों के फार्म भरने लगे थे । इंटरमीडिएट पास श्यामबाबू को जब यूपी पुलिस में आरक्षी पद पर नौकरी मिली तो वह यहीं नहीं रुके । पढ़ने में तेज श्यामबाबू ने पुलिस की नौकरी करते हुए पीसीएस की तैयारी करने लगे ।
UP पुलिस में नौकरी करते हुए प्रयागराज में तैनाती के दौरान श्यामबाबू ने पीसीएस की न सिर्फ तैयारी की बल्कि रात दिन एक कर दिया। उनकी मेहनत रँग लायी और 14 साल के लंबे अंतराल के बाद आखिर श्यामबाबू पीसीएस परीक्षा पास करने में सफल रहे ।
साल 2016 में उन्होंने यूपीपीएससी की परीक्षा दी थी जिसका अंतिम परिणाम 2019 में आया । वह पीसीएस की अंतिम सूची में जगह बनाने में कामयाब रहे । उन्हें यूपीपीएससी में 52 वीं रैंक प्राप्त हुई थी । जिस वजह से उनका चयन एसडीएम पद पर हो गया। बता दें कि श्यामबाबू ने सिपाही की नौकरी करते हुए ही स्नातक पास किया था । उन्हें यह सफलता छठवीं बार परीक्षा में शामिल होने के बाद प्राप्त हुई थी।
इतना पी लिए दादा फिर बीवी के डर से घर नही जा रहे, पुलिए पर सोए हैं
भैंस का दूध बेचकर 72 लाख रुपये कमा रही ये छात्र, पढ़ें 23 साल की बच्ची की कहानी
UP पुलिस में सिपाही की नौकरी करते हुए एसडीएम बन जाना एक बड़ी बात थी । इस खबर को कई अखबारों और वेबसाइटों में छापा गया और सक्सेस स्टोरीज लिखी गईं । कहा गया कि साल 2019 में जिस वक्त आरक्षी श्यामबाबू का चयन अंतिम रूप से पीसीएस के लिए हुआ उस वक्त वह पुलिस मुख्यालय में डीएसपी के सामने खड़े थे। डीएसपी ने उन्हें चाय लेने भेजा था वहीं टेबल पर रखे श्यामबाबू के फोन पर रिजल्ट आया था । चाय लेकर आने के बाद श्यामबाबू ने जब पीसीएस क्वालीफाई करने की सूचना सामने बैठे डीएसपी को दी तो उन्होंने खड़े होकर सिपाही श्यामबाबू को सैल्यूट किया था।
सिपाही से जिले के तहसीलदार बनना श्यामबाबू के सपने पूरे होने जैसा था पर उनकी यह खुशी ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाई । वर्ष 2016 की पीसीएस परीक्षा में अंतिम रूप से चयनित होने के बाद श्यामबाबू की बतौर एसडीएम(परिवीक्षाधीन) तैनाती संतकबीरनगर जिले में थी । वहीं सिपाही से एसडीएम बने श्यामबाबू के बारे में विभाग को जानकारी हुई कि उन्होंने नौकरी में लाभ पाने के लिए गोंड जाति का फर्जी एसटी प्रमाणपत्र लगाया है । कई स्तरों पर उनके प्रमाणपत्रों की जांच हुई और इसमें लगाए गए आरोप सही पाए गए जिसके बाद साल 2020 में श्यामबाबू की एसडीएम पद पर नियुक्ति को रद्द कर दिया गया ।