Categories: News

Bangladesh Iskcon: क्या बांग्लादेश में इस्कॉन मुश्किलों में घिर गया है। जिस देश को भारत ने बनाया वहां इस्कॉन पर बैन की मांग क्यों हो रही है।

Published by

Bangladesh Iskcon: क्या बांग्लादेश में इस्कॉन मुश्किलों में घिर गया है। जिस देश को भारत ने बनाया वहां इस्कॉन पर बैन की मांग क्यों हो रही है। ये चिन्मय दास कौन हैं… जिनकी गिरफ्तारी ने बांग्लादेशी हिंदुओं को, अल्पसंख्यकों को आंदोलित कर दिया है…. आज के इस वीडियो में बांग्लादेश में मचे घमासान पर करेंगे बात… चिन्मय दास… यही नाम है… उस संत का जिसने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रही हिंसा के खिलाफ मोर्चा संभाला है। शेख हसीना के ढाका छोड़ने के बाद से हिंदू अल्पसंख्यकों की दुकानों और घरों पर हमले की खबरें लगातार आती रही हैं…

Bangladesh Iskcon

इस पोस्ट में

पूर्व प्रधानमंत्री हसीना ने 28 नवंबर को ट्वीट कर कहा कि एक धर्मगुरु की बेवजह गिरफ्तारी हुई है।

बिना देर किए उनकी रिहाई होनी चाहिए। चटगांव में एक मंदिर को जला दिया गया है। अहमदिया समुदाय के मजार, ईसाइयों के चर्च, बौद्धों की मोनेस्ट्री पर हमले हुए… उन्हें लूटने के बाद जला दिया गया… हसीना ने चेताया कि धार्मिक स्वतंत्रता और सभी धर्मों की सुरक्षा पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। लेटेस्ट अपडेट ये है कि बांग्लादेश के शिबचर में मौजूद इस्कॉन मंदिर को बंद करा दिया गया। वहां मौजूद भक्तों को बांग्लादेश की सेना अपनी गाड़ियों में भरकर ले गई…

इस्कॉन के राधारमण दास ने आरोप लगाया कि शिबचर में बांग्लादेश के मुस्लिमों ने जबरदस्ती मंदिर को बंद कराया। वहीं बांग्लादेश की सरकार ने इस्कॉन पर बैन की मांग के बीच उसके सभी बैंक अकाउंट को फ्रीज करने का आदेश दिया है। इनमें वो अकाउंट भी हैं जो चिन्मय दास से जुड़े हैं।

Bangladesh Iskcon

चिन्मय दास को राष्ट्रद्रोह के मामले में गिरफ्तार किए जाने के बाद ढाका की सरकार ने ये बड़ा कदम उठाया है।

बांग्लादेश फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट ने सभी अकाउंट फ्रीज कर दिए हैं। ढाका में इस्कॉन को लेकर माहौल गरमाया हुआ है और चिन्मय दास पर आरोप लग रहे हैं कि वे बांग्लादेश में अस्थिरता पैदा करना चाहते हैं। अपने आंदोलन को राजनीतिक रंग देना चाहते हैं। याद रखिए कि शेख हसीना के ढाका से भागने के बाद उनकी पार्टी आवामी लीग के खिलाफ नोबेल विजेता मोहम्मद युनूस की सरकार ने जबरदस्त अभियान चलाया है।

आवामी लीग की छात्र शाखा को बैन कर दिया गया है। नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया है। और पूरी ताकत से मोहम्मद युनूस आवामी लीग को कुचल देना चाहते हैं। मोहम्मद युनूस को मुस्लिम चरमपंथी संगठन जमात ए इस्लामी का पूरा साथ मिल रहा है… और कहा तो ये भी जा रहा है कि दरअसल ढाका की सरकार जमात ए इस्लामी ही चला रही है।

इस बीच हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले के खिलाफ चिन्मय दास के मैदान में उतरने से मामला हिंदू बनाम मुस्लिम का बनता दिख रहा है।

Bangladesh Iskcon

चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी का असली नाम चंदन कुमार धर है। वे चटगांव इस्कॉन से जुड़े थे। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हिंसा के बाद हिंदुओं और अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए सनातन जागरण मंच का गठन हुआ…

चिन्मय दास इसके प्रवक्ता बने। सनातन जागरण मंच के जरिए चिन्मय ने चटगांव और रंगपुर में कई रैलियों को संबोधित किया। इसमें हजारों लोग शामिल हुए। 25 अक्टूबर को चटगांव के लालदीघी मैदान में सनातन जागरण मंच ने 8 सूत्रीय मांगों को लेकर एक रैली की थी। इसमें चिन्मय कृष्ण दास ने भाषण दिया था। और इसी दौरान न्यू मार्केट चौक पर कुछ लोगों ने आजादी स्तंभ पर भगवा ध्वज फहराया दिया। इस झंडे पर ‘आमी सनातनी’ लिखा हुआ था। भगवा झंडा फहराए जाने के मामले में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के नेता फिरोज खान ने चिन्मय दास के खिलाफ राष्ट्रद्रोह का केस दर्ज करा दिया।

चिन्मय पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप है।

Bangladesh Iskcon

26 नवंबर को Bangladesh Iskcon चिन्मय दास को चटगांव कोतवाली में पेश किया गया… जहां से जज ने उन्हें जेल भेज दिया। इसके बाद ढाका और चटगांव सहित कई शहरों में हिंसा की शुरुआत हुई। चिन्मय दास को जेल भेजे जाने के खिलाफ उनके समर्थक सड़कों पर उतर आए… और पुलिस के साथ उनकी जबरदस्त झड़प हुई। भीड़ इतनी ज्यादा आक्रोशित थी कि सरकारी वकील सैफुल इस्लाम को पीट-पीट कर अधमरा कर दिया। सैफुल इस्लाम को अस्पताल ले जाया गया। जहां उनकी मौत हो गई। घटना के बाद बांग्लादेश की सरकार ने आरोपियों की गिरफ्तारी शुरू कर दी और अब तक कुल 37 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

भारत ने Bangladesh Iskcon चिन्मय दास की गिरफ्तारी पर चिंता जताई। लेकिन ढाका में इस्कॉन को बैन किए जाने की मांग ने जोर पकड़ लिया। हालांकि बांग्लादेश की अदालत ने इस्कॉन पर बैन लगाने की याचिका खारिज कर दी है… और कहा है कि ये फैसला वहां की सरकार को लेना है। चिन्मय दास को जेल भेजे जाने के बाद इस्कॉन ने उन्हें संगठन से निकाल दिया… लेकिन

चिन्मय अभी भी पुंडरीक धाम के चीफ हैं। और इस्कॉन इंक ने उनकी गिरफ्तारी की निंदा की है।

Bangladesh Iskcon

ये बताता है कि Bangladesh Iskcon में भी चिन्मय दास को लेकर दो मत हैं। शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ गए। बांग्लादेश की जनसंख्या 17 करोड़ से ज्यादा है और हिंदुओं की आबादी डेढ़ करोड़ के करीब है… जबकि बुद्धिस्ट और ईसाई की आबादी लगभग 1 परसेंट है। वहीं एक लाख से ज्यादा अहमदिया मुस्लिम भी हैं। 1971 में जब बांग्लादेश आजाद हुआ तब हिंदुओं सहित अल्पसंख्यकों की संख्या 23 परसेंट के आसपास थी, लेकिन अब ये घटकर लगभग 9 परसेंट हैं। ये बताता है कि बांग्लादेश में दूसरे धर्मों के लोगों का क्या हाल है।

राष्ट्रद्रोह केस में चिन्मय की गिरफ्तारी के बाद Bangladesh Iskcon ने कहा कि उसका चिन्मय दास से कोई लेना देना नहीं है। और वो जो कुछ भी करते हैं उसकी जिम्मेदारी इस्कॉन की नहीं है। चिन्मय की गिरफ्तारी पर ग्लोबल इस्कॉन ने बयान जारी किया और मोदी सरकार से हस्तक्षेप की मांग की। इस्कॉन इंक ने एक्स पर लिखा कि वह इस्कॉन बांग्लादेश के प्रमुख चेहरा चिन्मय दास के साथ खड़ा है। ग्लोबल इस्कॉन ने कहा कि ये आरोप बेबुनियाद हैं कि इस्कॉन का आतंकवाद से कोई लेना देना है। इस्कॉन इंक भारत सरकार से तत्काल क़दम उठाने की मांग करता है।

इस्कॉन एक शांतिप्रिय भक्ति आंदोलन हैं। बांग्लादेश सरकार चिन्मय कृष्ण दास को तुरंत रिहा करे। बांग्लादेश में हिंसा की घटनाएं धार्मिक रंग वाली हैं… और इस्कॉन को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। बांग्लादेश की सरकार ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल करके कहा है कि इस्कॉन एक धार्मिक कट्टरपंथी संगठन है… अब आप समझिए कि

बांग्लादेश की युनूस सरकार का कैरेक्टर क्या है…

Bangladesh Iskcon Bangladesh Iskcon

Bangladesh Iskcon: ढाका में शेख हसीना के खिलाफ हुए आंदोलन में मुस्लिम चरमपंथियों का सीधा हाथ था। अभी जो लोग वहां सरकार में हैं। उन्हें जनता ने नहीं चुना है। शेख हसीना को जनता ने चुना था लेकिन अमेरिका की शह पर शेख हसीना को सत्ता से हटाने के लिए आरक्षण के बहाने आंदोलन छेड़ा गया। शेख हसीना पर तानाशाही का आरोप लगता है। लेकिन हसीना के रहते हुए अल्पसंख्यकों पर हमले नहीं होते थे।

Sambhal दंगे को लेकर भड़के युवा, बोले हिन्दू मुस्लिम बंद करो

भारत खोदो योजना में हर रोज मस्जिदों की लिस्ट बढ़ती जा रही है

Bangladesh Iskcon: भारत के साथ हसीना के रिश्ते बेहतर थे और दिल्ली का प्रभाव बांग्लादेश में साफ नजर आता था। पंद्रह साल के शासन में शेख हसीना ने बांग्लादेश को खड़ा किया… लेकिन उनसे नाराज लोगों ने कट्टरपंथियों से हाथ मिलाकर आवामी लीग की सरकार उखाड़ फेंकी। अब जो लोग सत्ता में हैं उनका इतिहास बहुत दागदार है।

खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी का जमात ए इस्लामी के साथ सीधा रिश्ता है। और 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान जमात ए इस्लामी पर नरसंहार का आरोप लगा था। ये सुन्नी मुस्लिम कट्टरपंथियों का संगठन है। 2001 से 2006 के दौरान बीएनपी का शासन खूनी था। हर रोज हिंसा होती थी और मासूम मारे जाते थे। बांग्लादेश में विपक्ष में कोई भी रहे… वह चुनावों का बहिष्कार करता रहा है।

शेख हसीना ने जब 2024 की शुरुआत में चुनाव कराया तो बीएनपी ने बहिष्कार कर दिया। लेकिन मोहम्मद युनूस को किसने सत्ता में बिठाया? वे अमेरिका की शह पर अंतरिम सरकार के मुखिया कम सलाहकार हैं और जमात ए इस्लामी की सलाह पर सरकार चला रहे हैं। बांग्लादेश की मौजूदा सरकार में हिंदू अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं हैं। ये तीन महीने में ही पता चल गया है। आने वाले दिन कैसे होंगे इसकी सिर्फ कल्पना की जा सकती है… पूरे देश में हिंसा हो रही है।

Bangladesh Iskcon

आवामी लीग के नेताओं को टारगेट किया जा रहा है। यूनिवर्सिटी के छात्रों, शिक्षकों और सरकारी कर्मचारियों को दबाया जा रहा है। हिंदू ईसाई और अहमदिया पर हमले में हो रहे हैं…

इन्हीं हमलों का परिणाम है कि चिन्मय दास के पीछे जनता का सैलाब खड़ा है।

Bangladesh Iskcon: अमेरिका की पिट्टू… ढाका सरकार के लिए चिंता की बात ये है कि अभी जो लोग प्रोटेस्ट कर रहे हैं वे हिंदू अल्पसंख्यक हैं… अगर आवामी लीग के लोग इनके साथ सड़कों पर आ गए तो बांग्लादेश की पैराशूट सरकार ढह जाएगी… इसलिए कुर्सी संभालते ही मोहम्मद युनूस ने आवामी लीग की छात्र शाखा को बैन कर दिया। और ये सब जमात ए इस्लामी के इशारे पर हुआ। मोहम्मद युनूस जब विदेश से ढाका पहुंचे तो कहा गया कि तीन महीने के भीतर चुनाव होंगे लेकिन अब चार महीने हो चुके हैं…

अभी तक चुनावी तैयारी का कोई संकेत नहीं दिखता है… बांग्लादेश में धार्मिक टकराव की आहट बढ़ती जा रही है… सबकी निगाहें चिन्मय दास और इस्कॉन के खिलाफ जमात ए इस्लामी के एक्शन पर टिकी हैं…

Barkat

Wanna success...

Recent Posts