कोरोना संकट के बीच यूजीसी ने विश्वविद्यालयों के फंड में कटौती की भी तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि विश्वविद्यालयों से ही कहा है, कि वह अपने खर्च की नए सिरे से समीक्षा करें। यह देखने को भी कहा है कि पिछले 4 महीने से भी ज्यादा समय से संस्थानों के बंद रहने से उनके कौन-कौन से खर्चों में कमी आई है ।
यूजीसी ने इसके लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित की है। कमेटी ने खर्च को लेकर विश्वविद्यालय से ब्यौरा मांगा है। माना जा रहा है कि इसके बाद यूजीसी कोई फैसला लेगा ।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों के खर्च की समीक्षा का यह फैसला तब लिया है ,जब कोरोना संकट के बीच सभी सरकारी विभाग के खर्च में कटौती पर जोर दिया जा रहा है ।
हालांकि यूजीसी ने इसे लेकर कोई फैसला लेने की एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित की है, जिससे विश्वविद्यालयों के , खर्चा से जुड़े आठ अलग-अलग बिंदुओं पर सुझाव देने के लिए कहा गया है। इसमें यूजीसी की ओर से केंद्रीय विवी को भी दी जाने वाली मदद भी शामिल है। इसके अलावा विश्वविद्यालयों को मिलने वाले पैसे का कहां इस्तेमाल होता है ,इसकी पूरी जानकारी जुटाने को भी कहा गया है।
हालांकि
यह पूरी कवायद खर्चे में कटौती को लेकर की है, लेकिन यूजीसी से जुड़े अधिकारी की माने तो यह कटौती सिर्फ उन्हीं खर्चा में होगी जो गैर जरूरी होगी जिन्हें इस साल के लिए डाला जा सकता है। इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर होने वाली कामकाज भी शामिल होंगे।
यूजीसी ने इसके साथ ही उच्च स्तरीय कमेटी को जिन बिंदुओं पर काम करने को कहा है, उसमें आउटसोर्सिंग के आधार पर सुरक्षाकर्मियों को और दूसरे कर्मचारियों की होने वाली तैनाती भी है । यूजीसी ने उसे छात्रों के साथ छात्रावासो और आवासीय परिसरों की संख्या के आधार पर तय करने का सुझाव दिया है।