Gyanvapi Row: अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से देशवासियों ने राहत की सांस ली थी क्योंकि देश के सबसे बड़े और पुराने स्थल के विवाद का शांतिपूर्ण अंत हो गया था। लेकिन यह राहत अधिक दिनों तक नहीं टिक पाईं क्योंकि पिछले कुछ दिनों से लेकर धार्मिक स्थलों को लेकर विवाद की चिंगारियां फिर सुलग उठी है।
हालांकि यह विवाद सिर्फ हमारे देश में ही नहीं है किंतु दुनियाभर में ही जाने माने धर्म स्थलों को लेकर दो धर्म के लोगों के बीच में टकराव होता रहता है और सभी लोग यह धार्मिक स्थलों पर अपना दावा जताते रहते हैं। वर्तमान समय में भी वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और दिल्ली की जामा मस्जिद का मुद्दा चर्चा में है। तो आज हम इस आर्टिकल में आपसे दुनिया की सबसे विवादित धर्म स्थलों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
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सबसे पहले हम ताजा तरीन मामले यानी ताजमहल के मामले की बात करेंगे। सालों से ताजमहल को लेकर मुद्दा गरमाया हुआ है। ताजमहल को लेकर हिंदुओं ने मुसलमान दोनों समुदाय के लोगों में आपकी मतभेद बना हुआ है। मुसलमान के अनुसार ताजमहल 17वीं शताब्दी में अपनी पत्नी के लिए प्यार की निशानी के तौर पर मुगल बादशाह शाहजहां ने यह मकबरे बनवाया था। साल में 2015 में आगरा कोर्ट में पेटीशन भी दाखिल की गई थी। अभी पिछले कुछ दिनों पहले ही ताजमहल के 22 कमरों को खोलने की अर्जी देखी की गई थी जिससे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
ताज महल के बाद अगले नंबर पर आता है कुतुब मीनार कुतुब मीनार को लेकर भी दो समुदाय के लोगों में काफी लंबे समय से मनमुटाव चल रहा है। कुतुब मीनार को 12 वीं सदी में इल्तुतमिश की बनाई हुई एक मीनार के रूप में माना जाता है। वही हिंदू समुदाय के कुछ लोगों का मानना यह है की एक समय में यह हिंदू धर्म का प्रसिद्ध विष्णु मंदिर था। इतना ही नहीं कई बार मीनार के हिंदू खगोलशास्त्रियों द्वारा प्रयोग की गई प्रयोगशाला होने का दावा भी किया गया था
यह चर्चित मंदिर भी हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के मुल्तान शहर में स्थित था। इस मंदिर के बारे में यह कहा जाता है की इसे हिरण्यकश्यप के बेटे भक्त प्रहलाद ने नरसिंह अवतार के सम्मान में बनवाया था लेकिन साल 1992 में जब भारत में बाबरी मस्जिद तोड़ी गई, तो इसका असर में पाकिस्तान में भी हुआ और वहां के लोगों ने इसे तोड दिया।
गुजरात के जूनागढ़ में जैन धर्म के समुदाय का एक बड़ा लोकप्रिय मंदिर है जिसका नाम है गिरनार मंदिर। पहाड़ों की गोद में बसा हुआ यह जैन मंदिर आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है। जैन धर्म के लोगों का मानना है कि तीर्थंकर नेमिनाथ ने इसी स्थान पर मोक्ष की प्राप्ति की थी। वहीं हिंदू धर्म के समुदाय के लोग यह मानते हैं की यह प्राचीन स्थान सदियों पुरानी हिंदू मान्यता की आस्था का प्रतीक है जहां भगवान दत्तात्रेय का वास है। हिंदू समुदाय के लोगों का यह कहना है कि जैनियों ने अपने धर्म को फैलाने के लिए गैर-कानूनी रूप से वहां मंदिर बनाया है।
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इजराइल और फिलिस्तीन के बीच पिछले कुछ समय से जारी लड़ाई एक खतरनाक रूप धारण कर चुकी है। सीरिया हो या गाजा पट्टी, इस जंग के कारण सारा मिडल ईस्ट बर्बाद हो रहा है। जेरुसलम इजराइल में बसा एक छोटा सा शहर है जो अपनी धार्मिक आस्था के लिए एक नहीं बल्कि तीन तीन धर्मों के लोगों के लिए पूज्यनीय है।
यहूदियों के धार्मिक स्थान ‘येरुसलम’ को अरबी भाषा में अल-कुदुस कहलाता है। इस धार्मिक स्थलों के बारे में यह कहा जाता है कि ईसाईयों के मसीहा येशु का जन्म यहां हुआ था। वो अपने जन्म से ही यहूदी थे। वहीं अरबी लोग भी उन्हें इस्लाम धर्म के बहुत बड़े पैगम्बर मानते है। इसीलिए ये तीनों धर्मों के लोग इस धार्मिक स्थान पर अपना आधिपत्य जमाए रखना चाहते हैं।
दमघन, ईरान में स्थित ये पारसी सूर्य मंदिर वहां की इस माइनॉरिटी कम्युनिटी के लिए एक महत्वपूर्ण और बडा धार्मिक स्थल था। किंतु, 8वीं सदी में पारसी राजा सस्सानिद का साम्राज्य खत्म हो जाने के बाद इसे तोड़कर यहां मस्जिद बनाई गई। इसलिए इसे ईरान का सबसे प्राचीन मस्जिद कहा जाता है। इतना ही नहीं समय-समय पर पारसी अपने इस मंदिर पर कब्जा लेने की कोशिश करते हुए हैं, लेकिन अभी तक उन्हें सफलता नहीं मिली है।