Social Media: बीते सोमवार को तुर्की और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप ने इन दोनों देशों को तहस नहस करके रख दिया है । एक के बाद एक आए भूकंप के झटकों से मची तबाही में अब तक दोनों देशों के 15 हजार से अधिक लोगों की जान जा चुकी है जबकि हजारों लोग घायल हैं । यही नहीं बेहद तीव्रता वाले भूकंप से हजारों इमारतें मलबों में तब्दील हो गईं जबकि अब भी बचाव कार्य जारी है और घायलों की तलाश की जा रही है ।
अनुमान लगाया जा रहा है कि मरने वालों का आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है । जहां एक तरफ पश्चिम एशिया के इन देशों में आए विनाशकारी भूकंप से जान गंवाने वालों के प्रति लोग संवेदनाएं व्यक्त कर रहे हैं तो वहीं इस भूकंप के पीछे अमेरिका का हाथ होने के अंदेशे भी जताए जा रहे हैं ।
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जब से तुर्किए और सीरिया में भूकंप से तबाही मची है तभी से आए दिन कोई न कोई खबर सोशल मीडिया पर चल रही है । वहीं अब ये भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि तुर्की को सजा देने के लिए अमेरिका ने उस पर कांसीपिरेसी थ्योरी का इस्तेमाल कर सबक सिखाया है । सोशल मीडिया पर लोग दावे कर रहे हैं कि अमेरिका ने अपनी HAARP टेक्नोलॉजी का प्रयोग का तुर्कीए–सीरिया में कृत्रिम भूकंप का निर्माण किया है । लोग दावे कर रहे हैं कि अमेरिका ने तुर्की के खिलाफ यह प्रोजेक्ट HAARP का इस्तेमाल कर बनाया था ।
बता दें कि social media पर भूकंप के समय बिजली गिरने के कई वीडियो सामने आए थे जिसकी वजह से लोग संदेह कर रहे हैं । यूजर्स का कहना है कि आमतौर पर भूकंप के समय बिजली नहीं गिरती पर social media में वायरल भूकंप के समय के वीडियो में बिजली चमकती हुई दिखती है । सोशल मीडिया यूजर्स के अनुसार यह कोई साजिश हो सकती है ।
social media पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि भूकंप के रूप में जो तबाही तुर्किए ने झेली है वह उसके अमेरिका और नाटो से दुश्मनी की वजह से है । लोग आरोप लगा रहे हैं कि तुर्की को सजा देने के लिए अमेरिका और नाटो ने मिलकर तुर्कीए में कृत्रिम भूकंप पैदा कर तबाही मचाई है । बता दें कि स्वीडन में कुरान जलाने की घटनाओं को देखते हुए तुर्की ने इस देश के नाटो में शामिल होने के रास्ते बंद कर दिए थे । जिसकी वजह से तुर्की से पश्चिमी देश नाराज चल रहे थे । दावा है कि तुर्की को इसी बात की सजा अमेरिका ने दी है ।
भूकंप आने से कुछ ही समय पहले अमेरिका सहित पश्चिमी देशों ने तुर्कीये से अपने दूतावासों को अस्थाई रूप से हटा लिया था । अमेरिका सहित अन्य देशों ने तुर्कीये से अपने कर्मचारियों को वापस बुला लिया था ऐसे में यूजर्स आशंका जता रहे हैं कि अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों को पहले से ही तुर्की में आने वाले भूकंप की जानकारी थी ।
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यूजर्स का मानना है कि यह प्रलयकारी भूकंप अमेरिका ने अपनी HAARP तकनीक का प्रयोग कर लाया है । हालांकि यूजर्स के इन दावों में कितनी सच्चाई है इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता । इस मामले में अभी तक कोई आधिकारिक बयान भी नही आया है और न ही किसी वैज्ञानिक ने इस थ्योरी को मंजूरी दी है ।
HAARP (High frequency active Auroral Research program) अमेरिका में स्थित एक वेधशाला है। यह रिसर्च केंद्र आयनमंडल के अध्ययन के लिए स्थापित किया गया है । बता दें कि यह परियोजना 90 के दशक से सक्रिय है जो कि रेडियो ट्रांसमीटर के माध्यम से आयनमंडल के गुण एवम व्यवहार का अध्ययन करता है । बता दें कि आयनमंडल पृथ्वी की सतह से 50–400 मील ऊपर अंतरिक्ष के किनारे स्थित है । आरोप लगाए जाते हैं कि अमेरिका HAARP का उपयोग कर कृत्रिम भूकंप,सुनामी, बाढ़,अनियमित वर्षा आदि लाता है ।
बता दें कि इससे पहले भी कई आपदाओं के लिए अमेरिका की इस HAARP तकनीक को जिम्मेदार ठहराया गया है । 2010 में पाकिस्तान में आई बाढ़ के लिए ईरान के तत्कालीन राष्ट्रपति महमूद अहमदीनिजाद ने अमेरिका पर विद्युत चुम्बकीय तरंगों का इस्तेमाल कर बाढ़ लाने के आरोप लगाए थे ।